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एकाग्रता की कमी और कैरिअर

स्कूल षिक्षा तक बहुत अच्छा प्रदर्षन करने वाला अचानक अपने एजुकेषन में गिरावट ले आता है तथा इससे कैरियर में तो प्रभाव पड़ता ही है साथ ही मनोबल भी प्रभावित होता हैं अतः यदि आपके भी उच्च षिक्षा या कैरियर बनाने की उम्र में पढ़ाई प्रभावित हो रही हो या षिक्षा में गिरावट दिखाई दे रही हो तो सर्वप्रथम व्यवहार तथा अपने दैनिक रूटिन पर नजर डालें। इसमें क्या अंतर आया है, उसका निरीक्षण करने के साथ ही अपनी कुंडली किसी विद्धान ज्योतिष से दिखा कर यह पता करें कि...
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जीवन में आर्थिक कष्ट और खराब होते रिष्तें – आसान उपाय

जीवन में आर्थिक कष्ट और खराब होते रिष्तें - आसान उपाय - अर्थस्य अर्थोलोके अर्थात् इस अर्थ युगीन दुनिया में कहीं ना कहीं धन की बड़ी महत्ता समझ में आती है। चाहें वें पारिवारिक रिष्तें हों या सामाजिक जिम्मेदारियाॅ सबकुछ पैसों पर आश्रित होता है। आर्थिक पक्ष के कमजोर होने पर सभी आवष्यक कार्य में रूकावट आती हैं तो वहीं रिष्तें भी खराब होते ही हैं। कुंडली में लग्नेष एवं सप्तमेष का 6, 8 या 12 भाव में हो तो आर्थिक कष्ट या धन संबंधित कमी से जीवन बाधित होता...
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आर्थिक परेशानी का निवारण

वर्तमान दौर में प्रत्येक व्यक्ति को किसी ना किसी रूप में आर्थिक परेषानी तथा कमी का सामना करना पड़ता है। आज के आधुनिक दौर में सभी आवष्यक कार्यो जैसे दैनिक दैनिंदन कार्य, बच्चों की षिक्षा विवाह के लिए हो या मकान वाहन के लिए आर्थिक संकट हो सकता है। इन परिस्थितियों में कई बार कर्ज लेना जरूरी हो गया है। कई बार कुछ कर्ज आसानी से चुक जाते हैं तो कई कर्ज बोझ बढ़ाने का ही कार्य करते हैं। अतः यदि कर्ज लेते समय नक्षत्र, लग्न एवं राषि पर विचार...
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स्वतंत्र व्यवसाय हेतु ज्योतिष योग

स्वतंत्र व्यवसाय हेतु ज्योतिष योग - हर व्यक्ति अपना तथा परिवार का पालन उच्च स्तर पर करने का इच्छुक होता है। जहाॅ कई बार व्यक्ति सरकारी नौकरी के लिए उत्सुक होता है। वहीं कई जातक उच्च महत्वाकांक्षा तथा सुख-साधन की पूर्ति हेतु व्यवसाय करना चाहता है। जब तक जातक की कुंडली में ग्रहयोग व्यवसाय हेतु उपयुक्त ना हो, जातक को सफलता प्राप्त होने में बाधा होती है। प्रायः देखने में आता है कि कोई व्यवसाय बहुत लाभ देते हुए अचानक हानिदायक हो जाता है। अतः कुंडली के ग्रह योगों तथा...
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साथी से रिष्ता लाभ या सुख का, जाने ज्योतिष से –

साथी से रिष्ता लाभ या सुख का, जाने ज्योतिष से - प्रत्येक व्यक्ति की यह कामना होती है कि उसका साथी उसके लिए लाभकारी तथा सुखकारी हो, किंतु कई बार सभी प्रकार से अच्छा करने के बाद भी साथ वाला व्यक्ति आपके लिए दुख का कारक बन जाता है। ज्योतिष से जाने कि आपके साथी के के साथ व्यवहार कैसा होगा। किसी कुंडली के सप्तम भाव, सप्तमेष तथा सप्तमस्त ग्रह तथा नवांश के अध्ययन से मूलभूत जानकारी प्राप्त की जा सकती है। सप्तमभाव या सप्तमेष का किसी से भी प्रकार...
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मंगल की आक्रामकता

