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अंग लक्षण एवं सामुद्रिक का परस्पर सम्बन्ध

अंग लक्षण एवं सामुद्रिक का परस्पर संबंध  हस्त रेखा शास्त्र, अंग लक्षण विद्या तथा सामुद्रिक क्या ये तीनों एक ही हैं? अंग लक्षण विद्या एवं सामुद्रिक का परस्पर क्या संबंध है? हस्तरेखा विज्ञान को सामुद्रिक क्यों कहते हैं? मनुष्य का हाथ एक ऐसी जन्म पत्रिका है जो कभी भी नष्ट नहीं होती तथा जिसके रचयिता स्वयं ब्रह्माजी हैं। इसलिए शास्त्रों में कहा भी गया है- ''कराग्रे वसते लक्ष्मी, कर मध्ये सरस्वती। करमूले स्थितो ब्रह्मा, प्रभाते कर दर्शनम्॥ कर (हाथ) के अग्रभाग में लक्ष्मी, मध्य भाग में सरस्वती तथा मूल में...
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धन का साथ जाने हस्तरेखाओं से

जीवन की तीन  प्रमुख आवश्यकताएं रोटी, कपड़ा और मकान को प्राप्त करने के लिए पैसों की जरूरत होती है। इसके अलावा आज बदलते परिदृश्य में कर्द और साधन जीवन को सुंदर बनाते हैं। इनकी पूर्ति के लिए भी धन-दौलत की जरूरत पड़ती है। धन दौलत की इस जरूरत को पूरा करने के लिए व्यक्ति दिन रात पसीना बहाता है। व्यक्ति का ऐसा पसीना बहाना यह सिद्ध करता है कि जीवन एक संघर्ष है और जो इस संघर्ष से हटकर है वे नष्ट हो जाते हैं। जीवन के इस शाश्वत सत्य...
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जीवन रेखा

अक्षया जन्मपत्रियां ब्रह्मणा निर्मिता स्वयम्। ग्रह रेखाप्रदा यास्यां याववज्जीवं व्यवस्थिता।। अर्थात मनुष्य का हाथ ऐसी जन्मपत्री है जो कभी नष्ट नहीं होती। स्वयं ब्रह्मा जी ने इसे बनाया है। नस्ति हस्तात्परं ज्ञानं त्रेलोक्ये सचराचरे। यदब्रह्मा पुस्तकं हस्ते धृत बोधाय जान्मिनाय।। तीनों लोकों में हस्त ज्ञान सबसे बढ़कर है। इसकी रचना स्वयं ब्रह्मा जी ने की है। वास्तव में यह मनुष्य का मार्गदर्शन करती रहेगी। भारतीय ज्योतिष विज्ञान के अंतर्गत अंग लक्षण विज्ञान का अध्ययन किया जाता है और मनुष्य की शारीरिक संरचना एवं गुण-अवगुण का कथन किया जाता है। सामुद्रिक...
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हस्तरेखा द्वारा जाने विदेश यात्रा विचार

हाथ में चंद्र पर्वत मनोभावों का सूचक क्षेत्र होता है और चंद्र पर्वत से ही निकलने वाली तमाम आड़ी, तिरछी और खड़ी रेखाएं ‘यात्रा रेखाएं’ कहलाती हंै। यही वे रेखाएं होती हैं जिनके माध्यम से जातक के जीवन में होने वाली संभावित ‘विदेश यात्रा’ का आकलन किया जाता है। - चंद्र पर्वत से निकलने वाली यात्रा रेखाओं की स्थिति के आधार पर ही गंतव्य स्थान की दूरी का अनुमान लगाया जाता है। अर्थात रेखा यदि लंबाई में अधिक है तो लंबी दूरी की यात्राएं होंगी और रेखा यदि छोटी हों...
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विवाह रेखा एवं उसके फल

विवाह तय करते समय जन्मपत्री मिलान के अतिरिक्त हस्त रेखाओं का अध्ययन भी सावधानीपूर्वक करना चाहिए, क्योंकि जन्मपत्री जन्म समय का ठीक ठीक पता नहीं होने से गलत हो सकती है परंतु हस्त रेखा सही होती है। विवाह रेखा के अलावा भाग्य, आयु, हृदय और मस्तिष्क रेखाओं का गहन अध्ययन आवश्यक है। हस्त रेखा से विवाह का संभावित समय जानने के नियम यहां दिए जा रहे हैं। विवाह रेखा छोठी उंगली और हृदय रेखा के मध्य होती है। छोटी उंगली और हृदय रेखा की दूरी को चार समान भागों में...
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आपके हाथों में निवास स्थान

