श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं के बारे में कौन नहीं जानता? अपनी बाल अवस्था में श्रीकृष्ण ने खूब माखन चुराया और गोपियों के संग मस्ती की। उन्होंने द्वापरयुग में भगवान विष्णु के आठवें अवतार के रूप में धरती पर जन्म लिया था। उन्होंने अपने बचपन में खूब लीलाएं की जिनका आज भी चित्रण और मंचन किया जाता है। अपने जीवन में श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान भी दिया और उनके उपदेशों ने मानव जीवन को कई गूढ़ रहस्यों से अवगत कराया। वैसे तो श्रीकृष्ण का सम्पूर्ण जीवन ही बेहद रोचक है लेकिन सबसे ज्यादा जिसे स्मरण किया जाता है वो है उनके बचपन की लीलाएं।
ऐसा कहा जाता है कि मथुरा के पास ‘निधिवन’ स्थित है जहां आज भी हर रात भगवान श्रीकृष्ण स्वयं आते हैं और गोपियों संग रास भी रचाते हैं। निधिवन घने पेड़ों का एक स्थान है जो वृंदावन में स्थित है। संगीत सम्राट रसिक स्वामी श्री हरिदासजी ने इसी स्थान पर अपनी साधना की थी। इसलिए इसे हरिदासजी की साधना स्थली कहा जाता है। वहीं यहां के लोगों का कहना है कि निधिवन में कोई भी मनुष्य रात में नहीं रुक सकता। इतना ही नहीं रात में इसकी तरफ देखने की भी इजाजत नहीं होती। निधिवन के आसपास जो घर हैं उन सभी की खिड़कियां और दरवाजे भी रात में बंद रखे जाते हैं। निधिवन से रात होते ही सभी को बाहर कर दिया जाता है।
ऐसा इसलिए है क्योंकि मान्यता है कि यहां हर रात खुद भगवान श्रीकृष्ण अपनी गोपियों संग रासलीला रचाने आते हैं। इसलिए इस तरफ देखने की मनाही है। लोगों का मानना है कि जो इस बात को नहीं मानता और इस तरफ देख भी लेता है तो फिर वह या तो अंधा हो जाता है या उसका दिमागी संतुलन खो जाता है। वहीं इस निधिवन के बारे में यह भी कहा जाता है कि यहां जो भी पेड़ हैं वह हकीकत में श्रीकृष्ण की गोपियां हैं। यह रात में अपने असली रूप में आती हैं और श्रीकृष्ण के साथ रास रचाती हैं। इस वन में एक ‘रंगमहल मंदिर’ भी स्थित है जिसे रात में बंद कर दिया जाता है। इस मंदिर को बंद करने से पहले इसमें मिठाई, दातून, पानी का बर्तन, पान और श्रृंगार आदि का सामान रखा जाता है।
लोगों का कहना है कि जब सुबह आरती के लिए मंदिर के द्वार खोले जाते हैं तब यहां बर्तन में रखा पानी खत्म रहता है। इसके अलावा जो दातून रखी जाती है वह भी गीली रहती है। इतना ही नहीं बिस्तर देख कर ऐसा लगता है जैसे यहां कोई सोया हुआ हो और कमरे का सारा सामन भी बिखरा हुआ रहता है। वहीं आधा खाया हुआ पान भी यहां रखा हुआ मिलता है।
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