धनतेरस राशिफल 2020: आज कन्या राशि वालों के धन, सम्मान और उपहार में वृद्धि होगी, पारिवारिक जीवन सुखमय होगा
- दिनांक 13.11.2020 का पंचाग
- शुभ संवत 2077 शक 1942 सूर्य दक्षिणायन का… कार्तिक मास कृष्ण पक्ष त्रयोदशी – चतुर्दशी तिथि … सायं को 06 बजकर 00 मिनट तक … दिन … शुक्रवार … चित्रा नक्षत्र … रात्रि को 11 बजकर 06 मिनट तक … आज चंद्रमा … कन्या राशि में … आज का राहुकाल दिन 10 बजकर 24 मिनट से 11 बजकर 48 मिनट तक होगा …
धनतेरस की मान्यताएं
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। जैन आगम में धनतेरस को ‘धन्य तेरस’ या ‘ध्यान तेरस’ भी कहते हैं। भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिये योग निरोध के लिये चले गये थे। तीन दिन के ध्यान के बाद योग निरोध करते हुये दीपावली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुये। तभी से यह दिन धन्य तेरस के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
धन्वन्तरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरि चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। कहीं कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है। इस अवसर पर लोग धनिया के बीज खरीद कर भी घर में रखते हैं। दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं।
धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है ;
धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है ; जिसके सम्भव न हो पाने पर लोग चांदी के बने बर्तन खरीदते हैं। इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में संतोष रूपी धन का वास होता है। संतोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। जिसके पास संतोष है वह स्वस्थ है सुखी है और वही सबसे धनवान है। भगवान धन्वन्तरि जो चिकित्सा के देवता भी हैं उनसे स्वास्थ्य और सेहत की कामना के लिए संतोष रूपी धन से बड़ा कोई धन नहीं है। लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी गणेश की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हैं।
धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है। इस प्रथा के पीछे एक लोक कथा है :
कथा के अनुसार किसी समय में एक राजा थे जिनका नाम हेम था। दैव कृपा से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। ज्योंतिषियों ने जब बालक की कुण्डली बनाई तो पता चला कि बालक का विवाह जिस दिन होगा उसके ठीक चार दिन के बाद वह मृत्यु को प्राप्त होगा। राजा इस बात को जानकर बहुत दुखी हुआ और राजकुमार को ऐसी जगह पर भेज दिया जहां किसी स्त्री की परछाई भी न पड़े। दैवयोग से एक दिन एक राजकुमारी उधर से गुजरी और दोनों एक दूसरे को देखकर मोहित हो गये और उन्होंने गन्धर्व विवाह कर लिया।
विवाह के पश्चात विधि का विधान सामने आया और विवाह के चार दिन बाद यमदूत उस राजकुमार के प्राण लेने आ पहुंचे। जब यमदूत राजकुमार प्राण ले जा रहे थे उस वक्त नवविवाहिता उसकी पत्नी का विलाप सुनकर उनका हृदय भी द्रवित हो उठा परंतु विधि के अनुसार उन्हें अपना कार्य करना पड़ा। यमराज को जब यमदूत यह कह रहे थे उसी वक्त उनमें से एक ने यम देवता से विनती की हे यमराज क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे मनुष्य अकाल मृत्यु से मुक्त हो जाए। दूत के इस प्रकार अनुरोध करने से यम देवता बोले हे दूत अकाल मृत्यु तो कर्म की गति है इससे मुक्ति का एक आसान तरीका मैं तुम्हें बताता हूं सो सुनो। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी रात जो प्राणी मेरे नाम से पूजन करके दीप माला दक्षिण दिशा की ओर भेट करता है उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। यही कारण है कि लोग इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखते हैं।
