archive#शिवभक्ति

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अमलेश्वर वट-ग्वाल कथा

❖ अमलेश्वर वट-ग्वाल कथा ❖   श्री महाकाल अमलेश्वर धाम, खारून नदी तट, छत्तीसगढ़ कालखंड:प्राचीन युग के उत्तरार्ध — जब ऋषियों का तप और श्राप एक साथ लोक-जीवन को आकार देते थे। कथा का प्रारंभ एक समय अमलेश्वर धाम के समीपवर्ती गांवों में कुछ ग्वाले (ग्वाल-बाल)रहते थे — चंचल, हँसमुख, परंतु धर्म-विरुद्ध कृत्यों की ओर उन्मुख। वे महाकाल की तपस्थली में नित्य शोर करते, ऋषियों की समाधि भंग करते और वटवृक्ष की शाखाओं पर क्रीड़ा करते। धाम में उस समय एक *परम तपस्वी ऋषि "वरुणकेतु"* तपस्यारत थे, जिन्होंने सात पीढ़ियों...
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“निषाद कन्या और महाकाल का वरदान”

"निषाद कन्या और महाकाल का वरदान" बहुत समय पहले, जब खारून नदी अपने तटों पर शांति बिखेरती थी और श्रीअमलेश्वर महाकाल मंदिर तपस्वियों की साधना से गुंजायमान रहता था, उस वनांचल में एक निषाद कन्या नलिनी रहती थी। निषादों का जीवन कठिन था, पर नलिनी जन्म से ही अत्यंत तेजस्विनी, परम भक्त और सरल स्वभाव की थी। उसकी भक्ति महाकाल के प्रति इतनी गहरी थी कि वह प्रतिदिन खारून नदी में स्नान कर "ॐ नमः शिवाय" का जाप करते हुए अमलेश्वर धाम की परिक्रमा करती। एक बार, आषाढ़ की अंधेरी...
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तपस्वी विश्वामित्रः महाकाल-अमलेश्वरसंनिविष्टः

तपस्वी विश्वामित्रः महाकाल-अमलेश्वरसंनिविष्टः आत्मसम्मान-अपमानः प्राचीन काल में राजर्षि विश्वामित्र पूर्वतः कौशिक नाम धनुर्धरः आसीत्। एकदा ब्रह्मर्षि वशिष्ठेण सिद्धं गौसत्त्वं दृष्ट्वा तस्यैव गायत्री-शक्त्या निरर्थकत्वं अनुभूतवान्। वशिष्ठेण निर्गतं चण्डिका-वधं न शक्यतामिति तन्महात्म्ये विषण्णः। “किं मम क्षमतां वशिष्ठं विना?” इति चिन्तया हृदय कम्पितम्। श्लोकः (शार्दूलविक्रीटछन्दः, १९ मात्राः)* वशिष्ठगौकार्याद् मन्दोऽहं किंचित् भ्रान्तो हृदि मया । “कर्मज्ञोऽहं भव” इति संकल्प्य महाकालं समाश्रितः ॥ महाकाल-अमलेश्वराय संगमनिर्देशः स्वप्ने जग्मन् विश्वामित्रः महाकालं दैववत् प्रकटितं— “यदि ब्रह्मर्षिसमनं जीवन-बलं प्रापयितुम् इच्छसि, अमलेश्वरधामे तिमिरसन्निवेशं विस्मृत्य, चतुष्पदपूजनं कुरु, दिव्यज्ञानं लभिष्यसि।” सङ्कल्पसिद्ध्यर्थं प्रातःकाले ही राजर्षिः स्वयम्प्रकाशितं रथं त्यक्त्वा खारुनतीरं पारयित्वा अमलेश्वरगिरिगुहायामपहतः। चतुष्पद-पूजनम् एवं...
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श्री महाकाल अमलेश्वर प्राकट्य कथा

श्री महाकाल अमलेश्वर प्राकट्य कथा    प्रस्तावना छत्तीसगढ़ की भूमि — जहाँ खारून की धाराएँ शिवमंत्रों सी बहती हैं, वहाँ  अमलेश्वर के तट पर  महाकाल हर 131 वर्षों में प्रकट होते हैं। उनका लिंग न केवल पृथ्वी पर प्रतिष्ठित है, बल्कि वह आग्नेय ज्योति का स्वयंभू स्वरूप है — जिसे किसी ने स्थापित नहीं किया, जिसे किसी ने गढ़ा नहीं — वह *स्वयं अग्नि में प्रकट हुए शिव हैं। १. अघोर ऋषि और प्राचीन भविष्यवाणी बहुत पुरानी बात है — जब न खारून का पुल था, न रायपुर नगर, न...
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श्री महाकालाष्टकम्

