माणिक रत्न: जानिए माणिक रत्न के चमत्कारिक शक्तियां, कुंडली में सूर्य की कमजोर स्थिति को शक्तिपूर्ण बनाने के लिए माणिक्य धारण करते है
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य नारायण को ग्रहराज कहा गया है| इन्हीं के प्रताप से मानव जीवन का विकास होता है| जन्मकुंडली में सूर्य की कमजोर स्थिति को शक्तिपूर्ण बनाने के लिए सूर्यरत्न माणिक्य धारण के लिए परामर्श दिया जाता है, यह रत्न अत्यधिक मूल्यवान,शोभायुक्त और प्रभावशाली रत्न है| आज के परिवेश में आमतौर पर हर व्यक्ति रत्नों के चमत्कारी प्रभावों का लाभ उठा कर अपने जीवन को समृ्द्धिशाली व खुशहाल बनाना चाहता है, रत्न भाग्योन्नति में शीघ्रातिशीघ्र अपना असर दिखाते हैं, रत्न समृ्द्धि व ऎश्वर्य के भी प्रतीक होते हैं, अत: इनकी चमक हर व्यक्ति को अपने मोहपाश में बाँध अपनी ओर आकर्षित करती है, ज्योतिष शास्त्र के साथ-साथ चिकित्सीय जगत में भी रत्नों के प्रभावशाली लाभों को मान्यता प्राप्त है, यदि हम माणिक्य रत्न की बात करें तो यह एक बेहद खूबसूरत व बहुमूल्य रत्न होने के साथ-साथ अनेकों प्रभावशाली गुणों से भी युक्त है, माणिक्य रत्न जड़ित आभूषण हर उम्र के लोगों के व्यक्तित्व में चार-चाँद तो लगाते ही हैं, साथ ही साथ भीड़ से अलग एक बेहतरीन व राजसी पहचान भी प्रदान करते हैं, माणिक्य को माणक भी कहा जाता है.
यह एक अति बहुमूल्य रत्न है, संस्कृ्त भाषा में इसे लोहित, पद्यराग, शोणरत्न, रविरत्न, शोणोपल, वसुरत्न, कुरुविंद आदि नामों से भी जाना जाता है| माणिक्य अनेकों गुणों की खान है, माणिक धारण करने से व्यक्ति की इच्छाशक्ति और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है, आंतरिक सकारात्मक शक्ति और इम्युनिटी बढ़ती है| सामाजिक प्रतिष्ठा, यश और प्रसिद्धि की प्राप्ति होती है। माणिक धारण करने से व्यक्ति में प्रतिनिधित्व करने की शक्ति आती है तथा व्यक्ति की प्रबंधन कुशलता भी बढ़ जाती है परिस्थितियों को मैनेज करपाने में व्यक्ति सक्षम होता है।
माणिक धारण करने पर व्यक्ति के अंदर दबी हुई प्रतिभाएं उदित हो जाती हैं और व्यक्ति भय मुक्त होकर अपनी प्रतिभा का अच्छी प्रदर्शन कर पाता है। यह धारणकर्ता की शत्रुओं से रक्षा करता है, व्यक्तित्व को निखारता व कांति प्रदान करता है व बेहतरीन शारीरिक व मानसिक स्वास्थ प्रदान करता है, वैदिक ज्योतिष शास्त्र में इसके अनेकों गुणों की विवेचना की गई है, वैदिक ज्योतिष के अनुसार यदि जन्मकुंडली में सूर्य कमजोर हो तो माणिक्य रत्न अवश्य धारण करना चाहिये, ऐसी स्थिति में ये अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है!