मंगल की आक्रामकता - भारतीय वैदिक ज्योतिष में मंगल को मुख्य तौर पर ताकत और आक्रमण का कारक माना जाता है। मंगल के प्रबल प्रभाव वाले जातक आमतौर पर दबाव से ना डरने वाले तथा अपनी बात हर प्रकार से मनवाने में सफल रहते हैं। मंगल से मानसिक क्षमता, शारीरिक बल और साहस वाले कार्यक्षेत्र होते हैं। मंगल शुष्क और आग्नेय ग्रह है तथा मानव के शरीर में अग्नि तत्व का प्रतिनिधि करता है तथा रक्त एवं अस्थि का प्रतीक होता है। मंगल पुरूष राषि को प्रदर्षित करता है। मकर...
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जया एकादषी व्रत

जया एकादषी व्रत - शुद्ध भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादषी को जया एकादषी के रूप में मनाया जाता है। इस एकादषी के व्रत को करने से अनेकों पापों को नष्ट करने में समर्थ माना जाता हैं। माना जाता है कि शुद्ध भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादषी को भगवान श्री कृष्ण ने भगवतगीता का उपदेष दिया था। इस दिन श्री कृष्ण ने कर्मयोग पर विषेष बल देते हुए अर्जुन को कर्मरत रहने का उपदेष दिया था। इस दिन भगवान श्री दामोदर की तथा भगवतगीता की पूजा का विधान है। इस व्रत...
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निरंतर जीवन में उन्नति हेतु केतु प्रमुख ग्रह

निरंतर चलायमान रहने अर्थात् किसी जातक को अपने जीवन में निरंतर उन्नति करने हेतु प्रेरित करने तथा बदलाव हेतु तैयार तथा प्रयासरत रहने हेतु जो ग्रह सबसे ज्यादा प्रभाव डालता है, उसमें एक महत्वपूर्ण ग्रह है केतु। ज्योतिष शास्त्र में राहु की ही भांति केतु भी एक छायाग्रह है तथा यह अग्नितत्व का प्रतिनिधित्व करता है। इसका स्वभाग मंगल ग्रह की तरह प्रबल और क्रूर माना जाता है। केतु ग्रह विषेषकर आध्यात्म, पराषक्ति, अनुसंधान, मानवीय इतिहास तथा इससे जुड़े सामाजिक संस्थाएॅ, अनाथाश्रम, धार्मिक शास्त्र आदि से संबंधित क्षेत्र का प्रतिनिधित्व...
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शुक्र का प्रभाव

शुक्र का प्रभाव  - ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को प्रमुखता प्राप्त है। कालपुरूष की कुंडली में शुक्र ग्रह दूसरे अर्थात् संपत्ति एवं सुख तथा सप्तम स्थान अर्थात् पार्टनर का स्वामी होता है। शुक्र ग्रह सुख, संपत्ति, प्यार, लाभ, यष, क्रियात्मकता का प्रतीक है। शुक्र ग्रह की उच्च तथा अनुकूल स्थिति में होने पर सभी प्रकार के सुख साधन की प्राप्ति, कार्य में अनुकूलता तथा यष, लाभ तथा सुंदरता की प्राप्ति होती है। इस ग्रह से जीवन में ऐष्वर्या तथा सुख की प्राप्ति होती है किंतु यदि विपरीत स्थिति या...
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कृष्ण जन्माष्टमी

