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Disease cured by gems

Joint Pain : The inflammation in joints is caused by the deposition of uric acid in various parts of the body, especially in cartilage inside the joints. Astrologically the planet Saturn is the agent for development of Arthritis if posited in 6th house and aspected by Mars. Capricorn and Sagittarius governs knee, joints and hips. Gem Therapy : Use red coral in 9 ratti and yellow sapphire in 5 rattis warn on fourth finger (kanistha). Asthma : It is very serious disease. The bronchial tubes are narrowed by spasmodic contractions...
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Why do horoscope matching before marriage????

According to Hindu scriptural texts marriage is a religious relationship. It shouldn’t be considered as an ordinary relationship. The mental, physical, intellectual and religious features of bride and groom should be matched necessarily. Only mental compatibility is not enough because if other elements don’t match and are inimical to each other in that case marital relation can turn into a painful experience. Our ancient Rishis laid down several rules for public welfare with the help of their divine vision, experience, the extensive investigation and research. We can succeed in arranging...
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विवाह के समय कुंडली मिलन की सार्थकता

मनुष्य सामाजिक प्राणी है और समाज का निर्माण परिवार से होता है। परिवार का निर्माण दो व्यक्तियों के मिलन से होता है। इस मिलन को हम विवाह कहते हैं। परिवार समाज की मूलभूत इकाई है। एक स्वस्थ व खुशहाल परिवार ही एक स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकता है। भारतीय विवाह पद्धति ही सिर्फ एक ऐसी पद्धति है जिसमें विवाह योग्य लड़के व लड़की की जन्म तिथि व समय के आधार पर कुंडलियां बनाकर उनका मेलापक करके विवाह की अनुमति देते हैं। कुंडली मिलान में 36 गुण होते हैं जिनमें...
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जन्म दशा से जुड़ा पंचम, नवम व द्वादश भावों का संबंध

हिंदू ज्योतिष कर्म तथा पुनर्जन्म के सिद्धांत पर आधारित है। यह तथ्य प्रायः सभी ज्योतिषी तथा ज्ञानीजन अच्छी तरह से जानते हैं। मनुष्य जन्म लेते ही पूर्व जन्म के परिणामों को भोगने लगता है। जैसे फल फूल बिना किसी प्रेरणा के अपने आप बढ़ते हैं उसी तरह पूर्वजन्म के हमारे कर्मफल हमें मिलते रहते हैं। हर मनुष्य का जीवन पूर्वजन्म के कर्मों के भोग की कहानी है, इनसे कोई भी बच नहीं सकता। जन्म लेते ही हमारे कर्म हमें उसी तरह से ढूंढने लगते हैं, जैसे बछड़ा झुंड में अपनी...
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पुलिस विभाग में नौकरी

सामान्यतः कहा जाता है कि रुचक योग में जन्म लेने वाला जातक साहसी, नेतृत्वकर्ता, यशस्वी, प्रभावशाली व्यक्तित्व वाला, शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला, उद्यमशील, लीक से हटकर चलने वाला और परिश्रमी होता है। वस्तुतः अन्य योगों की भांति रुचक योग भी लग्न, भाव एवं भावेश के अनुरूप तथा मंगल की नक्षत्रीय स्थिति के अनुरूप फल देता है। मंगल को दशम भाव में विशेष बली माना जाता है। दशम भावगत उच्चस्थ मंगल से कुलदीपक योग की रचना होती है। हालांकि मंगल को अनिष्टकारी ग्रह माना गया है लेकिन किसी भी...
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संतान सुख में बाधा तो क्या करें

शास्त्र कहता है ‘अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभम’ अर्थात मनुष्य को अपने किए गए शुभ-अशुभ कर्मों के फलों को अवश्य ही भोगना पड़ता है। शुभ-अशुभ कर्म मनुष्य का जन्म जन्मांतर तक पीछा नहीं छोड़ते। यही तथ्य बृहतपाराशर होरा शास्त्र के पूर्वशापफलाध्याय में स्पष्ट किया गया है। इस अध्याय में मैत्रेय जी महर्षि पाराशर से पुत्रहीनता का कारण और उसकी निवृत्ति का उपाय जानना चाहते हैं। मैत्रेय जी कहते हैं- ‘पुत्रहीन व्यक्ति को सद्गति नहीं मिलती, ऐसा शास्त्रों में कहा गया है। अतः कृपया कहें कि पुत्रहीनता किस पाप के कारण...
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Sun in twelve houses

1st House:- Tall body, nose and forehead high, well proportioned body. Mentally disturbed with spouse and members of in-laws. Fond of tourism, foreign travel. Establishment away from homeland. Financial ups and downs. Gets angry very soon, self-respect, brave, courageous, playful. Problems in marriage. Ambitious,body ache, injury in head, weak eyesight, bald-headed.Whimsical, apprehensive, suspicious. Loss of wealth and property and therefore assets keep on varying. Health problems at the age of 15, mostly suffers from eczema.If debilitated, marriage not possible before age of 24, loss of wealth and son, loss of...
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Each house of the horoscope signifies certain aspects of life

