Vastu

वास्तु के उपायों से स्वास्थ्य समस्या को कम किया जा सकता है

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हमारा ब्रह्मांड पांच मूल तत्वों से बना है अर्थात पृथ्वी, आकाश, जल, अग्रि और वायु। इन तत्वों में कोई असंतुलन मानव शरीर के बाहर और भीतर एक असुविधा लाता है। हम इसे तुरंत महसूस नहीं कर सकते हैं लेकिन शरीर के सिस्टम में बदलाव से हमें एहसास होता है कि कुछ गलत है। कुछ लोग ध्यान, रेकी, प्राणिक-हीलिंग, कुंडलिनी-जागृति आदि जैसे साधनों द्वारा समानता या संतुलन लाने की कोशिश करते हैं। यह ऊर्जा की गति को तेज करने में मदद करता है और इससे परिणाम सामने आते हैं।

प्राचीन भारतीय विद्वानों द्वारा निर्धारित वास्तु के सिद्धांतों का पालन करते हुए हम नकारात्मक ऊर्जा, मानसिक पीड़ा और मानसिक शांति प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। वास्तु उपचारों को लागू करने से दुनिया भर के लोगों के जीवन से कई स्वास्थ्य समस्याओं को कम किया जा सकता है, क्योंकि मानव ऊर्जा प्रकाश, रंग, पौधों, फर्नीचर के स्थान सहित बहुत सी चीजों से प्रभावित होती है, वास्तु सिद्धांतों पर आधारित इमारतों में रहने वाले लोग पाते हैं कि उनके विचार स्पष्ट और रचनात्मक हैं। वे बेहतर निर्णय लेते हैं। खुश और स्वस्थ महसूस करते हैं। पूरे दिन अधिकसतर्क और तरोताजा महसूस करते हैं और तनाव को कम करके मन की शांति पाते हैं।

कोई भी व्यक्ति यदि ल बे समय तक बीमार रहे तो उसे गंभीर रोग होने का खतरा रहता है। कभी-कभी यह अवसाद की वजह भी बन जाता है। घर परिवार में सभी लोग स्वस्थ रहें ऐसा प्रयास सभी का रहता है। स्वास्थ्य विषयों का निराकरण यथासंभव दवाओं के साथ करने के लिए आवश्यक है कि हम अपने घर के वास्तु की समीक्षा करें। हम सभी ने कहावत सुनी है कि स्वास्थ्य ही धन है लेकिन क्या यह सच है? किसी भी व्यक्ति को जीवन में वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए घर की इनडोर ऊर्जा को संतुलित रखना आवश्यक है। स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए हम कई बार धन व्यय को भी किनारे कर देते हैं। हम सभी के लिए यह समझना आवश्यक है कि हमारा घर हमारे स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है।

वास्तु टिप्स-इसके पीछे विज्ञा है 
वास्तु शास्त्र में दक्षिण पूर्व की दिशा को अग्रि कोण के नाम से जाना जाता है। यह हमारे घर का अग्रि केंद्र है। यह गर्म और जलने वाला क्षेत्र है जो स्वास्थ्य को प्रभावित करता है और इसलिए आमतौर पर रसोई इस दिशा में बनाई जाती है लेकिन यदि इस स्थान पर आपके घर में रसोई की जगह कोई बैडरूम या प्रवेश द्वार है तो आपको इसे बदलना चाहिए। यदि ऐसा करना भी संभव नहीं है तो इसे रंगों और पौधों के माध्यम से संतुलित किया जा सकता है। घर में स्थित वास्तु दोषों को दूर करने के लिए रंगों और पौधों का प्रयोग किया जाता है। जो वास्तु दोषों को दूर करने का एक कारगर उपाय है।

नाम अनुसार वास्तु टिप्स 
घर के मालिक या किराएदार का नाम घर के वास्तु दोष को प्रभावित करता है। दिशाओं का वास्तु स मत होना स्वास्थ्य को निर्धारित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। घर के मालिक और किराएदार को अपना नाम अपनी जन्मपत्री के शुभ ग्रह और लक्की नाम के अनुसार रखना चाहिए। इससे घर का वास्तु सकारात्मक रूप से घर में रहने वाले लोगों पर अपना प्रभाव डालता है। जन्मपत्री के अनुसार और जन्म तिथि के अनुसार आपके लिए शुभ (लक्की) नाम क्या होना चाहिए, यह जानने के लिए आप किसी अंक ज्योतिषी की सहायता ले सकते हैं।

सही रंग चुनें 
क्रीम, पीले और चमकीले नारंगी रंगों में नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करने की क्षमता होती है। यदि आपके घर में किसी न किसी तरह की अव्यवस्था रहती है या आप चाहे कितनी भी सफाई कर लें उन जगहों पर पानी के रिसाव की समस्या बनी ही रहती है। वास्तु शास्त्र में यह माना जाता है कि इस प्रकार के वास्तु दोष को दूर करने के लिए दीवारों पर रंगों का उपयोग करना चाहिए। इसके लिए इन क्षेत्रों में मोमबत्तियां, तौलिए, कृत्रिम, फूल आदि जैसी वस्तुओं का प्रयोग कर वास्तु दोष को कुछ हद तक दूर किया जा सकता है। यह घर से अवसाद और एलर्जी को भी दूर करने में उपयोगी भूमिका निभाता है। अधिक शुभता पाने के लिए इन रंगों का प्रयोग आप अपने बिस्तर पर करें तकिया, कवर या चादर का प्रयोग भी अनुकूल फल देता है यह नकारात्मक को कम करने में मदद करेगा।

गो ग्रीन 
आम तौर पर हम सभी घर में मनी प्लांट लगाते हैं। यह माना जाता है कि प्लांट लगाने से घर में धन वर्षा होती है। मनी प्लांट यदि नीचे से ऊपर की ओर जा रही है तो यह शुभ माना जाता है परंतु यदि यह ऊपर से नीचे की ओर आ रही है तो इससे धन की कमी संभावित है। मनी प्लांट का ऊपर से नीचे आना नकारात्मक प्रभाव देने वाला माना गया है। घर से वास्तु दोष को दूर करने और घर में सकारात्मकता बनाए रखने के लिए घर में अन्य कोई इनडोर पौधा लगाना चाहिए।

लगातार सर्कुलेशन
घर के सदस्यों को स्वस्थ रखने के लिए यह सुनिश्चित करें कि घर में पर्याप्त धूप और हवा का संचार हो। कभी परिस्थितिवश यह संभव न हो तो घर के अंदर उज्ज्वल रोशनी का प्रयोग करें। कम से कम प्रतिदिन 2 से 3 घंटे तक अपनी खिड़कियां खुली रखें। पानी के स्रोत को ठीक रखें और हर शाम एक दीया जलाएं।