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वैवाहिक जीवन में सुखी क्यूँ नहीं

विवाह को हिंदू समाज व धर्म में जन्म-जन्म का पवित्र व अटूट बंधन माना गया है। हमारी संस्कृति में विवाह को केवल दो व्यक्तियों के तन और मन के मिलन से बढ़कर दो परिवारों के आपस में धार्मिक सामाजिक, मानसिक व सांस्कृतिक मिलन का अपूर्व संगम माना गया है। भाग्य और ग्रह हमारे पक्ष में हो जायें तो शादी के समय जिस स्त्री पुरूष का विवाह अनचाहा और बेमेल भी हो तो भी गृहस्थी की राहों पर आते ही दोनों इतने संतुलित होकर समन्वय पूर्वक चलते हैं कि जीवन में...
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हस्तरेखा से जाने मोटापे की बीमारी के बारे में

आज के मशीनी युग में जन मानस की दिनचर्या भी एक मशीन के समान होकर रह गई है। हर व्यक्ति दन रात काम ही काम में लगा रहता है। समयाभाव के कारण वह प्रकृति प्रदत्त उपहारों जैसे स्वच्छ वायु, स्वच्छ जल, सूर्य की किरणों का सूर्य उदय के समय मिलने वाला प्रकाश और उष्णता, शुद्ध विटामिनों आदि के लाभ से वंचित रह जाते हैं। स्वच्छ वायु के बदले हम एअरकंडिशनर में रहना पसंद करते हैं, रात देर से सोते हैं और सुबह तब उठते हैं जब सूर्य की किरणें तीव्र...
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जानिए अपनी रुचि हस्त रेखाओं से

पांच प्रकार के हाथ पाये जाते है। ऐसे व्यक्ति सेना, वाहन उद्योग, इंजीनियरी, खदान, लखाो आदि के कायों में सफल रहते हैं। ऐसे व्यक्ति अच्छे समाज सेवक द्री हाते है।ं ऐसे व्यक्ति पुलिस के कार्य, खेल-कूद या अध्यापक का कार्य दक्षता से कर के उन्नति करते हैं। ऐसे व्यक्ति अद्रिनेता, संगीतकार, संपत्ति की खरीद-फरोखत, अतः सज्जा आदि कामों में उन्नति करते हैं। ऐसे व्यक्ति लेखाकार, प्रकाशक, ग्रथकार, योग के शिक्षक, सलाहकर बन कर उन्नति करते हैंं। ऐसे व्यक्ति विपणन प्रबंधक, आशुलिपिक, सचिव आदि कार्यों में उन्नति करते हैं। यदि गुरु...
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हस्तरेखा और बोलने की कला

अंगूठा लंबा हो, गुरु की अंगुली सूर्य की अंगुली से लंबी हो, हृदय रेखा साफ-सुथरी हो, मस्तिष्क रेखा शुरू व अंत में विभाजित हो, तो ऐसे लोगों की वाणी सम्मोहन का कार्य करती है- इनमें भाषा व बोलने की कला का अच्छा ज्ञान होता है। जिस प्रकार उठना बैठना, चलना फिरना प्रत्येक इंसान जानता है अगर हम इन क्रियाओं में शिष्टाचार का उपयोग करते हैं तो उसमें चार चांद स्वभाविक रूप से लग जाते हैं। ठीक उसी प्रकार बोलना तो हर कोई जानता है लेकिन बोलते समय अगर एक ‘भाषा...
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हस्तरेखा और विवाह मिलाप

हस्त रेखा के नियम और संयोग विवाह मिलाप करने में एक अहम भूमिका निभाते हैं। संपूर्ण हाथ का अध्ययन, पर्वत, चिह्न एवं रेखाओं का विष्लेषण वर एवं कन्या के विवाह मिलाप में सहायक होते हैं। इसके माध्यम से उन दोनों के शारीरिक, भावनात्मक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक व्यक्तित्व पर विचार करके उनके व्यावहारिक और व्यावसायिक योग्यताएं, उनके स्वास्थ्य एवं आयु गणना पर विचार किया जा सकता है। एक सुखमय एवं सुखद वैवाहिक जीवन के लिये निम्न तथ्यों पर विचार आवष्यक है- 1. वर-कन्या के स्वभाव एवं चरित्र अनुकूलता। 2. व्यावसायिक योग्यता...
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कुछ उपायों से बदली जा सकती है हस्तरेखा

हस्तरेखाओं से यह ज्ञात किया जा सकता है कि व्यक्ति को किस दिशा में प्रयास करना चााहिए कि उसकी आय के स्रोत सदैव खुले रहें, वह प्रगतिशील रहे और उसके कार्यों में कोई बाधा न आए। किंतु कई बार व्यक्ति ऐसा पेशा, व्यापार या नौकरी अपना लेता है जिससे वह अत्यंत मेहनत करने के पश्चात भी जीवन स्तर की सुधार नहीं पाता है। यहां हथेलियों में पाए जाने वाले अपूर्ण या दुष्प्रभाव वाले चिह्नों को शुभ चिह्नों में बदलने के उपायों का वर्णन प्रस्तुत है। - प्रशासनिक क्षेत्र में जाने...
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धन आने में रुकावट….जाने हाथ की रेखाओं से….

