जितनी सूक्ष्मता प्रबंधन विषय में आवश्यकता होती है, उससे कहींअधिक बारीकियों और सूक्ष्म गणनाओं का विषय है- कुंडली विवेचन।कुशल प्रबंधन मानवीय श्रम के बेहतरीन संयोजन और कुशलतमव्यवस्थापन का नाम है। इसी प्रकार कुंडली की विवेचना भी सूक्ष्मतमगणनाओं और व्यापक अनुभव का फलितार्थ है। इन दोनों का तालमेलऔर सामंजस्य कुल मिलाकर एक ऐसे संस्थान की रचना करने के लिएपर्याप्त है जो अपने क्षेत्र में बेरोकटोक निरंतर शीर्ष की ओर अग्रसर होसकते हैं।
शून्य का जन्मदाता कहलाने वाला भारत वैदिक गणित और ज्योतिषविद्या में भी काफी पुराने समय से अग्रणी रहा है। वैदिक गणित कोअमेरिका की सर्वोच्च स्पेस एजेंसी नासा ने भी अपनी पूरी-पूरी मान्यताप्रदान की है एवं कई अमेरिकी विश्वविद्यालयों में इसकी विशेष कक्षाएंलग रही हैं। ठीक इसी प्रकार भारतीय ज्योतिष विद्या और कुंडलीविवेचना को भी पाश्चात्य जगत् में शनैः-शनैः मान्यता मिलती जा रहीहै। व्यक्ति विशेष के भूत, वर्तमान और भविष्य को एक एकीकृत रूप सेखुली पुस्तक के रूप में सामने रख देने वाले शास्त्र को भारतीय ज्योतिषकहा गया है।
इन ज्योतिष शास्त्रों में व्यक्ति विशेष की जन्मकुंडली का सबसे बड़ामहत्व है, क्योंकि इसी से इसका सम्पूर्ण जीवन चरित्र छुपा होता है। यदिउस व्यक्ति विशेष के संपूर्ण गुण व दोषों से प्रबंधन कर्ता समय के पूर्ववाकिफ हो जाएं तो वह उसे सर्वोपयुक्त स्थान पर नियुक्त करते हुएसंस्थान को अधिकतम लाभ दिला सकता है। प्रबंधन का प्रथम सूत्र हीयही है कि सक्षम व्यक्ति संस्थान के भविष्य को उज्ज्वल बनाते हैं औरज्योतिष शास्त्र यह बताने में सक्षम है कि कौन-सा व्यक्ति संस्थान केलिए लाभदायक रहेगा। उसके गुण-दोषों की विवेचना के साथज्योतिषशास्त्र में ग्रहों का भी अध्ययन सकारात्मक कहा जा सकता है।
प्रथम बुध क्योंकि बुध विचारशीलता की अभिव्यक्ति प्रदान करता है तोगणित से संबंधित भी इस ग्रह की विशेषता होती है। मंगल-मंगलउत्साहवर्धक, साहस महत्वाकांक्षा एवं उच्च मनोबल की अभिव्यक्तिदेती है। गुरु-गुरु ज्ञान, अनुभव प्रथक्करण व निरीक्षण के साथ तत्व ज्ञानकी अभिव्यक्ति करने वाला होता है। शनि-शनि कुशल प्रशासन व सत्तामें महत्व बढ़ाने वाला होता है। एक उत्तम प्रबंधक में उपरोक्त ग्रहों केगुणों का समावेश होना चाहिए।