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जानें,सातों वारों का व्रत,और इसके महत्व…

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सातों वारों का व्रत

कुछ व्रत ग्रहों की अनुकूलता के लिए किए जाते हैं। गोचर में या जन्म-पत्रिका में जो ग्रह अनुकमल न हों, उनको प्रसन्न करने का प्रयत्न करना चाहिए। विधिपूर्वक व्रत करने से प्रसन्न होकर वे ग्रह अनुकूल फल प्रदान करते हैं। चैत्र, पौष और अधिक मास को छोड़कर आश्विन के प्रथम रविवार के दिन सूर्य का व्रत प्रारम्भ करके संकल्प में ली गई अवधि तक करना चाहिए। राहु और केतु का व्रत शनिवार को करना चाहिए। सभी व्रत के दिन प्रातः स्नान करके सूर्य को अघ्र्य देना आवश्यक है। व्रत और मन्त्र जप की विधियाँ इस प्रकार हैं-

सूर्य का व्रत

एक वर्ष तक या 30 या 12 रविवार तक व्रत करना चाहिए। व्रत के दिन लाल कपड़े पहन कर ओम ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः मन्त्र की 12 माला जप करें। जप के पश्चात् शुद्ध जल, रक्तचंदन, अक्षत (चावल), लाल फूल और दूब से सूर्य को अघ्र्य दें। सूर्यास्त से पहले एक समय बिना नमक का भोजन करें। इस व्रत को करने से तेजस्विता बढ़ती है।

चन्द्रमा का व्रत

10 सोमवार तक इस व्रत को करना चाहिए। व्रत के दिन सफेेद कपड़े पहन कर ओम श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः मन्त्र की 54 माला का जाप करें। बिना नमक का भोजन करें। इस व्रत को करने से व्यापार में लाभ होता है। मानसिक कष्टों से शान्ति मिलती है। विशेष कार्यसिद्धि में यह व्रत पूर्ण लाभप्रदाय होता हैैं। शरीर निरोग होता है।

म्ंगल का व्रत

21मंगलवारों तक यह कव्रित करना चाहिए। आपकी इच्छा हो तो आप यह व्रत अधिक दिन भी कर सकती हैं। लाल कपडे़ पहन कर ओम क्रां क्रौ सः भौमाय नमः मंत्र की 7, 5, या 3 माला का जाप करें। एक समय बिना नमक का भोजन करें। इस व्रत के करने से कर्ज से छुटकारा मिलता है और संतान सुख की प्राप्ति होती है। हड्डियों के रोग से मुक्ति मिलती है।

बुध का व्रत

21 बुधवारों तक यह व्रत करना चाहिए। हरे रंग के कपडे़ पहन कर ओम ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः मंत्र की 5 माला का जाप करें। भोजन में बिना नमक वाली हरी मूँग से बनी चीजें खाएँ। भोजन से पहले तुलसी के पत्ते चरणामृत या गंगाजल के साथ खाकर तब भोजन करें। इस व्रत को करयने से विद्या और धन का लाभ होता है । व्यापार में उन्नति होती है और शरीर स्वस्थ रहता है। चर्मरोग ठीक होता है।

गुरू (बृहस्पति) का व्रत

16 गुरूवारों तक यह व्रत करना चाहिए। पीले रंग के कपडे़ पहन कर ओम ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरूवे नमः मंत्र की 16 माला का जाप करें। भोजन में मिठाई या लड्डू ही खाएँ। यह व्रत विद्यार्थियों को बुद्धि और विद्या प्रदान करता है। इस व्रत से धन में स्थिरता आती है और यश में वृद्धि मिलती है। कुँआरे लोग इस व्रत को करें, तो योग्य जीवनसाथी मिलता है।शुक्र का व्रत 16 शुक्रवार कतक यह व्रत करें। सफेद कपडे़ पहन कर ओम द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः मंत्र की 21, 11 और 5 माला का जाप करें। चावल, चीनी, दूध, दही और घी से बने पदार्थों का भोजन करें। नमक ना खाएँ। इस व्रत को करने से सुख, सौभाग्य और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है। शुक्राणु से सम्बन्धित रोग ठीक होता है।

शनि का व्रत

19 शनिवारों तक यह व्रत करना चाहिए। काले कपड़े पहन कर ओम प्रां प्रीं सः शनये नमः मंत्र की 19, 11, या 5 माला का जाप करें। जप करते समय ताम्बे के लोटै में शुद्ध जल रखें। इस जल में काले तिल, दूध, चीनी और गंगाजल डाल दें। जप के पश्चात् इसको पीपल के पेड़ की जड़ में डाल देेें। जल डालते समय इस बात का ध्यान रखें कि आपका मुँह पश्चिम दिशा की ओर हो। भोजन में उड़द की दाल के आटे से बनी चीजें खाएँ। इस व्रत के करने से आने वाली परेशानियाँ दूर होती हैं। यदि कोई मुकदमा चल रहा हो, तो जीतने की सम्भावना बढ़ जाती है। लोहे, मशीनरी, कारखाने वालों के लिए यह व्रत व्यापार में उन्नति लाने वाला होता है।

राहु और केतु का व्रत

21 शनिवारों तक यह व्रत करना चाहिए। काले रंग के कपडे़ पहन कर ओम भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः मंत्र की 18, 11 या 5 माला का जाप करें। केतु के लिए इतनी ही माला ओम स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः मंत्र का जाप करें । जप के समय ताम्बे के लोटे में जल और दूब अपने पास रख लें। जप के पश्चात् इस जल को पीपल की जड़ में चढ़ा दें। इस व्रत के करने से शत्रु का भय दूर होता है, मुकदमें में विजय मिलती है और सम्मान बढ़ता है। मस्तिक से संबंधित रोग ठीक होते हैं।