कृष्ण जन्माष्टमी - भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि में भगवान विष्णु के आठवें अवतार के रूप में श्री विष्णु की सोलह कलाओं से पूर्ण अवतरित हुए थे। श्री कृष्ण का प्राकट्य आततायी कंस एवं संसार से अधर्म का नाष करने हेतु हुआ था। भविष्योत्तर पुराण में कृष्ण ने स्वयं युधिष्ठिर से कहा कि मैं वासुदेव एवं देवकी से भाद्रपक्ष कृष्णपक्ष की अष्टमी को उत्पन्न हुआ जबकि सूर्य सिंह राषि में एवं चंद्रमा वृषभ राषि में था और नक्षत्र रोहिणी था। जन्माष्टमी के व्रत तिथि दो प्रकार की हो सकती...
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श्रावणी पूर्णिमा – रक्षा का पावन पर्व

श्रावणी पूर्णिमा - रक्षा का पावन पर्व  - श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षा बंधन के रूप में मनाने की परंपरा हिन्दू धर्म में प्राचीन काल से है। प्राचीन समय में देवताओं और दानवों में बारह वर्ष तक घोर संग्राम चला। इस संग्राम में राक्षसों की जीत हुई और देवता हार गए। दैत्यराज ने तीनों लोकों को अपने वष में कर लिया तथा अपने को भगवान घोषित किया। दैत्यों के अत्याचारों से सभी लोकों में हाहाकार मच गया। तब भगवान इंद्र ने गुरू बृहस्पति से विचार कर रक्षा विधान करने...
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नाग पंचमी

नाग पंचमी - श्रावण मास की शुक्लपक्ष की पंचमी को नाग पंचमी के नाम से मनाया जाता है। इस दिन नागों का पूजन किया जाता है। इस दिन व्रत करके सांपों को दूध पिलाया जाता है। गरूड़ पुराण में उल्लेख है कि इस दिन अपने घर के दोनों किनारों पर नाग की मूर्ति बनाकर पूजन करना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचमी तिथि का स्वामी नाग है। अर्थात् शेषनाग आदि सर्पराजाओं का पूजन पंचमी के दिन किया जाता है। श्रावण मास को षिव का मास माना जाता है साथ ही...
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जीवनसाथी से अलगाव दूर करने का विकल्प

भगवान षिव के प्रिय मास सावन में किया गया षिव पूजन, व्रत तथा दान बहुत फलदायी होता है। शास्त्रों में षिव का मतलब कल्याण करने वाला बताया गया है। सावन मास के हर दिन में किए गए तप का अपना अलग ही महत्व होता है। श्रावण मास में सभी प्रकार के दुख दूर करने हेतु व्रत का विधान है इस हेतु जीवनसाथी से किसी बात पर अलगाव या विलगता की स्थिति को दूर करने हेतु सूर्य तथा पार्थिव पूजन का बहुत महत्व है। इसमें रविवार को ब्रम्ह मूहुर्त में स्नान...
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श्रावण में शनि की उपासना से जीवन की सफलता

श्रावण में शनि की उपासना से जीवन की सफलता- श्रावण का माह तप एवं दान का महिना माना जाता है। किसी जातक के जीवन में यदि कैरियर को लेकर भ्रम या परेषानी हो तो उसे शनि को पूजना चाहिए। शनि दया के व्यवहार से प्रसन्न होते हैं। वहीं निर्दयता, झूठ या पाखंड उनकी अप्रसन्नता का कारण होता है। श्रावण का महिना सभी प्रकार के पाप श्राप से मुक्ति कराने वाला तथा श्री की प्राप्ति कराने वाला महिना है। इस महिने में शनिवार के दिन घर की साफ-सफाई करके प्रातःकाल स्नान...
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श्रावणी चतुदर्शी व्रत की कथा

नारदजी ने एक बार भगवन से पूछा की पृथ्वीवासी आपको महादेव कृपा निधान कहते हैं किंतु इससे तो केवल आपके प्रिय भक्त ही तर पाते हैं। साधारण नर-नारी नहीं। इसलिए कोई ऐसा उपास बताइये जिससे साधारण नर-नारी भी आपकी कृपा के पात्र बन जाए। इस पर भगवान ने कहा कि नारद श्रावण मास में विषेषकर कृष्ण पक्ष की चतुर्दषी को जो नर-नारी व्रत का पालन करते हुए भक्तिपूर्वक मेरी पूजा करेंगे उनको स्वर्ग प्राप्त होगा। इस दिन जो भी किंचित मात्र भी मुझे स्मरण करेगा, उसे बैकुंठधाम प्राप्त होगा। Pt.P.S...
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श्रावणी शुक्रवार का व्रत – सुख एवं संपत्ति दायी

