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जानिए कब है अनंत चर्तुथी, शुभ मुहूर्त, पूजा- विधि और महत्व

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वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल अनंत चतुर्दशी का त्योहार 9 सितंबर को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त और पूजा विधि…

अनंत चतुर्दशी का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है। हर साल यह त्योहार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है, जो इस साल 9 सितंबर शुक्रवार को मनाया जाएगा। यह त्योहार भी भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है। इस दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है इसलिए इस पर्व का महत्व और बढ़ जाता है। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व…

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अनंत चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार चतुर्दशी तिथि वह 8 सितंबर को सुबह 9.02 से आरंभ होगी और 9 सितंबर 2022 को शाम 6:07 बजे तक रहेगी। वहीं शुभ मुहूर्त 9 सितंबर 2022 को सुबह 06.24 बजे से शाम 06:08 तक रहेगा। इस दौरान आप पूजा कर सकते हैं। वहीं इस साल अनंत चतुर्दशी के दिन रवि योग और सुकर्मा योग बने हुए हैं। पंचांग के मुताबिक इस दिन रवि योग सुबह 06 बजकर 02 मिनट से शुरू होकर सुबह 11 बजकर 34 मिनट तक है। वहीं सुकर्मा योग सुबह से शुरू होकर शाम 06 बजकर 11 मिनट तक है।

 

जानिए पूजा- विधि

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अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह जल्दी स्नान करके साफ- सुथरे कपड़े पहन लें। इसके बाद पूजा स्थल पर चौकी के ऊपर पीले रंग का कपड़ा विछाएं। इसके बाद भगवान विष्णु का चित्र या मूर्ति को चौकी पर स्थापित रखे। इसके बाद गंगाजल से स्वच्छ करें। भगवान विष्णु को पीले फूल और पीले रंग की मिठाई अर्पित करें। एक डोरी लेकर उसे हल्दी में रंगे और उसमें 14 गांठें बांधें।  इस सूत्रो भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने रखें। अब भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की पूजा करें और ‘अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव। अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।’ मंत्र का जाप करें। इसके बाद अनंत सूत्र को बाजू में बांध लें। इसके बाद पंचामृत का प्रसाद लगाकर अंत में सब लोगों में बांट दें।

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जानिए महत्व

शास्त्रों के अनुसार जब पांडव जुए में अपना सारा धन हार गए और उनके पास कुछ भी धन नहीं बचा तो युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से महालक्ष्मी को प्रसन्न करने का उपाय पूजा तो भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान विष्णु का पूजन कीजिए। तब से ही देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अनंत चतुर्दशी का व्रत रखा जाने लगा।