Each house of the horoscope signifies certain aspects of life which are as under:- First House:- Body, appearance, personality, face, health, character, temperament, intellect, longevity, fortune, honour, dignity, prosperity. Second House:- Wealth, family, speech, right eye, nail, tongue, nose, teeth, ambition, food, imagination, power of observation, jewellery, precious stones, unnatural sex, loss by cheating and violence between life partners. Third House:- Younger brothers and sisters, cousins, relatives, neighbors, courage, firmness, valour, chest, right ear, hands, short journeys, nervous system, communication, writing – editing books, reporting to newspapers, education, intellect. Fourth...
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आयु निर्धारण

ज्योतिष, हस्तरेखा शास्त्र या अन्य विधाओं द्वारा मृत्यु का कारण व सटीक आयुनिर्णय कैसे किया जा सकता है? हिंदुओं कि मान्यता के अनुसार बालक की आयु का निर्धारण माता के गर्भ में ही हो जाता है। यह बड़े गौरव कि बात है कि ज्योतिष शास्त्र में आयु निर्धारण विषय पर व्यापक चिंतन किया गया है। यह एक कठिन विषय है। ज्योतिष शास्त्र में अविरल शोध, अध्ययन व अनुसंधान कार्य में जी जान से जुड़े हजारों, लाखों ज्योतिषी इस दिव्य विज्ञान के आलोक से जगत को आलौकिक कर पाएं है। महर्षि...
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कर्म और भाग्य

ज्योतिष कर्म एवं भाग्य की सही व्याख्या करता है। प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्मों के आधीन रहता है इसलिए उसे कर्म अवश्य करना है और जीवन का सार यही है। प्रत्येक कर्म का प्रतिफल होता है- यह एक सर्वमान्य सत्य है। वैदिक विचारधारा यह बताती है कि कर्म और उसका प्रतिफल एक साथ कार्य नहीं करते। हमें अकसर किसी कर्म का फल बहुत अधिक समय के बाद फलित होता दिखाई देता है। कर्म और कर्मफल को जानना एक गुप्त रहस्य है। इसे केवल ज्योतिष के आधार पर जाना जा सकता है।...
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जाने कुंडली से शनि आपका मित्र या शत्रु

शनि को लंगड़ा ग्रह भी कहते हैं क्योंकि यह बहुत ही धीमी गति से चलता है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है कि इंद्रजीत के जन्म के समय में रावण ने हर ग्रह को आदेश दिया था कि वे सबके सब एकादश भाव में रहें। इससे जातक की हर इच्छा की पूर्ति होती है। शनि भी एकादश भाव में बहुत बढ़िया प्रभाव देता है; उतना ही बुरा प्रभाव द्वादश में देता है। शनि मोक्ष का कारक ग्रह, मोक्षकारक द्वादश में हो तो इससे बुरा फल और क्या हो सकता है?...
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उदर रोग: ज्योतिष्य दृष्टिकोण

उदर शरीर का वह भाग या अंग है जहां से सभी रोगों की उत्पत्ति होती है। अक्सर लोग खाने-पीने का ध्यान नहीं रखते, परिणाम यह होता है कि पाचन प्रणाली गड़बड़ा जाती है जिससे मंदाग्नि, अफारा, कब्ज, जी मिचलाना, उल्टियां, पेचिश, अतिसार आदि कई प्रकार के रोग उत्पन्न होते जाते हैं जो भविष्य में किसी बड़े रोग का कारण भी बन सकते हैं। यदि सावधानी पूर्वक संतुलित आहार लिया जाये तो पाचन प्रणाली सुचारू रूप से कार्य करेगी और हम स्वस्थ रहेंगे। उदर में पाचन प्रणाली का काय भोजन चबाने...
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मंगल दोष के उपाय

मंगल स्तोत्र का जाप मंगल दोष परिहार में इस जाप का विशेष महत्व है। यदि कोई अन्य उपाय कर रहे हैं तो साथ में इस स्तोत्र का जाप जरूर करें। मंगलवार को इस स्तोत्र का पाठ विषम संख्या में 5-11-21 बार अवश्य करें। यह जाप शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार को शुरू किया जा सकता है। विष्णु प्रतिमा विवाह यह उन कन्याओं के लिये है जिनकी कुंडली में यह दोष है। यदि किसी कन्या की कुंडली में यह दोष है तो उसे वैधव्य भोगना पड़ता है। इसलिये पीपल विवाह, कुंभ...
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शनि ग्रह का गोचर का प्रभाव

शनि ग्रह सबसे बड़े व धीमी गति के होने के कारण धरती पर अपना सबसे ज्यादा प्रभाव डालते हैं। गोचर में भ्रमण करते हुये ये एक साथ 6 राशियों पर अपना नियंत्रण रखते हैं जिस कारण इनका फलित ज्योतिष में अपना अलग ही महत्व रहता है। अनुभवों से ज्ञात होता है कि शनि, मंगल व राहु गोचर में अपना शुभ फल लग्न से 62 अंश के बिन्दु पर होने पर देते हैं जबकि अन्य अंशों के बिन्दु में होने पर ये सभी ग्रह अपना अशुभफल प्रदान करते हैं। गुरु ग्रह...
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नीच ग्रह की शुभता