नरक चतुर्दशी
नरकासुर वध
प्राचीन काल में नरकासुर राक्षस ने अपनी शक्तियों से देवता और साधु संतों को परेशान करने के साथ ही देवता और संतों की 16 हज़ार स्त्रियों को बंधक बना लिया। नरकासुर के अत्याचारों से परेशान देवता और साधु-संत भगवान श्री कृष्ण की शरण में गए। नरकासुर को स्त्री के हाथों से मरने का श्राप था इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध किया और उसकी कैद से 16 हजार स्त्रियों को आजाद कराया। बाद में ये सभी भगवान श्री कृष्ण की 16 हजार पट रानियां के तौर पर जानी जाने लगीं।
नरक चतुर्दशी तिथि एवं मुहूर्त
नरक चतुर्दशी 2020 : 13 नवंबर 2020
अभ्यंग स्नान समय : 04.29 बजे से 06.05 बजे तक
अवधि : 1 घंटे 37 मिनट
नरक चतुर्दशी के नियम
- कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन चंद्रोदय या सूर्योदय (सूर्योदय से सामान्यत: 1 घंटे 36 मिनट पहले का समय) होने पर नरक चतुर्दशी मनाई जाती है
- यदि दोनों दिन चतुर्दशी तिथि सूर्योदय अथवा चंद्रोदय का स्पर्श करती है तो नरक चतुर्दशी पहले दिन मनाने का विधान है।
- नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले चंद्रोदय या फिर अरुणोदय होने पर तेल अभ्यंग ( मालिश) और यम तर्पण करने की परंपरा है
नरक चतुर्दशी पूजन विधि
- नरक चतुर्दशी के दिन प्रात:काल सूर्योदय से पहले स्नान करने का महत्व है। इस दौरान तिल के तेल से शरीर की मालिश करनी चाहिए, उसके बाद अपामार्ग यानि चिरचिरा (औधषीय पौधा) को सिर के ऊपर से चारों ओर 3 बार घुमाना चाहिए।
- नरक चतुर्दशी से पहले कार्तिक कृष्ण पक्ष की अहोई अष्टमी के दिन एक लोटे में पानी भरकर रखा जाता है, जिसे नरक चतुर्दशी के दिन नहाने के पानी में मिलाकर स्नान करने की परंपरा है। मान्यता है कि ऐसा करने से नरक के भय से मुक्ति मिलती है।
- स्नान के बाद दक्षिण दिशा की ओर हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करने पर मनुष्य द्वारा वर्ष भर किए गए पापों का नाश हो जाता है।
- घर के मुख्य द्वार से बाहर यमराज के लिए तेल का दीपक जलाएं।
- नरक चतुर्दशी के दिन शाम के समय सभी देवताओं की पूजन के बाद तेल के दीपक जलाकर घर की चौखट के दोनों ओर, घर के बाहर व कार्य स्थल के प्रवेश द्वार पर रख दें। मान्यता है कि ऐसा करने से लक्ष्मी जी सदैव घर में निवास करती हैं।
- रूप चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है।
- इस दिन निशीथ काल (अर्धरात्रि का समय) में घर के बेकार सामान फेंक देना चाहिए। मान्यता है कि नरक चतुर्दशी के अगले दिन दीपावली को लक्ष्मी जी घर में प्रवेश करती है, इसलिए दरिद्रता यानि गंदगी को घर से निकाल देना चाहिए।
धनतेरस के शुभ मुहूर्त – नवम्बर 13, 2020
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 12, 2020 को रात्रि 09-31 बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त – नवम्बर 13, 2020 को सायं 06-00 तक
अभिजित मुहूर्त – सुबह 11.25 से दोपहर 12.10 मिनट तक
राहू काल – सुबह 10.24 से दोपहर 11.48 तक
चौघडिया –
दिन का चौघडिया
चर – प्रातः 06.42 से 08.03 तक
लाभ – प्रातः08.03 से 09.24 तक
अमृत -प्रातः 09.24 से 10.45 तक
शुभ – दोपहर 12.05 से 01.26 मिनट तक
चर – दोपहर 04.08 से सायं 05.28 तक
रात्रि का चौघडिया
लाभ – रात्रि 08.47 से 10.26 रात्रि तक
स्थिर लग्न
वृश्चिक- प्रातः 06:30 से 08:45
कुम्भ- दोपहर 12:39 से 14:13
वृषभ- सायं 05:27 से 07:26
सिंह- रात्रि 11:54 से 02:04
