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जानें,मंगल ग्रह के मूंगा रत्न…

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जानें,मंगल ग्रह के मूंगा रत्न…

उद्गम स्थान – मोती की तरह मूंगा भी समुद्र में पाया जाता है। अच्छे किस्म के मूंगे भुमध्य सागर के तटवर्ती क्षेत्र अल्जीरिया,ईरान की खाड़ी,स्पेन का समुद्र तट आदि।रत्न विशेषज्ञों के अनुसार मूंगा बनाने वाला समुद्री जन्तु एक लसीला चिपचिपा पदार्थ होता है। उचित वातावरण पाकर यह समुद्री जन्तु जल से कैलश्यिम कार्बाेनेट के कठोर एवं सख्त ढेर को निक्षिप्त करे देता है। मूंगा कुछ वर्षाें में परिपक्व होता है। किस स्थान का मूंगा अब पक कर तैयार हो गया है। यह बात मूंगा निकालने वालों को अच्छी तरह मालूम रहती है। समुद्र से निकालने के बाद मूंगा काटा जाता है। और विभिन्न साईजों के दाने बनाए जाते हैं। इटली का नेपल्स नामक स्थान इस उद्योग का एक मात्र स्थान है। मूंगे से सभी प्रकार के आभूषण बनाए जाते हैं; विशेषकर मालाएं,हार तथा अंगूठी बनाई जाती हैं।

विधि नाम – प्रवाल,विद्रूम,लतामणि,मुंगा,मिस्जान,कोरल

भौतिक गुण – मूंगा अपारदर्शक पत्थर है। मूंगा सफेद,गुलाबी,नारंगी,लाल और काले रंगों में मिलता है।इसका आपेक्षित घनत्व लगभग 2.6 होता है।कठोरता 3.5 से 4 तक उच्चकोटि की होती है। इसका वर्तनांक 1.486 तथा 1.658 है। इस तरह दुहरावर्तन बहुत अधिक होता है।

श्रेष्ट मूंगे के गुण – आयुर्वेद ग्रन्थों में श्रेष्ठ मूंगे की सात विशेषताएं बताई गई हैं।

1.गोलाकार 2.लम्बा 3. चिकना 4.गाढ़ा एवं व्रण रहित 5. मोटा 6. पके हुए बिम्बफल के समान

जिस मूंगे का रंग हिंगुल,सिन्दुर से मिलता -जुलता है,वह भी श्रेष्ठ माना जाता है।

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