प्रायः ऐसी धारणा है कि नीच ग्रह हमेशा अशुभ फल ही देते हैं, जबकि वास्तविकता इससे भिन्न है। हो सकता है कुछ मामलों में नीच ग्रह नकारात्मक परिणाम देते हों, पर हमेशा ऐसा नहीं होता है। उदाहरणस्वरूप हम शनि ग्रह को लेते हैं। यह एक राशि में ढाई वर्ष रहता है। स्वाभाविक है यह अपनी उच्च राशि तुला में ढाई वर्ष तक रहेगा व नीच राशि मेष में भी ढाई वर्ष रहेगा। तो क्या इसके उच्च के होने की अवस्था में जन्म लेने वालों पर हमेशा शनि की कृपा बरसेगी...
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आर्ष पद्धति

वैदिक ग्रंथों तथा वेदांग ज्योतिष का अध्ययन करने से स्पष्ट होता है कि भारत में नक्षत्र ज्ञान अपने उत्कर्ष पर रहा है। इसी कारण नक्षत्र ज्ञान तथा नक्षत्र विद्या का अर्थ ‘ज्योतिष’ माना जाने लगा। ज्योतिष का प्रचलित अर्थ हुआ वह षास्त्र जिसमें ज्योति का अध्ययन हो। वास्तव में ज्योतिष नक्षत्र आधारित विज्ञान ही है। ज्योतिष के तीनों स्कंधों-गणित, फलित तथा संंिहता पर नक्षत्रों का वर्चस्व है। वैदिक काल में काल निर्णय नक्षत्रों के माध्यम से किया जाता था। वर्तमान में फलित ज्योतिष में किसी जातक का षुभाषुभ ज्ञात करने...
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मानव जीवन में ज्योतिष शास्त्र का प्रभाव

ज्योतिष शास्त्र का मानव जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। ईश्वर ने प्रत्येक मानव की आयु की रचना उसके पूर्व जन्म के कर्मों के अनुसार की है, जिसे कोई भी नहीं बदल सकता विशेषरूप से मनुष्य के जीवन की निम्नांकित तीन घटनाओं को कोई नहीं बदल सकता: 1. जन्म 2. विवाह 3. मृत्यु। ज्योतिष विद्या इन्हीं तीनों पर विशेष रूप से प्रकाश डालती है, यद्यपि इन तीनों के अतिरिक्त जीवन से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण बिदुओं से भी संबंधित है। कारण है कि यह एक ब्रह्म विद्या है। ज्योतिष शास्त्र को...
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पुष्य नक्षत्र

पुष्य नक्षत्र कर्क राशि के 3-20 अंश से 16-40 अंश तक है। यह नक्षत्र सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। सौरमंडल में इसका गणितीय विस्तार 3 राशि, 3 अंश, 20 कला से 3 राशि, 16अंश, 40 कला तक है। यह नक्षत्र विषुवत रेखा से 18अंश, 9 कला, 56विकला उत्तर में स्थित है. मुख्य रूप से इस नक्षत्र के तीन तारे हैं, तो तीर के समान आकाश में दृष्टिगोचर होते हैं। इसके तीर की नोंक अनेक तारा समूहों के पुंज के रूप में दिखाई देती है. पुष्य को ऋग्वेद में तिष्य अर्थात शुभ...
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मूर्तिकला का अनूठा केंद्र: मल्हार

मल्हार नगर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में अक्षांक्ष 21०-90० उत्तर तथा देशांतर 82०-20० पूर्व में 32 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। बिलासपूर से रायगढ़ जाने वाली सडक़ पर 18किलोमिटर दूर मस्तूरी है। वहां से मल्हार, 14 कि. मी. दूर है। कोशाम्बी से दक्षिण-पूर्वी समुद्र तट की ओर जाने वाला प्राचीन मार्ग भरहुत, बांधवगढ़, अमरकंटक, खरौद, मल्हार तथा सिरपुर ( जिला रायपुर) से होकर जगन्नाथपुरी की ओर जाता था। मल्हार के उत्खनन में ईसा की दूसरी सदी की ब्राम्ही लिपी में आलेखित एक मृमुद्रा प्राप्त हुई है, जिस...
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वास्तुशास्त्र में दर्पण का महत्व

वास्तुशास्त्र में दर्पण को उत्प्रेरक बताया गया है, जिसके द्वारा भवन में तरंगित ऊर्जा की सृष्टि सुखद अहसास कराती है। इसके उचित उपयोग द्वारा हम अनेक लाभजनक उपलब्धियां अर्जित कर सकते हैं। कैसे, आइए जानें- * भवन के पूर्व और उत्तर दिशा व ईशान कोण में दर्पण की उपस्थिति लाभदायक है। * भवन में छोटी और संकुचित जगह पर दर्पण रखना चमत्कारी प्रभाव पैदा करता है। * दर्पण कहीं भी लगा हो, उसमें शुभ वस्तुओं का प्रतिबिंब होना चाहिए। * दर्पण को खिडक़ी या दरवाजे की ओर देखता हुआ न...
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