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नक्षत्र और दान का प्रचलन

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अश्विनी नक्षत्र में कांस्य पात्र में घी भरकर दान करने से रोग मुक्ति होती है। – भरणी नक्षत्र में ब्राह्मण को तिल एवं धेनु का दान करने से सद्गति प्राप्त होती है व कष्ट कम होता है। – कृतिका नक्षत्र में घी और खीर से युक्त भोजन ब्राह्मण व साधु संतांे को दान करने से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। – रोहिणी नक्षत्र में घी मिश्रित अन्न को ब्राह्मण व साधुजन को दान करना चाहिए। – मृगशिरा नक्षत्र में ब्राह्मणों को दूध दान करने से किसी प्रकार का ऋण नहीं रहता व व्याधि से दूर रहते हैं। – आद्र्रा नक्षत्र में तिल मिश्रित खिचड़ी का दान करने से सभी प्रकार के संकटों से मुक्त हो जाते हंै। – पुनर्वसु नक्षत्र में घी के बने मालपुए ब्राह्मण को दान करने से रोग का निदान होता है। -पुष्य नक्षत्र में इच्छा अनुसार स्वर्ण दान करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हंै। – अश्लेषा नक्षत्र में इच्छा अनुसार चांदी दान करने से रोग से शांति व निर्भय हो जाता है। – मघा नक्षत्र में तिल से भरे घड़ों का दान करने से रोग से निदान व धन की प्राप्ति भी होती है। -पूर्वाफाल्गुनी में ब्राह्मण को घोड़ी का दान करने से सद्गति मिलती है। – उत्तराफाल्गुनी में स्वर्ण कमल ब्राह्मण को दान देने से बाधाएं दूर हो जाती हैं व रोग से शांति मिलती है। – हस्त नक्षत्र में रोग से निदान पाने के लिए ब्राह्मण को चांदी दान करना व जल सेवा लाभदायक होती है। – चित्रा नक्षत्र में ताम्रपत्र, घी का दान शुभ होता है। – स्वाति नक्षत्र में जो पदार्थ स्वयं का प्रिय हो, उनका दान करने से शांति मिलती है और अंत में सद्गति मिलती है। – विशाखा नक्षत्र में वस्त्रादि के साथ अपना कुछ धन ब्राह्मण को देने से सारे कष्ट दूर होते हैं साथ ही आपके पितृगण भी प्रसन्न होते हंै। – अनुराधा नक्षत्र में यथाशक्ति कम्बल ओढ़ने तथा पहनने वाले वस्त्र ब्राह्मण को दान किये जायें तो आयु में वृद्धि होती है। – ज्येष्ठा नक्षत्र में मूली दान देने से अभीष्ट गति प्राप्त होती है। – मूल नक्षत्र में कंद, मूल, फल, आदि देने से पितृ संतुष्ट हो जाते हैं, स्वास्थ्य में लाभ व उत्तम गति मिलती है। – पूर्वाषाढ़ा में कुलीन और वेदवेत्ता ब्राह्मण को दधिपात्र देने से कष्ट दूर हो जाते है। – उत्तराषाढ़ा में घी और मधु का दान ब्राह्मण को देने से रोग में शांति होती है। – श्रवण नक्षत्र में पुस्तक दान करना लाभदायक। – धनिष्ठा में दो गायों का दान करने से रोग में शांति व जन्मांग तक सुख की प्राप्ति भी होती है। – शतभिषा नक्षत्र में अगरु व चन्दन दान करने से शरीर के कष्ट दूर हो जाते हैं। – पूर्वाभाद्रपद में साबुत उड़द के दान से सभी कष्ट से आराम व सुख प्राप्त होता है। – उत्तराभाद्रपद में सुन्दर वस्त्रों के दान से पितृ संतुष्ट होते हैं और उसे सद्गति प्राप्त होती है। – रेवती में कांस्य के पात्र दान करना लाभदायक होता है।

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