माघ मास के शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि को सरस्वती मां की पूजा की जाती है… क्योंकि इस दिन विद्या की देवी सरस्वती का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन पूरे भारत में देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है… भोर में सरस्वती देवी की पूजा करे … कलश के स्थापना व वाग्देवी के आवाहन कर… विधि पूर्वक देवी सरस्वती के पूजा करें… फिर पंचमी के दिन सरस्वती की पूजा के बाद षष्टी तिथि को संध्या काल में मूर्ति को प्रणाम करके जल में प्रवाहित कर देना चाहिए….सरस्वती वाणी एवं ज्ञान की देवी है. ज्ञान को संसार में सभी चीजों से श्रेष्ठ कहा गया है. इस आधार पर देवी सरस्वती सभी से श्रेष्ठ हैं… सरस्वती माता कला की भी देवी मानी जाती हैं अतः कला क्षेत्र से जुड़े लोग भी माता सरस्वती की विधिवत पूजा करते हैं… व्यावहारिक रूप से विद्या तथा बुद्धि व्यक्तित्व विकास के लिए जरूरी है…शास्त्रों के अनुसार विद्या से विनम्रता, विनम्रता से पात्रता, पात्रता से धन और धन से सुख मिलता है… देवी सरस्वती की पूजा की जाए तो विद्या व बुद्धि के साथ सफलता भी निश्चित मिलती है.