आपके हाथों में निवास स्थान अंगूठा छोटा और कम खुलने वाला हो, अंगुलियां टेढ़ी-मेढ़ी हों तो ऐसे व्यक्ति का निवास स्थान गंदी जगह पर होता है। जीवन रखाो और मस्तिष्क रखाो दानोें ही दोषपूर्ण हों अंगुलियां माटेी हों और अंगूठा कम खुलता हो तो इनके घर के पास गंदगी होती है और पड़ोसी भी अच्छे नहीं होते है। हाथ पतला, काला, कठोर, उबड़-खाबड़ हो, अगूंठा छाटो आरै अंगुलियां मोटी हों तो ऐसे व्यक्तियों का निवास स्थान गंदी जगह पर होता है, रहने की जगह तंग-गली में होती है और पड़ौसी...
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स्वभाव का दर्पण : हथेली

वैज्ञानिक अध्ययन से यह पता चलता है कि मस्तिष्क की मूल शिराओं का हाथ के अंगूठे से सीधा संबंध है। स्पष्टतः अंगुष्ठ बुद्धि की पृष्ठ भूमि और प्रकृति को दर्शाने वाला सबसे महत्वपूर्ण अंग है। बाएं हाथ के अंगूठे से विरासत में मिली मानसिक वृति का आकलन किया जाता है और दायें हाथ के अंगूठे से स्वअर्जित बुद्धि-चातुर्य और निर्णय क्षमता का अंदाजा लगाना संभव है। अंगूठे और हथेली का मिश्रित फल व्यक्ति को अपनी प्रकृति के अनुसार ढाल पाने में सक्षम है। व्यक्ति के स्वभाव और बुद्धि की तीक्ष्णता...
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हाथ की रेखाओं में राहु

सामान्यतः मंगल से निकलकर जीवन व भाग्य रेखा को काटकर मस्तिष्क रेखा को छूने या उसे भी काटकर हृदय रेखा तक जाने वाली रेखाएं, ‘राहु रेखा’ कहलाती है। हाथों में इनकी संख्या एक से लेकर तीन या चार तक होती हैं। मोटी ‘राहु रेखाएं’ अधिक महत्वपूर्ण होती हैं। ये रेखाएं दोषपूर्ण लक्षण हैं क्योंकि जिस आयु में ये मस्तिष्क-रेखा, भाग्यरेखा व जीवन रेखा को काटती हैं, परेशानी रहती है। जीवन रेखा को काटने पर कुटुम्ब, संतान तथा स्वास्थ्य, भाग्य रेखा को काटने पर जीवनसाथी को रोग व व्यापारिक चिंता तथा...
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होली का पर्व

होली का पर्व प्रतिवर्ष फाल्गुन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह दो भागों में विभक्त है। पूर्णिमा को होली का पूजन और होलिका दहन तथा फाल्गुन कृष्ण प्रतिपदा को रंग- गुलाल, कीचड़ आदि से होली। संपूर्ण त्योहारों में होली सर्वश्रेष्ठ है। स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने द्वारिकावासियों, ब्रजवासियों, अपनी रानियों, पटरानियों एवं आह्लादिनी शक्ति राधा के साथ होली का उत्सव मनाया है। स्वयं देवता भी इस आनंद में पीछे नहीं रहे। भगवान शंकर ने तो श्मशान की राख से ही होली खेल कर अपने को कृतकृत्य किया। होली...
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हस्त रेखा द्वारा जानें रियल एस्टेट में लाभ एवं हानि

हाथ की रेखाओं के द्वारा हर एक क्षेत्र को समझा तथा जाना जा सकता है। यदि आप रीयल एस्टेट में पैसा इनवेस्ट करना चाहते हैं, तो उससे पहले आपको अपने हाथ की रेखाओं का अध्ययन जरूरी है। यदि आपके हाथ में रेखाएं रीयल एस्टेट के हिसाब से ठीक हैं तो आप उससे फायदा उठा सकते हैं अन्यथा नहीं। यदि हाथ भारी, अंगुलियां चौकोर, ग्रह पर्वत सीधे खासकर शनि और मंगल के उठे हुए हों और जीवन रेखा गोल तथा भाग्य रेखा जीवन रेखा से दूरी पर हो तो रीयल एस्टेट...
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