धन आगमन में रुकावटों का कारण होता है मनुष्य का हाथ अर्थात हाथों की लकीरें और हाथांे में स्थित निर्धनता के योग। आइये जानें इन रुकावटों का क्या संबंध है हाथों से: - भाग्य रेखा देर से शुरू हो रही हो, भाग्य रेखा मोटी और मस्तिष्क रेखा पर रुक गयी हो तथा हाथ में बहुत ही कम रेखाएं हों तो जीवन में कठिन संघर्ष करना पड़ता है, साथ ही कामकाज गति नहीं पकड़ पाता। - हाथ बहुत भारी न हो, सख्त हो और शनि ग्रह दबा हुआ हो तो अनियमित...
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हिन्दू मान्यताओं का वैज्ञानिक आधार

अनादि काल से ही हिंदू धर्म में अनेक प्रकार की मान्यताओं का समावेश रहा है। विचारों की प्रखरता एवं विद्वानों के निरंतर चिंतन से मान्यताओं व आस्थाओं में भी परिवर्तन हुआ। क्या इन मान्यताओं व आस्थाओं का कुछ वैज्ञानिक आधार भी है? यह प्रश्न बारंबार बुद्धिजीवी पाठकों के मन को कचोटता है। धर्मग्रंथों को उद्धृत करके‘ ‘बाबावाक्य प्रमाणम्’ कहने का युग अब समाप्त हो गया है। धार्मिक मान्यताओं पर सम्यक् चिंतन करना आज के युग की अत्यंत आवश्यक पुकार हो चुकी है। प्रश्न: माला का प्रयोग क्यों करते हैं? उत्तर:...
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सीमन्तोन्नयन संस्कार

तीसरा संस्कार ‘सीमन्तोन्नयन’ है। गर्भिणी स्त्री के मन को सन्तुष्ट और अरोग रखने तथा गर्भ की स्थिति को स्थायी एवं उत्तरोत्तर उत्कृष्ट बनते जाने की शुभाकांक्षा-सहित यह संस्कार किया जाता है। समय-पुंसवन वत् प्रथमगर्भे षष्ठेऽष्टमेवा मासे अर्थात् प्रथम गर्भ स्थिति से 6 ठे या आठवें महीने यह संस्कार किया जाता है। कोई इसे प्रथम गर्भ का ही संस्कार मानते हैं, कोई इसे अन्य गर्भों में कर्तव्य मानते हैं, परन्तु उनके मत में 6 ठे या 8 वें महीने का नियम नहीं है। ‘सीमन्तोन्नयन’ शब्द का अर्थ है ‘स्त्रियों के सिर...
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देवी पाठ विधि

जिस प्रकार से ''वेद'' अनादि है, उसी प्रकार ''सप्तशती'' भी अनादि है। श्री व्यास जी द्वारा रचित महापुराणों में ''मार्कण्डेय पुराण'' के माध्यम से मानव मात्र के कल्याण के लिए इसकी रचना की गई है। जिस प्रकार योग का सर्वोत्तम गं्रथ गीता है उसी प्रकार ''दुर्गा सप्तशती'' शक्ति उपासना का श्रेष्ठ ग्रंथ ह।ै 'दुर्गा सप्तशती'के सात सौ श्लोकों को तीन भागों प्रथम चरित्र (महाकाली), मध्यम चरित्र (महालक्ष्मी) तथा उत्तम चरित्र (महा सरस्वती) में विभाजित किया गया है। प्रत्येक चरित्र में सात-सात देवियों का स्तोत्र में उल्लेख मिलता है प्रथम चरित्र...
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गणेश साधना से ग्रह शांति

बुद्धि के विशेष प्रतिनिधि होने से गणपति का महत्व काफी बढ़ जाता है। विभिन्न धार्मिक क्षेत्रों में गणपति के विषय में विस्तृत वर्णन किया गया है। तंत्रशास्त्रों में भी इनकी महिमा का वर्णन है। सनातन संस्कृति के अनुयायी बिना गणेश पूजन किये कोई शुभ व मांगलिक कार्य आरंभ नहीं करते। निश्चित ही वह अति विशिष्ट ही होगा जिसने तैंतीस करोड़ देवताओं में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। गणेश महात्म्य : त्रिपुरासुर के वध के लिए जिसकी स्वयं महेश यानि भगवान शिव करते हैं, महिषासुर के नाश के लिए जिसकी तपस्या...
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भवन निर्माण कार्य एवं मुहूर्त

प्रत्येक प्रकार के औद्योगिक या रिहायशी उपयोग के भवनों के निर्माण का कार्य मिट्टी की खुदाई तथा नींव रखने जैसे अनेक चरणों से गुजरते हुए पूर्णता की स्थिति तक पहुंचता है। सहज पूर्णता के लिए व्यक्ति को शुभ तिथि, पक्ष, लग्न एवं वार आदि की यदि समुचित जानकारी हो तो कार्य सरल हो जाता है। इन सब पहलुओं पक्षों के बारे में विस्तृत और सरल जानकारी प्राप्त करने के लिए यह लेख उपयोगी है। निर्माणाधीन रिहायशी मकान या भवन सभी परिवारजनों के लिए तथा व्यावसायिक या औद्योगिक भवन कंपनी के...
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