महत्वाकांक्षी कल्पना
यह सत्य कथा है एक ऐसी कल्पना की जिसे बचपन से कल्पना लोक में विचरने का बहुत शौक था। अपने खिलौनों से खेलते हुए वह अपने कल्पना लोक में चली जाती और फिर घंटों उसी आनंद में डूबी रहती। उसके माता-पिता ने भी शायद इसीलिए उसका नाम कल्पना रखा होगा। कल्पना को बचपन में ही उसके मामा-मामी ने गोद ले लिया था क्योंकि उनकी कोई अपनी संतान नहीं थी। मामा-मामी के लाड़ प्यार में कल्पना बड़ी हुई। बचपन से ही उसे पेंटिंग का बहुत शौक था और वह कुछ न...