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प्रश्न और ज्योतिष

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जीवन के रहस्य को सुलझाने के लिये प्राचीन काल से ही ऋषि मुनि तपस्वी साधु सन्त अपने अपने मत से जीवन के प्रकार को समझने और समझाने की कोशिश करते आये है.इन कोशिशो मे कई प्रकार के साधन प्रयोग मे लाये जाते रहे है और किसी भी साधन का प्रयोग समय से किया जाना ही मिलता है हमेशा के लिये कोई भी साधन कारगर नही हो पाया है,आज जो है वह कल नही रहता है और कल जो आता है वह परसो नही रहता है तथा कल जो था वह आज नही है,इस प्रकार से आज के बारे मे तो केवल इतना ही पता होता है कि अभी क्या चल रहा है लेकिन अगले ही पल क्या होने वाला है किसी को पता नही होता है। हजारो ईमेल आते है लोगो के हजारो सवाल रोजाना के होते है और जो भी सवाल होता है वह अक्सर जीवन मे चलने वाली परेशानी के कारणो से ही जुडा होता है.जब मन मे भ्रम पैदा हो जाते है और उन भ्रमो का कोई समाधान नही होता है तो व्यक्ति एक ऐसे कारण की तलाश मे निकलता है कि वह किस प्रकार से अपने भ्रम को निकाल सकता है,शरीर का कष्ट होता है डाक्टर भी अपने अनुभव के आधार पर ही रोग के बारे मे निश्चित करता है,और जब वह निश्चित हो जाता है तो रोग को दूर करने के दवाइयों के बारे मे अपने दिमाग का प्रयोग करता है.लेकिन रोग के बारे मे ही अगर डाक्टर के दिमाग मे ही भ्रम रह जाये तो रोग ठीक होने की बजाय कोई दूसरा रोग ही दवाइयों के प्रयोग के कारण पैदा हो सकता है.जैसे सिर दर्द हुआ तो सीधे से माना जाता है कि कोई गर्म सर्द चीज का प्रयोग कर लिया है या किसी प्रकार की बडी सोच को सामने लाकर अधिक सोच लिया है या कोई आंखो पर जोर देने वाली वस्तु को लगातार देखा गया है,लेकिन वही सिर दर्द पेट मे गैस बनने से भी हो सकता है,सिर मे किसी पुरानी चोट मे लगने के कारण भी हो सकता है,रोजाना की जिन्दगी मे किसी प्रकार की जद्दोजहद के कारण भी पैदा हो सकता है आदि बाते भी जानी जा सकती है.उसी प्रकार से ही ज्योतिष के अन्दर भी कई बाते एक साथ जानी जाती है कि व्यक्ति अपनी शंका को लेकर सामने आया है और वह अपनी शंका को जानना चाहता है लेकिन अपने प्रश्न को करने के बाद तो सभी शंका का समाधान दुनियावी रीति रिवाज से बता सकते है लेकिन जो मन के अन्दर बात चल रही है और पूंछने वाला अगर क्या जानना चाहता है वह अगर ज्योतिष से पता कर लिया जाये तो उसका समाधान भी बहुत जल्दी मिल सकता है,किसी के द्वारा प्रश्न को बताये जाने से उसे कई प्रकार से सोचा जा सकता है,और सोचने के बाद ज्योतिष से हटकर भी उत्तर दिया जा सकता है लेकिन प्रश्न को मानसिक रूप से समझने के बाद केवल उसके समाधान का विचार ही ज्योतिषी के दिमाग मे चलेगा और वह अपने समाधान को प्रश्न कर्ता के सामने प्रश्न के बाद मे रख सकता है। ज्योतिष का एक प्रकार और देखा जाता है कि समय का बताना अलग बात है और समय के अनुसार व्यक्ति को गलत समय से बचाना अलग बात है,अगर ज्योतिषी के अन्दर क्षमता है तो वह समय को बचाने के सटीक उपाय देगा और जातक अगर अमल करता है तो वह जरूर ही आने वाली या चलने वाली समस्या से मुक्ति को प्राप्त कर लेगा।
इस प्रश्न शास्त्र को दो प्रकार के रूपो मे देखा जाता है एक तो जो कह कर पूंछे जाते है और दूसरे जो मूक होते है इस प्रकार से वाचिक यानी वचन के द्वारा बताये गये है और दूसरे जो अपने मन मे तो प्रश्न को लेकर चल रहा है लेकिन कह नही रहा है,अथवा कहने वाले को सकुचाहट है कि वह इस प्रकार के प्रश्न कैसे कहे.मूक प्रश्न का उत्तर देना एक चमत्कारिक बात भी मानी जाती है और ज्योतिषी की गरिमा भी बढती है साथ ही प्रश्न कर्ता के साथ भी बहुत भला होता है.वैसे तो मूक प्रश्न के बारे मे बताना और समझना एक बहुत बडी बात मानी जाती है लेकिन ध्यान और मनन के बाद अगर इस विषय के बारे मे सीखा जाये और समझकर जीवन मे उपयोग मे लाया जाये तो वह बहुत ही सरल सा लगने लगता है.पांचवी शताब्दी के बाद से जितने भी ग्रंथ इस प्रकरण के प्रति मिले है बहुत ही कठिन और जटिल माने गये है लेकिन उस समय मे और आज के समय मे जमीन आसमान का फ़र्क भी देखने को मिलता है.
जब हम किसी प्रकार के कारण को समझने की कोशिश करते है तो हमारे अन्दर एक ही बात सामने आती है,यह क्यों हुआ कैसे हुआ और इसका परिणाम क्या होगा.इस बात मे कैसे हुआ इसका तो जबाब लिया जा सकता है जाना जा सकता है लेकिन क्यों हुआ इसका परिणाम जानने के लिये जातक के पीछे के कर्मो मे जाना पडेगा,इसके बाद क्या होगा इस बात को भी कई नजरियों से देखना पडेगा। भारत के अन्दर कई भाषाये है और सभी भाषाओ की जानकारी हर किसी को नही है सौ मे से अगर एक को कई भाषायें आती भी होंगी तो वह केवल एक विषय के बारे मे भी नही समझ सकता है कारण वह एक स्थान पर अगर कई भाषाओं का प्रयोग करने लग जाता है तो भाषा को समझने वाला कभी भी सही रूप मे नही समझ पायेगा कारण उसकी शब्दावली विचित्र हो जायेगी,यह बात वे लोग अच्छी तरह से जानते होंगे जो हिन्दी के साथ अंग्रेजी को सुनते आ रहे है।
प्रश्न शास्त्र ज्योतिष विद्या का एक महत्वपूर्ण अंग है यह तत्काल फ़ल बताने वाला शास्त्र है इसमे हमे तत्काल लगन और एवं ग्रह स्थिति के आधार पर व्यक्ति के दिमाग मे पैदा होने वाले प्रश्न और उसके शुभाशुभ फ़ल का विचार करने लगते है,इसके आधार पर कई तरह के ग्रंथ मिलते है और केरल का प्रश्न शास्त्र आपने देखा हो नही देखा हो लेकिन टीवी मे चन्द्रकांता नामक सीरियल मे रमल नामक शास्त्र का फ़ल कथन जरूर आपने देखा होगा!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!