धनतेरस के दिन धन्वन्तरि, धन की देवी लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और यमराज का पूजन किया जाता है। अपनी आर्थिक हालत को मजबूत करने के लिए धनतेरस का दिन बहुत अहम होता है। धनतेरस के दिन राशि के अनुसार नीचे लिखे उपाय किए जाएं तो धन-संपत्ति आदि का लाभ होता है। ये उपाय इस प्रकार हैं-
मेष- यदि आप धनतेरस के दिन शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर तेल का दीपक में दो काली गुंजा डाल दें, और ॐ ऐं क्लीं सौं: स्फटिक या कमलगट्टे की माला से इस मंत्र का जाप 11 माला जाप करें तो साल भर आर्थिक अनुकूलता बनी रहेगी। आपका उधार दिया हुआ धन भी प्राप्त हो जाएगा।
वृषभ– यदि आपके संचित धन का लगातार खर्च हो रहा है तो धनतेरस के दिन पीपल के पांच पत्ते लेकर उन्हे पीले चंदन में रंगकर बहते हुए जल में छोड़ दें और ॐ ऐं क्लीं श्रीं स्फटिक या कमलगट्टे की माला से इस मंत्र का जाप 21 माला जाप करें तो साल भर आर्थिक अनुकूलता बनी रहेगी।
मिथुन- बरगद से पांच फल लाकर उसे लाल चंदन में रंगकर नए लाल वस्त्र में कुछ सिक्कों के साथ बांधकर अपने घर अथवा दुकान में किसी कील से लटका दें और ॐ क्लीं ऐं सौं: स्फटिक या कमलगट्टे की माला से इस मंत्र का जाप 21 माला जाप करें तो साल भर आर्थिक अनुकूलता बनी रहेगी।
कर्क- यदि आपको अचानक धन लाभ की आशा हो तो धनतेरस के दिन शाम के समय पीपल वृक्ष के समीप तेल का पंचमुखी दीपक जलाएंऔर ॐ ऐं क्लीं श्रीं स्फटिक या कमलगट्टे की माला से इस मंत्र का जाप 21 माला जाप करें तो साल भर आर्थिक अनुकूलता बनी रहेगी ।
सिंह- यदि व्यवसाय में बार-बार हानि हो रही हो या घर में बरकत ना रहती हो तो धनतेरस के दिन से गाय को रोज चारा डालने का नियम लें और ॐ ह्रीं श्रीं सौं: स्फटिक या कमलगट्टे की माला से इस मंत्र का जाप 21 माला जाप करें तो साल भर आर्थिक अनुकूलता बनी रहेगी।
कन्या- यदि जीवन में आर्थिक स्थिरता नहीं हो तो धनतेरस के दिन दो कमलगट्टे लेकर उन्हें माता लक्ष्मी के मंदिर में अर्पित करें और ॐ श्रीं ऐं सौं: स्फटिक या कमलगट्टे की माला से इस मंत्र का जाप 21 माला जाप करें तो साल भर आर्थिक अनुकूलता बनी रहेगी ।
तुला- यदि आप आर्थिक परेशानी से जुझ रहे हैं तो धनतेरस के दिन शाम को लक्ष्मीजी के मंदिर में नारियल चढ़ाएं और ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं स्फटिक या कमलगट्टे की माला से इस मंत्र का जाप 21 माला जाप करें तो साल भर आर्थिक अनुकूलता बनी रहेगी ।
वृश्चिक- यदि आप निरंतर कर्ज में उलझ रहें हो तो धनतेरस के दिन श्मशान के कुएं का जल लाकर किसी पीपल वृक्ष पर चढ़ाएं और ॐ ऐं क्लीं सौं: स्फटिक या कमलगट्टे की माला से इस मंत्र का जाप 21 माला जाप करें तो साल भर आर्थिक अनुकूलता बनी रहेगी ।
धनु- धनतेरस के दिन गुलर के ग्यारह पत्तों को मोली से बांधकर यदि किसी वट वृक्ष पर बांध दिया जाए, ॐ ह्रीं क्लीं सौं: स्फटिक या कमलगट्टे की माला से इस मंत्र का जाप 21 माला जाप करें तो साल भर आर्थिक अनुकूलता बनी रहेगी
मकर- यदि आप आर्थिक समस्या से परेशान है, किंतु रूकावटें आ रही हों, तो आक की रूई का दीपक शाम के समय किसी तिहारे पर रखें और ॐ ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं सौं: स्फटिक या कमलगट्टे की माला से इस मंत्र का जाप 21 माला जाप करें तो साल भर आर्थिक अनुकूलता बनी रहेगी ।
कुंभ- जीवन स्थायी सुख-समृद्धि हेतु प्रत्येक धनतेरस की रात में पूजन करने वाले स्थान पर ही रात्रि में जागरण करें और ॐ ह्रीं ऐं क्लीं श्रीं स्फटिक या कमलगट्टे की माला से इस मंत्र का जाप 21 माला जाप करें तो साल भर आर्थिक अनुकूलता बनी रहेगी
मीन- यदि व्यवसाय में शिथिलता हो तो केले के दो पौधे रोपकर उनकी देखभाल करें
तथा उनके फलों को नहीं खाएं। साथ ही ॐ ह्रीं क्लीं सौं: स्फटिक या कमलगट्टे की माला से इस मंत्र का जाप 21 माला जाप करें तो साल भर आर्थिक अनुकूलता बनी रहेगी