श्रीमहाकालाष्टकम् प्रणम्य खारूनतीरसंस्थितमहाकालं परब्रह्मरूपं ज्वलज्जटाजूटगङ्गाधरं त्रिनयनं कालान्तकं नित्यशान्तम्। भवभयहारि मनोहरं मुनिवरैः सेव्यं समाधिस्थितं अमलेश्वरं शशिशेखरं शरणं महाकालमीडे सदा॥1 गले गजचर्मविभूषणं, भस्माङ्गरागं दिगम्बरं कपालपाणिं करालवक्त्रम्, करुणारसार्द्रं शमप्रदम्। विनाशनं भवरोगणां, विधिविष्णुसेव्यं शिवं परं स्मरान्तकं खड्गहस्तकं, महाकालनाथं नमाम्यहम्॥2 यः कालकालो युगान्तकृत्, सुरासुराणां विनाशकृत् समस्तलोकप्रपञ्चधारी, समाधिगम्यः सदा सुखी। स ऋद्धिदः सिद्धिदः शिवो, मनीषिणां मोक्षसाधनः स खारुनीयं महेश्वरः, नमामि देवं निरामयम्॥3 विक्रमदित्यप्रपूजितं शशिकल्पशुद्धं महामुनिभिः शङ्कराचार्यनिषेवितं, समराग्रणीभिः कथाश्रयम्। नरपतिनां वरदं सदा, सुरवृन्दवन्दितपादुकम् द्विजवरदं, शरणागतं, नमामि शंभुं अमोघकम्॥4 अमलधरा सुनीरा यस्य समीपे सदा वहति न जनपदं न नगरी, तपोवनं तदेव च। यत्र लिंगं स्वयंभूतं, नष्टकृतान्तदर्पणम् स तु...
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बुद्धि, सिद्धि, ऋद्धि, शांति, विघ्ननाश, लक्ष्मीप्राप्ति का अचूक उपाय

॥ गणपत्यथर्वशीर्ष पुरश्चरण विधि ॥ — यह अत्यंत पवित्र वैदिक स्तोत्र अथर्ववेद से उद्धृत है, और भगवान गणपति की वैदिक...
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आर्थिक संकटों से मुक्ति दिलाने वाली,चमत्कारी श्री सिद्धि कैसे करें

॥ वैभव प्रदाता श्रीसूक्तम् पुरश्चरण साधना विधि ॥ — यह साधना महालक्ष्मी की स्थायी कृपा, दरिद्रता का नाश, और वैभव-समृद्धि...
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श्री शिवस्तुतिः

  वन्दे देवमुमापतिं सुरगुरुं वन्दे जगत्कारणं (शम्भुमुमापतिं) वन्दे पन्नगभूषणं मृगधरं वन्दे पशूनां पतिम् । वन्दे सूर्यशशाङ्कवह्निनयनं वन्दे मुकुन्दप्रियं वन्दे भक्तजनाश्रयं...
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श्री शिवाष्टकं

प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं जगन्नाथनाथं सदानंद भाजां | भवद्भव्य भूतेश्वरं भूतनाथं शिवं शंकरं शंभुमीशानमीडे || १ || गळे रुंडमालं तनौ...
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 श्री शिवाष्टक 

 श्री शिवाष्टक  आदि अनादि अनंत अखंड अभेद अखेद सुबेद बतावैं । अलग अगोचर रूप महेस कौ जोगि-जति-मुनि ध्यान न पावैं...
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भूतनाथ अष्टकम्

  शिव शिव शक्तिनाथं संहारं शं स्वरूपम् नव नव नित्यनृत्यं ताण्डवं तं तन्नादम् घन घन घूर्णिमेघं घंघोरं घंन्निनादम् भज भज...
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लिङ्गाष्टकं स्तोत्र

लिङ्गाष्टकं स्तोत्र: ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् । जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥ 1 ॥ देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् । रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्...
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शिव पञ्चाक्षर स्तोत्रम्

॥ शिव पञ्चाक्षर स्तोत्रम् ॥ नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनायभस्माङ्गरागाय महेश्वराय। नित्याय शुद्धाय दिगम्बरायतस्मै न काराय नमः शिवाय॥1॥ मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चितायनन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय। मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजितायतस्मै म काराय नमः...
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 श्रीशिवरक्षास्तोत्रम्

॥ श्रीशिवरक्षास्तोत्रम् ॥ ॥ विनियोग ॥ श्री गणेशाय नमः॥ अस्य श्रीशिवरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य याज्ञवल्क्य ऋषिः॥ श्री सदाशिवो देवता॥ अनुष्टुप् छन्दः॥ श्रीसदाशिवप्रीत्यर्थं शिवरक्षास्तोत्रजपे...
mahakal dham amleshwar

श्री महाकाल अमलेश्वर स्तुति

पाठेन स्तोत्रस्य अमलेश्वरस्य, सदा महेशस्य कृपा प्रसन्ना। यस्यापि भाग्यं लघु वा दुरात्मा, तं सोऽपि कुर्यात् शिवतुल्यधीरम्॥ जो भी इस श्रीअमलेश्वर...