श्रावणी शुक्रवार का व्रत - सुख एवं संपत्ति दायी - ज्योतिष शास्त्र में कालपुरूष की कुंडली के अनुसार शुक्र सुख, संपत्ति तथा भोग की देवी मानी जाती है। पुराणों के अनुसार भी शुक्रवार को माता लक्ष्मी तथा संतोषीमाता का वार माना जाता है, जिसे सुख संपत्ति का कारक माना जाता है। यदि किसी के जीवन में सुख तथा वैभव में कमी हो तो उसे शुक्रवार का व्रत तथा माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। श्रावण का मास पाप तथा कष्ट को दूर करने का मास माना जाता है। अतः किसी...
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बृहस्पतेष्वर महादेव की उपासना से पायें विद्या तथा धन

बृहस्पतेष्वर महादेव की उपासना से पायें विद्या तथा धन - धार्मिक दृष्टि से गुरू यानि बृहस्पति को देवो का गुरू माना जाता है। ज्योतिष विज्ञान में गुरू को व्यक्ति के भाग्य का निर्णायक माना जाता है अतः गुरूवार के व्रत का बहुत महत्व है। सावन मास में गुरूवार व्रत में बृहस्पतेष्वर महादेव की उपासना की जाती है। जिनकी भी कुंडली में गुरू राहु से पीडि़त होकर विपरीत कारक हो, उन्हें बृहस्पतेष्वर महादेव की उपासना करने से लाभ प्राप्त होता है। जिन भी जातक के जीवन में विद्या तथा धन संबंधी...
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श्रावण में कालाष्टमी व्रत से पायें जीवन में सफलता

श्रावण में कालाष्टमी व्रत से पायें जीवन में सफलता - श्रावण मास की अष्टमी को कालाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यदि इस दिन बुधवार हो तो उसे बुधाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। भगवान षिव के भैरव रूप की पूजा इस दिन की जाने की प्रथा है। भगवान भोलेनाथ के भैरव रूप की पूजा या स्मरण मात्र से सभी प्रकार के पाप, दोष ताप तथा कष्ट दूर होते हैं। विषेष कर जिनकी कुंडली में बुध राहु से पीडि़त हो उसे कालाष्टमी का व्रत तथा पूजन अवष्य...
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श्रावण सोमवार व्रत

श्रावण सोमवार व्रत  - सेमवार व्रत में भगवान षिव के साथ माता पावर्ती तथा श्री गणेष की भी आराधना का महत्व है। जिसमें भगवान षिव का यथोपचार, विधि-विधान और पूजन सामग्री से पूजा की जाती है। शास्त्र विधान के अनुसार सोमवार के व्रत की अवधि सूर्योदय से सूर्यास्त तक हैं सोमवार का व्रत रखना अति श्रेष्ठ माना जाता है। सोमवार व्रत के पालन में तीन प्रमुख विधान हैं -इसमें नियमित वार व्रत के रूप में सोमवार व्रत,दूसरा सोलह सोमवार का व्रत तथा तीसरा सौम्य प्रदोष व्रत। फल की दृष्टि से...
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सावन मास में कीजिये शिव पूजन

भगवान षिव के प्रिय मास सावन में किया गया षिव पूजन, व्रत तथा दान बहुत फलदायी होता है। शास्त्रों में षिव का मतलब कल्याण करने वाला बताया गया है। सावन मास के हर दिन में किए गए तप का अपना अलग ही महत्व होता है। श्रावण मास में बीमारी या पीड़ा से राहत हेतु पार्थिव पूजन का बहुत महत्व है। इसमें रविवार को ब्रम्ह मूहुर्त में काले तिल को स्नान वाले जल में मिलाकर उससे स्नान करने के उपरांत पार्थिक पूजन के लिए गेहूॅ के आटे से 11 पार्थिव लिंग...
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गुरू पूर्णिमा व्रत –

