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शक्ति का संचरण और शक्ति आराधना

संसार का कोई भी कार्य शक्ति के बिना संभव नहीं है चाहे वह छोटा हो या बड़ा। जिस प्रकार साइकल चलाने के लिए व्यक्ति को शारीरिक शक्ति की आवश्यकता होती है। उसी प्रकार संसार के संचालन के लिए भी शक्ति आवश्यक है। उत्पत्ति, स्थिति और प्रलय रूपी सृष्टि चक्र का संचालन अवश्य ही किसी महाशक्ति के अधीन है। समूचे ब्रह्मांड का नियमन और संचालन करने वाली जो अदृश्य ऊर्जा है, सूर्य आदि ग्रह-नक्षत्र जिसके प्रकाश से प्रकाशित होते हैं तथा जिसकी ऊर्जा से ही सब गतिमान है, उस ऊर्जा-शक्ति को...
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ज्योतिष में इश्वर प्राप्ति के योग

ज्योतिष में ईश्वर प्राप्ति के योगों के लिए सबसे पहले जन्मकुंडली के सबभावों में से प्रथम, पंचम व नवम भाव व भावेशों पर विचार करना चाहिए। इन भावों में जितनी शुभ ग्रहों की स्थिति या दृष्टि होगी जातक का विश्वास ईश्वरीय सत्ता में उतना ही अधिक होगा, जातक का ध्यान प्रभु में उतना ही अधिक लगेगा। पंचम भाव व नवम भाव का कारक गुरु होता है। गुरु ज्ञान का कारक, मंत्र विद्या का कारक, वेदांत ज्ञान का कारक, धर्म गुरु, ग्रंथ कर्ता, संस्कृत व्याकरण आदि का कारक होता है यदि...
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भारतीय संस्कृति में मौन व्रत

मौन व्रत भारतीय संस्कृति में सत्य व्रत, सदाचार व्रत, संयम व्रत, अस्तेय व्रत, एकादशी व्रत व प्रदोष व्रत आदि बहुत से व्रत हैं, परंतु मौनव्रत अपने आप में एक अनूठा व्रत है। इस व्रत का प्रभाव दीर्घगामी होता है। इस व्रत का पालन समयानुसार किसी भी दिन, तिथि व क्षण से किया जा सकता है। अपनी इच्छाओं व समय की मर्यादाओं के अंदर व उनसे बंधकर किया जा सकता है। यह कष्टसाध्य अवश्य है, क्योंकि आज के इस युग में मनुष्य इतना वाचाल हो गया है कि बिना बोले रह...
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मीरा की भक्ति

उनकी भक्तिमय जीवन की धारा किन-किन मोड़ों से निकलकर अपने आराध्य में विलीन हो गई उसका एक संपूर्ण चित्र इस लेख में प्रस्तुत किया गया है। कृष्ण भक्ति की अनन्य प्रेम भावनाओं में अपने गिरधर के प्रेम में रंग राती मीरा का दर्द भरा स्वर अपनी अलग पहचान रखता है। समस्त भारत उस दर्द दीवानी की माधुर्य भक्ति से ओत-प्रोत रससिक्त वाणी से आप्लावित है। अपने नारी व्यक्तित्व की स्वतंत्र पहचान निर्मित करने वाली तथा युग की विभीषिकाओं के विरूद्ध संघर्षशील विद्रोहिणी मीरा का जन्म राजस्थान में मेड़ता कस्बे के...
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वास्तु अनुसार पूजा स्थान का निर्माण कैसे कराएं

भवन में पूजा घर उत्तर-पूर्व में ही रखना क्यों अधिक लाभप्रद है ? पूजा घर हमेषा उत्तर-पूर्व दिषा अर्थात् ईषान कोण में ही बनाना चाहिए क्योंकि उत्तर-पूर्व में परमपिता परमेष्वर अर्थात ईष्वर का वास होता है। कहा जाता है कि देवी लक्ष्मी, भगवान विष्णु के साथ उत्तर-पूर्व म निवास करती हैं। साथ ही ईषान क्षेत्र में देव गुरू बृहस्पति का अधिकार है जो कि आध्यात्मिक चेतना का प्रमुख कारक ग्रह है। प्रातःकाल उत्तर-पूर्व भाग या ईशान कोण में पृथ्वी की चुम्बकीय ऊर्जा, सूर्य ऊर्जा तथा वायु मंडल और ब्रह्मांड से...
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दाह संस्कार :अंतिम संस्कार

हिंदू धर्म में मृत्यु को जीवन का अंत नहीं माना गया है। मृत्यु होने पर यह माना जाता है कि यह वह समय है, जब आत्मा इस शरीर को छोड़कर पुनः किसी नये रूप में शरीर धारण करती है, या मोक्ष प्राप्ति की यात्रा आरंभ करती है । किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद मृत शरीर का दाह-संस्कार करने के पीछे यही कारण है। मृत शरीर से निकल कर आत्मा को मोक्ष के मार्ग पर गति प्रदान की जाती है। शास्त्रों में यह माना जाता है कि जब तक मृत...
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