व्याधिं मृत्यं भय चैव पूजिता नाशयिष्यसि। सोऽह राज्यात् परिभृष्टः शरणं त्वां प्रपन्नवान।। प्रण्तश्च यथा मूर्धा तव देवि सुरेश्वरि। त्राहि मां पùपत्राक्षि सत्ये सत्या भवस्य नः।। ”तुभ पूजित होने पर व्याधि, मृत्यु और संपूर्ण भयों का नाश करती हो। मैं राज्य से भृष्ट हूं इसलिए तुम्हारी शरण में आया हूं। कमलदल के समान नेत्रों वाली देवी मैं तुम्हारे चरणों में नतमस्तक होकर प्रणाम करता हूं। मेरी रक्षा करो। हमारे लिए सत्यस्वरूपा बनो। शरणागतों की रक्षा करने वाली भक्तवत्सले मुझे शरण दो।“ महाभारत युद्ध आरंभ होने के पूर्व भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों...
महाकालेश्वर व्रत का नियम किसी भी शिवरात्रि से लेने का विधान सर्वोत्तम है। द्वादश ज्योतिर्लिंगों (विश्वनाथ, वैद्यनाथ, रामेश्वर, मल्लिकाजर्नु , घुष्मेश्वर, नागेश, भीमशंकर, त्र्यंबकेश्वर, ओंकारेश्वर, सोमनाथ, केदारनाथ, महाकाल) में से एक ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर है, जो उज्जैन (अवन्तिका, विशाला, कनकश्रृंगा, कुमुद्वती, प्रतिकल्पा, कुशस्थली, अमरावती आदि नामों से भी शास्त्रों में वर्णित है) में स्थित है जहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। इस व्रत में शिव रात्रि से एक दिन पूर्व उज्जैन पधारकर नियमानुसार कामना सिद्धि या निष्काम भाव का संकल्प लेकर पूर्ण विधि-विधान के साथ त्रयोदशी/चतुर्दशी दोनों ही दिन उपवासादि...
भगवत प्राप्ति, भक्ति से ईश्वर की कृपा और उनके अनुग्रह से सुख आनंद की प्राप्ति है। आइए जानें, इस लेख के द्वारा कि यह सब कैसे प्राप्त किया जाय। भगवत प्राप्ति, भक्ति से ईश्वर की कृपा और उनके अनुग्रह से सुख आनंद की प्राप्ति आदि काल से मानव जीवन का लक्ष्य रहा है। आधुनिक परिवेश में इसे जानने के क्रम में, एक आकृति मस्तिष्क में आती है। विशाल कालिमा क्षेत्र के भाल पर मनमोहक श्याम की छवि। आकाश की ओर देखा जाये तो वह परिधि रहित कालिमा, नीला ब्योम दिखता...