माणिक्य रत्न-
माणिक्य रत्न लाल रंग की आभा लिये होता है। यह अन्य रंगों जैसे गुलाबी, काला और नीले रंग में भी पाया जाता है तथा यह अत्यंत कड़क होता है। पृथ्वी पर पाये जाने वाले खनिजों में सिर्फ हीरा ही इससे कठोर होता है। जिस माणिक्य रत्न पर सूर्य की पहली किरण पड़ते ही लाल रंग बिखेरने लगे वह सर्वोत्तम माना जाता है। उत्तम माणिक्य की पहचान है कि अगर इसे दूध में 100 बार डुबोते हैं तो दूध मे भी माणिक्य की आभा दिखने लगती है। अंधेरे कमरे में रखने पर यह सूर्य के समान प्रकाशमान होता है।
इसे पत्थर पर रगड़े तो इस पर घर्षण के निशान आ जाते हैं लेकिन वजन में कमी नहीं आती है। इस रत्न को व्यक्ति विशेष के लिए सूर्य की शुभाशुभ स्थिति जानकर ही माणिक धारण करने की सलाह दी जाती है । जिनकी कुण्डली में सूर्य लाभप्रद और प्रभावशाली हो, उन्हें माणिक धारण करना चाहिए, लेकिन जिन्हें सूर्य से कष्ट हो उन्हें संपूर्ण कुंडली का अध्ययन करके एवं जांच- परख करके ही माणिक धारण करना चाहिए। सूर्य की लाभप्रद महादशा में माणिक धारण करना चाहिए तथा हानिप्रद महादशा में सलाह लेकर धारण करना चाहिए।
रोगों में कारगर-
सूर्य रत्न माणिक्य बहुत से रोगों को ठीक करने में सक्षम है| ऐसी मान्यता है कि माणिक्य विष को दूर कर देता है| हृदय के सभी प्रकार के कष्टों अथवा रोगों में माणिक्य रत्न पहनना लाभदायक माना गया है| माणिक्य की पिष्टी और भस्म दोनों ही औषधि के रूप में प्रयोग में आते हैं| माणिक्य रक्तवर्धक, वायुनाशक, और उदरके रोगों में लाभकारी है| माणिक्य की भस्म के सेवन से आयु में वृद्धि होती है| इसमें वात-पित-कफ को शांत करने की शक्ति होती है|यह क्षय रोग, सिरदर्द, उदर शूल, चक्षु रोग, कोष्ठबद्धता दूर करता है| प्लेग से रक्षा करता है|दुःख से मुक्ति प्रदान करता है| और धारण करने वाले पर विपत्ति आने वाली हो तो उसका रंग बदल जाता है|
माणिक्य धारण करने की विधि-
माणिक्य की पहचान-
- माणिक्य रत्न को हाथ में लेकर देखें तो यह सोने की तरह भारी प्रतीत होता है|
- श्रेष्ठ माणिक्य में गुलाबी आभा होती है|
- रत्न पारखी तो माणिक्य को आँखों से देखकर शुद्धता एवं स्तर जान लेते हैं|
- माणिक्य से किसी पत्थर पर लकीर बनाई जाये तो लकीर बन जाती है लेकिन माणिक्य नहीं घिसता|
धारण करने से लाभ-
माणिक्य धारण करने वाले व्यक्ति को मान-सम्मान की प्राप्ति होती है| राजसत्ता एवं सरकारी क्षेत्रों से जुड़े कार्यों में सफलता हेतु भी इसे धारणकिए जाता है| यह रत्न उच्चाधिकार और पदोन्नति दिलाने में मदद करता है और इस रत्न को धारण करने से पिता-पुत्र के सम्बन्ध स्नेहपूर्ण बनते हैं|
माणिक्य के दोष-
माणिक्य धारण करते समय यह ध्यान रखना आवश्यक है कि माणिक्य पूर्ण रूपेण दोष रहित है, प्रायः माणिक्य दोष रहित काम मिलते हैं, पूर्ण दोष मुक्त माणिक्य अमूल्य होता है, इसका मूल्य कुछ भी हो सकता है माणिक्य में मुख्यतया ये दोष पाए जाते हैं|
- जिस माणिक्य में काले अथवा सफेद धब्बे हों वह माणिक्य श्रेष्ठ नहीं होता है|
- रेखाओं से युक्त माणिक्य भी धारण योग्य नहीं होता|
- माणिक्य यदि पारदर्शी नहीं है तो यह श्रेष्ठ फल नहीं प्रदान करता|
- चमक रहित माणिक्य रत्न धारण नहीं करना चाहिए|
- जिस माणिक्य में एक समान रंग न हो, देखने में हल्का, तो कहीं गहरा रंग दिखाई दे, ऐसा माणिक्य धारण करने योग्य नहीं होता|
किन लोगों को माणिक्य धारण करना चाहिए-
- यह माणिक्य रत्न कुंडली दिखाकर ही धारण करना चाहिए|
- मेष, सिंह और धनु लग्न में माणिक्य सर्वोत्तम होता है|
- कर्क, वृश्चिक और मीन लग्न में साधारण परिणाम देता है|
- वृषभ लग्न में विशेष दशाओं में माणिक्य धारण कर सकते हैं|
- अगर कुंडली नहीं है तो जरूरत के अनुसार माणिक्य धारण करें, परन्तु पहले इसकी जांच कर लें|
किन लोगों को माणिक्य धारण नहीं करना चाहिए-
- कन्या, मकर, मिथुन, तुला और कुम्भ लग्न में माणिक्य धारण करना खतरनाक हो सकता है|
- जिन लोगों को उच्च रक्तचाप या ह्रदय रोग है उन्हें बहुत सोच समझकर ही माणिक्य पहनना चाहिए|
- जिन लोगों का सम्बन्ध पिता के साथ ठीक नहीं है, उन्हें भी माणिक्य नुक्सान कर सकता है|
- जो लोग शनि से सम्बंधित क्षेत्रों में हैं, उन्हें भी माणिक्य धारण नहीं करना चाहिए|