धनतेरस पर राशि अनुसार उपाय और खरीदारी
मेष :- यदि आप धनतेरस के दिन शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाकर दो धान की बाली द्वार के दोनों तरफ टांग दें, तो साल भर आर्थिक अनुकूलता बनी रहेगी। आपका उधार दिया हुआ धन भी प्राप्त हो जाएगा।
सोने की खरीदारी आपके लिए विशेष शुभ होगी. इसके अलावा आपके लिए स्टील के बर्तन या धातु के गहने, भूमि, भवन में निवेश भी लाभ दायक होगा।
वृष – यदि आपके संचित धन का लगातार खर्च हो रहा है तो धनतेरस के दिन पीपल के पांच पत्ते लेकर उन्हे पीले चंदन में रंगकर पीले कपड़े में बांधकर अपने लोंकर में रख दें।
(रजत) चांदी की कोई वस्तु (पात्र, मूर्ति) व गाय-बछिया की जोड़ी की खरीददारी करना शुभ होगा। कौड़ी खरीद कर घर लाएं और लक्ष्मी पूजा के समय इनकी भी करे पूजा उसके बाद इन कौड़ियों को वहा रखे जहा आप अपना धन रखते है वहा कभी आपको धन की कमी नहीं होगी।
मिथुन – यदि आप आर्थिक समस्या से परेशान है, रूकावटें आ रही हों, तो आक की रूई का दीपक शाम के समय किसी तिहारे पर रखने से आपको धन लाभ होगा।
कांसे की गणेश जी की मूर्ति व मिटटी का दीपक खरीदना चाहिए।
कर्क – जीवन स्थायी सुख-समृद्धि हेतु धनतेरस की रात में पूजन करने वाले स्थान पर घी का दीपक जलाकर रात्रि में जागरण करना और लक्ष्मी कवच का पाठ करना चाहिए।
धन तेरस के इस विशेष पर्व पर धन प्राप्ति के लिए आप स्फटिक या चांदी का श्री यंत्र खरीदें तो आपके लिए अत्यंत शुभ और विशेष फल देने वाला रहेगा।
सिंह – यदि व्यवसाय में बार-बार हानि हो रही हो या घर में बरकत ना रहती हो तो धनतेरस के दिन से गाय को चारा डालने का नियम लें और यह पुरे कार्तिक माह तक करें.
सिंह राशि वाले जातको कों तांबे का कोई पात्र खरीदना, इससे मां लक्ष्मी की विशेष कृपा होगी।
कन्या – यदि जीवन में आर्थिक स्थिरता नहीं हो तो धनतेरस के दिन दो कमलगट्टे लेकर उन्हें माता लक्ष्मी के मंदिर में अर्पित करें।
कांसे व हाथीदांत से बनी हुई वस्तु खरीद कर पूजा स्थल में रखें तो निश्चित लाभ प्राप्त होगा।
तुला – यदि आप आर्थिक परेशानी से जुझ रहे हैं तो धनतेरस के दिन शाम को लक्ष्मीजी के मंदिर में नारियल और गुड चढ़ाएं।
चांदी का श्री यंत्र या सिक्का अवश्य खरीदें तब लाभ निश्चित है।
वृश्चिक – यदि आप निरंतर कर्ज में उलझ रहें हो तो धनतेरस के दिन किसी कुएं का जल लाकर किसी पीपल वृक्ष पर चढ़ाएं और तिल के तेल का दीपक जलाकर आटा-शक्कर का दान रखें.
तांबा, पंचधातु का पात्र या इनसे बना श्री यंत्र और स्वस्तिक ख़रीदे उसके साथ थोडा सा गेंहू, गुड़ घर लाये।
धनु – धनतेरस के दिन बरगद कि जड़ी को मोली से बांधकर यदि दरवाजे पर बांध दिया जाए, तो आपकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी।
थोड़ी सी केसर, हल्दी अवश्य ख़रीदे, फिर भगवान के वस्त्र खरीदें।
मकर – आठ कमल गट्टे को नए लाल वस्त्र में कुछ सिक्कों के साथ बांधकर अपने घर अथवा दुकान में किसी कील से लटका दें।
मकर राशि वाले जातक आज के दिन घर की रौशनी अवश्य खरीदें, इलेक्ट्रोनिक पर निवेश करें।
कुंभ – यदि आपको अचानक धन लाभ की आशा हो तो धनतेरस के दिन शाम के समय पीपल वृक्ष के समीप तेल का पंचमुखी दीपक जलाएं।
आप लोहे की कोई वस्तु के साथ विद्युत उपकरण, भवन, भूमि, वाहन, स्वर्ण आदि में निवेश करें तो लाभ मिलेगा।
मीन – यदि व्यवसाय में शिथिलता हो तो दो पौधे रोपकर उनकी देखभाल करें।
घर के सजावट करने वाली वस्तुओं की खरीदारी करें इसके साथ ही पीतल और चाँदी खरीदना चाहिए क्योंकि पीतल भगवान धन्वंतरी की धातु है। पीतल खरीदने से घर में आरोग्य, सौभाग्य और स्वास्थ्य की दृष्टि से शुभता आती है ।