गुरू पूर्णिमा व्रत हिन्दी मास की अंतिम तिथि को पूर्णिमा कहा जाता है इस दिन चंद्रमा का पूर्ण रूप होता है जिसका धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व माना गया है। चूॅकि भारतीय शास्त्र में चंद्रमा का महत्वपूर्ण स्थान माना गया है अतः पूर्णिमा को बहुत शुभ एवं मंगलकारी तिथि माना जाता है। पूर्णिमा के दिन स्नान, दान का विषेष महत्व दिया गया है और इस दिन धर्मकर्म करने से जीवन में पुण्य की प्राप्ति होने से जीवन के कष्ट होते हैं तथा सुखसमृद्धि प्राप्त होती है ऐसी मान्यता भारतीय दर्षन...
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ग्रह, नक्षत्र और आपसी रिष्तों

ग्रह, नक्षत्र हमारे आपसी रिष्तों पर अपना पूरा प्रभाव डालते हैं। इस संबंध में ज्योतिषषास्त्र में पर्याप्त जानकारी प्राप्त होती है। कुंडली में प्रत्येक ग्रह से कोई ना कोई रिष्ता जुड़ा होता है तथा प्रत्येक भाव से रिष्तेदारो की स्थिति की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। सूर्य से जहाॅ पिता तथा पितातुल्य संबंधों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है वहीं पर चंद्रमा से माॅ, मौसी तथा माता संबंधी रिष्तों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। मंगल से भाई तथा मित्रों के संबंध में जानकारी प्राप्त की जा...
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विवाह का सही समय और संयोग

विवाह का सही समय और संयोग - बदले और बदलते हुए परिवेष में विवाह एक चिंता का विषय है। ज्यादातर युवा और उनके अभिभावक कैरियर को प्राथमिकता देते हुए एजूकेषन तथा कैरियर के बारे में तो गंभीर होते हैं कि शादी संबंधी विचार टालते रहते हैं, जिसके कारण विवाह की उचित आयु कब निकल जाती है, पता भी नहीं चलता। स्वावलंबी बनने के फेर में साथ ही मनवांछित जीवनसाथी पाने की आष में अपना सामाजिक या आर्थिक स्थिति समकक्ष करने के कारण विवाह में देर कई बार विवाह में बाधा...
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कौन सा रिष्ता शुभ तथा लाभकारी होगा जाने अपनी कुंडली से

कौन सा रिष्ता शुभ तथा लाभकारी होगा जाने अपनी कुंडली से - ग्रह, नक्षत्र हमारे आपसी रिष्तों पर अपना पूरा प्रभाव डालते हैं। इस संबंध में ज्योतिषषास्त्र में पर्याप्त जानकारी प्राप्त होती है। कुंडली में प्रत्येक ग्रह से कोई ना कोई रिष्ता जुड़ा होता है तथा प्रत्येक भाव से रिष्तेदारो की स्थिति की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। सूर्य से जहाॅ पिता तथा पितातुल्य संबंधों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है वहीं पर चंद्रमा से माॅ, मौसी तथा माता संबंधी रिष्तों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।...
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उपयुक्त आयु में विवाह का योग

उपयुक्त आयु में विवाह का योग - बदले और बदलते हुए परिवेष में विवाह एक चिंता का विषय है। ज्यादातर युवा और उनके अभिभावक कैरियर को प्राथमिकता देते हुए एजूकेषन तथा कैरियर के बारे में तो गंभीर होते हैं कि शादी संबंधी विचार टालते रहते हैं, जिसके कारण विवाह की उचित आयु कब निकल जाती है, पता भी नहीं चलता। स्वावलंबी बनने के फेर में साथ ही मनवांछित जीवनसाथी पाने की आष में अपना सामाजिक या आर्थिक स्थिति समकक्ष करने के कारण विवाह में देर कई बार विवाह में बाधा...
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अक्षय तृतीया व्रत

