Pitru Paksha Tithi 2019: श्राद्ध पक्ष 2019 की सभी तिथियां, तर्पण विधि और पितरों को प्रसन्न करने के उपाय जानें यहां
पितृ पक्ष 2019 की शुरुआत 14 सितंबर से हो चुकी है। 28 सितंबर तक पितरों का तर्पण किया जा सकता है। हिंदू धर्म में श्राद्ध का काफी महत्व बताया जाता है। ऐसी मान्यता है कि जिन पितरों का श्राद्ध यानी तर्पण नहीं किया जाता वे नाराज हो जाते हैं। जिससे श्राद्ध करने वाले व्यक्ति के जीवन में समस्याएं उत्पन्न होने लगती है। पितरों को प्रसन्न करने के लिए यहां हम कुछ उपाय बताने जा रहे हैं जो आप कर सकते हैं…
– सबसे पहले तो रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करें इससे पितृ प्रसन्न होते हैं।
– श्राद्ध पक्ष के दौरान अपने पूर्वजों का अच्छे से श्राद्ध कर्म करें।
– इन दिनों किसी गरीब और अपंग व्यक्ति को दान दें और भोजन कराएं।
– गीता का सातवां अध्याय या मार्कण्डेय पुराणांतर्गत ‘पितृ स्तुति’ करें। इससे पितृ खुश होते हैं।
– तेरस, चौदस, अमावस्या और पूर्णिमा के दिन गुड़-घी की धूप दें।
– मांस और मदिरा से दूर रहें और गुरु ग्रह के उपाय करें।
– गया जाकर पितरों पिंडदान करें।
पितृ पक्ष 2019 श्राद्ध तिथियां (Shradh Tithi 2019) :
तृतीया तिथि 17 सितंबर
चतुर्थी तिथि 18 सितंबर
पंचमी तिथि महा भरणी 19 सितंबर
षष्ठी तिथि 20 अक्टूबर
सप्तमी तिथि 21 अक्टूबर
अष्टमी तिथि 22 अक्टूबर
नवमी तिथि 23 अक्टूबर
दशमी तिथि 24 अक्टूबर
एकादशी तिथि 25 अक्टूबर
द्वादशी तिथि 26 अक्टूबर
त्रयोदशी तिथि 27 चतुर्दशी
मघा श्राद्ध, 28 अक्टूबर- सर्वपित्र अमावस्या
श्राद्ध विधि (Shradh Vidhi at Home) :
जिस दिन श्राद्ध करना हो उस दिन सुबह उठकर स्नान कर देव स्थान व पितृ स्थान को गंगाजल से पवित्र कर लें। महिलाएं स्नान करके पितरों के लिए भोजन बनाने की तैयारी करें। इस दिन किसी ब्राहम्ण को घर पर बुलाकर या मंदिर में पितरों की पूजा और तर्पण का कार्य कराएं। पितरों के समक्ष अग्नि में गाय का दूध, दही, घी और खीर अर्पित करें। उसके बाद पितरों के लिए बनाए गए भोजन के चार ग्रास निकालें जिसमें एक हिस्सा गाय, दूसरा कुत्ते, तीसरा कौए और चौथा अतिथि के लिए रखें। गाय, कुत्ते और कौए को खाना डालने के बाद ब्राहम्ण को आदरपूर्वक भोजन कराएं और उन्हें वस्त्र और दक्षिणा दें। ब्राहम्ण में आपका दामाद या भतीजा भी हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति किसी कारण श्राद्ध कर पाने में सक्षम न हो तो उसे पूर्ण श्रद्धा के साथ अपने सामर्थ्य अनुसार उपलब्ध अन्न, साग-पात-फल और दक्षिणा किसी ब्राह्मण को आदर भाव से दे देनी चाहिए।
jansatta