संतान प्राप्ति के लिए करे शिव- पार्वती जी की पूजा, जाने शुभ मुहूर्त
Santan Saptami 2022 Date and Time: संतान सप्तमी 3 सितंबर 2022 को मनाई जाएगी.अपने नाम स्वरूप ये व्रत संतान सुख, बच्चे की लंबी आयु प्रदान करता है. जानते हैं संतान सप्तमी का मुहूर्त और पूजा विधि.संतान सप्तमी 3 सितंबर 2022 को मनाई जाएगी. अपने नाम स्वरूप ये व्रत संतान सुख, बच्चे की लंबी आयु और उसकी रक्षा का फल प्रदान करता है. संतान सप्तमी पर भोलेनाथ और मां पार्वती का पूजन किया जाता है. मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से महिलाओं की सूनी गोद भर जाती है. निसंतान दंपत्ति ये व्रत संतान प्राप्ति के लिए रखते हैं. भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की संतान सप्तमी को ललिता सप्तमी, मुक्ताभरण सप्तमी और अपराजिता सप्तमी, संतान सातें, दुबड़ी सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है. आइए जानते हैं मुहूर्त और पूजा विधि।
संतान सप्तमी 2022 मुहूर्त
भाद्रपद शुक्ल सप्तमी आरंभ – 2 सितंबर 2022, दोपहर 01.51
भाद्रपद शुक्ल सप्तमी समाप्त – 3 सितंबर 2022, दोपहर 12.28
अभिजित मुहूर्त – दोपहर 12:01 – 12:51
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04:36 – 05:22
विजय मुहूर्त – दोपहर 02:32 – 03:23
अमृत काल – दोपहर 12:55 – 02:28
संतान सप्तमी 2022 पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त में स्नानादि के बाद साफ वस्त्र पहने और भगवान शंकर और माता पार्वती के समक्ष व्रत का संकल्प लें. संतान सप्तमी की पूजा का विधान दोपहर तक रहता है, इसलिए सुबह या फिर दोपहर में शुभ मुहूर्त में पूजा करें.
जहां पूजा करनी है उस जगह पर गंगाजल छिड़कर पवित्र करें. चौक पूर कर वहां पूजा की चौकी रखें और उसपर लाल कपड़ा बिछाएं. अब चौकी पर शिव-पार्वती की तस्वीर स्थापित करें.
तांबे का लौटा में गंगाजल या स्वच्छ जल भरकर चौकी पर रखें. उसमें सिक्का, सुपारी, डालकर उसपर अशोक या आम के पत्ते लगाएं और ऊपर से नारियल रख दें. सर्वप्रथम कलश की पूजा कर, गणपति जी का ध्यान करें.
अब शिव शंभू और मां पार्वती का षोडोपचार से पूजन करें. भोलेनाथ को चंदन, आंक के फूल, शमी पत्र, बेलपत्र, घतूरा, भांग, भस्म, गुलाल अर्पित करें. साथ ही मां पार्वती को कुमकुम, सिंदूर, हल्दी, मेहंद, फूल आदि चढ़ाएं.
भगवान शिव को कलावा (डोरा) अपर्ति करे. पूजा के बाद इसे स्वंय धारण कर लें.
संतान सप्तमी की पूजा शिव-पार्वती को खीर, पूड़ी और गुड़ के पुए का भोग लगाया जाता है. अब पान, लौंग, इलायची अर्पित करें. धूप, दीप, नैवेद्य लगाकर संतान सप्तमी की कथा पढ़ें.
संतान से संबंधित मनोकामाना की पूर्ति हेतु प्रार्थना करें और अंत में आरती कर प्रसाद की खीर और पुए से व्रत का पारण करें.