अक्षय तृतीया व्रत - वैषाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया के रूप में मनया जाता है हमारे धर्मग्रंथों में बहुत से दुखों तथा द्रारिदयहरण का निवारण इस दिन पूजन करने से समाप्त होना माना जाता है। इस दिन व्रत तथा पूजन करने पर जीवन दुखरहित होकर सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति का कारण हेाता है। इस दिन स्नान कर भगवान षिव के पूजन का विधान है। प्रातःकाल किसी नदी या सरोवर पर स्नान कर भगवान शंकर, पार्वती और तुलसी की एक सौ आठ परिक्रमा करें और प्रत्येक...
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ग्रहों से जानें वैधव्य योग

स्त्री के जीवन में वैधव्य जीवन काटना बड़ा ही मुश्किल हो जाते है। यदि कम उम्र में पति की मृत्यु होजाए और स्त्री तो दो-तीन बच्चे हों, तो उसका जीवन बड़ा ही कष्टदायक होता है। हम यहाँ पर वर्षों केशोध का आंकलन प्रस्तुत कर रहे हैं, ताकि हमारे पाठक समझ सके कि किन ग्रहों के कारण वैधव्य योग बनता है। यदि इन वैधव्य ग्रहों के संबंध बनने पर संतान न हो, तो उसके जीवन में ऐसा अभिशाप जल्द देखने को नहीं मिलेगा।कोई भी व्यक्ति अमर जड़ी-बूटी तो खाकर नहीं आया...
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अच्छी कैरिअर और जीवन सुदृढ कैसे बनाएँ

आज के भौतिक युग में प्रत्येक व्यक्ति की एक ही मनोकामना होती है की उसे अच्छा कैरियर प्राप्त हो तथा उसकी आर्थिक स्थिति सुदृढ रहें तथा जीवन में हर संभव सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती रहे। किसी जातक के पास नियमित कैरियर के प्रयास में सफलता तथा आय का साधन कितना तथा कैसा होगा इसकी पूरी जानकारी उस व्यक्ति की कुंडली से जाना जा सकता है। कुंडली में दूसरे स्थान से उच्च षिक्षा तथा धन की स्थिति के संबंध में जानकारी मिलती है इस स्थान को धनभाव या मंगलभाव भी कहा...
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माॅ दुर्गाजी की आठवीं शक्ति “माॅ महागौरी”

माॅ दुर्गाजी की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी हैं। इनका वर्ण पूर्णतः गौर हैं। इस गौर वर्ण की उपमा स्वर्ण, चंद्र और कुंद के फूल से की गई है। इनकी आयु आठ वर्ष की मानी गई है। इनके समस्त वस्त्र, एवं आभूषण आदि श्वेत हैं। इनका वाहन वृषभ है, जिसका रंग भी श्वेत है। इनकी चार भुजाएॅ हैं दाहिने भुजा के उपर वाली भुजा में अभयमुद्रा नीचे में डमरू बायीं भुजा के उपर वाली भुजा में त्रिषूल और नीचे वरमुद्रा है। मुद्रा अत्यंत शांत व मनोहारी है। महाकाली के रूप...
Gods and Goddess

माॅ दुर्गा की सातवीं शक्ति “माॅ कालरात्रि “

माॅ दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं। इनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं। गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र हैं। ये तीनों नेत्र ब्रम्हाण्ड के सदृष गोल हैं। इनके विद्युत के समान चमकीली किरणें निःसृत होती रहती हैं। इनकी नासिका के श्वास-प्रष्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालाएॅ निकलती रहती हैं। इनका वाहन गर्दभ अर्थात् गदहा है। इनकी चार भुजाओं में से दाहिने ओर के उपर की भुजा में...
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