Astrology

बच्चों का करियर और ज्योतिष

290views
हर माता-पिता की एक ही कामना होती है कि उसके बच्चे उच्च शिक्षा ग्रहण अच्छा कैरियर प्राप्त करें। इसके लिए वे हर प्रकार से प्रयास करते हैं साथ ही हर वह उपाय करते हैं, जिससे उनकी मनोकामना पूरी हो किंतु हर संभव प्रयास करने के उपरांत भी कई बार असफलता आती है, जिसके कई कारण हो सकते हैं, प्रयास में कमी, परिस्थितियों का विपरीत होना या कोई मामूली सी गलती भी असफलता का कारण हो सकती है। किंतु ज्योतिष दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह सभी घटना आकस्मिक ना होकर ग्रहीय है। कैरियर में भटकाव या भ्रम की स्थिति तब बनती है, जब कैरियर चयन हेतु विषय चुनने का समय आता है, जिसका निर्धारण उस समय की तत्कालीक परिणाम, इच्छाशक्ति तथा प्रयास का प्रभाव कैरियर चयन पर पड़ता है। परीक्षा का संबंध स्मरणशक्ति से होता है, जिसका कारक ग्रह है बुध मानसिक संतुलन का महत्वपूर्ण कारक ग्रह है चंद्रमा परीक्षा में विद्या की स्थिरता, विकास का आकंलन मूख्य होता है, जिसका कारक ग्रह है गुरू। किसी जातक के तृतीय भाव या भावेश का उस व्यक्ति के कैरियर पर विशेष प्रभाव होता है क्योंकि तीसरा स्थान मनोबल के साथ पसंद-नापसंद का होता है साथ ही एकादश स्थान रूटिन का होता है यदि इन स्थानों पर राहु या चंद्रमा जैसे ग्रह हों तो जातक का मानसिक भटकाव तथा अनिर्णय की स्थिति उसके करियर चयन में भ्रम की स्थिति उत्पन्न करती है। साथ ही राहु तथा शुक्र आपकी भोग तथा सुख के प्रति लालसा को प्रर्दशित करती है अतः इनके अनुकूल या प्रतिकूल या दशा अंतदशा का प्रभाव भी परीक्षा में पड़ सकता है। इसके अलावा लग्न या लग्नेष, पंचम स्थान, का प्रभाव भी उच्च शिक्षा हेतु चयन तथा उसके द्वारा करियर पर पड़ता है। साथ ही यदि जातक का भाग्य या भाग्येश प्रबल नहीं हो तो पसंद होते हुए भी किसी कारणवश उसकी पसंदीदा करियर में बाधा दिखाई देती है। यदि करियर चयन या भ्रम तथा उसके कारण करियर में कोई परेशानी दिखाई दे तो किसी भी जातक को शनिवार का व्रत करते हुए गजेंद्रमोक्ष का पाठ करना चाहिए।