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Some Bhavas from parents followed in their children’s horoscope

Introduction: The personality of every human being evolves from infancy to old age beginning from the birth. Astrology unravels the pattern of such an evolution through the 12 bhavas of the horoscope. Starting from Lagna , various aspects of one’s life unfold in each of the twelve bhavas. Lagna signifies birth of the physical body and all its attributes like colour, stature, health, honour, etc . It is usually said that everything about a person is signified by Lagna. The second house not only signifies food, nourishment or the wealth...
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Mythology about Nakshtras and Navamansa

Nakshatras : According to mythology Nakshatras are the daughters of Daksha Prajapati. They were 27 in number and were married to Moon. The list of Nakshatras is available in Taittiriya Samhita (A.V 19.7) and also in the Shatapatha Brahmana. Each Nakshatra has one of the navagrahas as Lord and is totally governed by them. The order for the first 9 nakshatras are Ketu, Shukra(Venus), Surya(Sun), Chandra(Moon), Mangala(Mars), Rahu, Guru(Jupiter), Shani(Saturn) and Budha(Mercury). This cycle gets repeated two more times to cover all the 27 nakshatras. Based on this the Vimsottari...
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Mangal Dosh

Astrology reading and making of birth charts came into practice much later than the Vedic times. By that time chart making had become a general practice; not only had a lot of time elapsed but the culture, society and human values had changed. All over the world human societies were dependent on agriculture and manpower was used in all activities. It is an irony of fate that all the shastras or texts were written by men which favour him to the maximum as compared to women. The bias of men...
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Exaltation of planets

The fundamentals of Indian Astrology are the twelve signs and twenty-seven Nakshatras spread along the 360° Zodiac, seven planets and two Chayagrahas (Nodes). Except the Sun and Moon, the other five planets own two signs each. Being mathematical points, the Chayagrahas have no mass and hence no physical existence like other Grahas (planets). However, due to their profound effect on human affairs, these have been assigned the status of planets, though there is difference of opinion among the ancient Rishis about the ownership and exaltation signs of Rahu and Ketu....
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Can correct muhurat be the road to success

“Success, for its final conquest and glory ,depends entirely on the auspicious time at which the work begins…..When all the influences contained in time are well disposed, as they would be at the proper time, called Shubha Lagna and the planetary conjunctions are well arranged and disposed, the work begun – though under difficulties- will be helped by the invisible currents, which flow freely as the result of a good start time. Importance of time and its mysterious influences cannot be gauged, unless with the help of Astrology and when...
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बलारिष्ट योग

बालारिष्ट, यानी अवकाश में घूम रहे ग्रहों के जिस योग से बालक को अरिष्ट होता है, यानी जब किसी जातक का जन्म होता है, तब अवकाश में घूम रहे ग्रहों का कोई ऐसा योग बन जाये कि नवजात शुशु के आयुष्य, स्वास्थ्य पर उसका बुरा प्रभाव पड़े और बालक बारह साल की उम्र तक कष्टमय जीवन बिताये, या उसका जीवन बारह साल की आयु तक सीमीत रह जाए, तो इस योग को बालारिष्ट योग कहते हैं। ऋषि-मुनियों ने इस योग के बारे में उनके द्वारा लिखे गये ग्रंथों में जोर-शोर...
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परम पुण्यदायी और मोक्ष कारक ग्रह : केतु

छाया ग्रह केतु परम पुण्यदायी और मोक्ष कारक है। जिस ग्रह के साथ केतु बैठता है उसी के अनुसार कार्य करता है। सामान्यतः यह मंगल के समान कार्य करता है। केतु की अच्छी स्थिति के बिना मोक्ष प्राप्ति संभव नहीं है। कारकांश कुंडली से राजयोग: जिस प्रकार लग्नेश व पंचमेश के संबंध से राजयोग देखा जाता है, उसी प्रकार आत्मकारक और पुत्र कारक से राजयोग देखना चाहिए। आत्मकारक और पुत्रकारक दोनों लग्न या पंचम भाव में बैठे हों अथवा परस्पर दृष्ट हों अथवा उनमें किसी प्रकार का संबंध हो और...
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राजनीती में राहु का प्रभाव

जन्मकुंडली में सात ग्रहों के साथ दो छाया ग्रह राहु एवं केतु को भी उनके गोचर के अनुसार स्थापित किया जाता है। वैदिक युग में राहु ग्रह नहीं था, बल्कि एक राक्षस था। पौराणिक युग में उस राक्षस के दो भाग हो गये। समुद्र मंथन के पश्चात् मिले अमृत को देवताओं में बांटते समय धोखे से अमृतपान करने के पश्चात राक्षस का सिर भगवान श्री हरि विष्णु द्वारा सुदर्शन चक्र द्वारा धड़ से अलग हो गया। सिर-राहु में तथा धड़ केतु में अमर हो गया। पौराणिक गाथाआंे में राहु-केतु सर्प...
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कुंडली से मिलते है भाग्यशाली होने का संकेत

इस संसार में कुछ लोग अपने जीवन में जल्दी तरक्की कर जाते हैं जबकि कुछ लोगों को इसके लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है। कई बार इतना संघर्ष करने के बावजूद सफलता नहीं मिल पाती है। कुछ बहुत ही अमीर घर में पैदा होते हैं और कुछ लोग बहुत ही गरीब घर में। कुछ अमीर घर में पैदा होकर धीरे-धीरे गरीब हो जाते हैं और कुछ लोग गरीब घर में पैदा होकर धीरे-धीरे अमीर हो जाते हैं। कुछ लोग बहुत अच्छा पढ़ लिखकर बेरोजगार रहते हैं और कुछ लोग थोड़ा...
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जीवन को स्वस्थ रखने कुंडली का अध्ययन करवाएं

स्वस्थ न रहने के ज्योतिषीय कारण: जब आपकी कुंडली में लग्न, लग्नेश, चंद्र लग्न, चंद्र लग्नेश, सूर्य लग्न व सूर्य लग्नेश कमजोर या पीड़ित हो और किसी शुभ ग्रह का प्रभाव न हो तो जातक को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर आप अत्यधिक मोटापे से परेशान हैं तो क्या करें? - ऐसा अक्सर देखा गया है कि आप व्यायाम भी करते हैं, दौड़ भी लगाते हैं, खाना भी कम खाते हैं किंतु फिर भी आप मोटे होते चले जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में आप किसी...
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