वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली से की जाने वाली गणनाओं के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले सताइस नक्षत्रों में से आर्द्रा नक्षत्र को छठा नक्षत्र माना जाता है। आर्द्र का शाब्दिक अर्थ है नम तथा आर्द्रा का शाब्दिक अर्थ है नमी और इस नमी को विभिन्न वैदिक ज्योतिषी भिन्न भिन्न क्षेत्रों से जुड़े भिन्न अर्थों के साथ जोड़ते हैं। कहीं इस नमी को वर्षा के पश्चात सूर्य की तीव्र किरणों का कारण वातावरण में आने वाली नमी माना जाता है तो कहीं आंख में आने वाले आंसूओं को भी इस नमी के साथ जोड़ा जाता है। आर्द्रा नक्षत्र परिवर्तन तथा नवीकरण को दर्शाता है तथा कई बार यह परिवर्तन कुछ अनचाही घटनाओं के फलस्वरुप होता है। उदाहरण के लिए, खेती के लिए सबसे अधिक उपजाऊ भूमि का निर्माण ज्वालामुखी फटने का बाद उसके लावे के ठंडे हो जाने से बनने वाली भूमि से ही होता है जबकि ज्वालामुखी का फटना अपने आप में एक अनचाही घटना है तथा कई बार ज्वालामुखी फटने के कारण जान माल की बहुत हानि भी हो सकती है। इस प्रकार वैदिक ज्योतिष के अनुसार आर्द्रा उस परिवर्तन को दर्शाता है जिसके आने का कारण कोई अनचाही तथा भयावह घटना हो सकती है।
आर्द्रा नक्षत्र के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक जिज्ञासु प्रवृति के होते हैं तथा इनमें विश्लेषण करने की क्षमता भी प्रबल होती है। आर्द्रा के जातक प्रत्येक मामले की जड़ तक जाने की चेष्टा करते हैं तथा इन्हें प्रत्येक मामले के छोटे से छोटे पक्ष के बारे में भी जानकारी रखने की आदत होती है। आर्द्रा के जातकों की मानसिक स्थिति बहुत तीव्रता के साथ बदल सकती है जिसके चलते ये जातक कई बार अप्रत्याशित हो जाते हैं। ऐसे जातक बहुत शीघ्रता के साथ ही उग्र हो जाते हैं तथा कई बार अपनी इस उग्रता के चलते ये जातक दूसरे व्यक्ति को हानि भी पहुंचा देते हैं। आर्द्रा के जातक सामान्य तौर पर वीर होते हैं तथा ये जातक किसी का सामना करने के लिए, वाद विवाद करने के लिए, तर्क वितर्क करने के लिए, लड़ाई झगड़ा करने के लिए तथा युद्ध करने के लिए भी तत्पर रहते हैं। आर्द्रा के जातक खोजी प्रवृति के होते हैं तथा साथ ही साथ ये जातक अच्छे निरीक्षक तथा समीक्षक भी होते हैं।