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वास्तुनियम से बनाएं अपना घर और सुखी जीवन जियें - उत्तर दिशा जल तत्व की प्रतीक है। इसके स्वामी कुबेर हैं। यह दिशा स्त्रियों के लिए अशुभ तथा अनिष्टकारी होती है। इस दिशा में घर की स्त्रियों के लिए रहने की व्यवस्था नहीं होनी चाहिए। - उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र अर्थात्‌ ईशान कोण जल का प्रतीक है। इसके अधिपति यम देवता हैं। भवन का यह भाग ब्राह्मणों, बालकों तथा अतिथियों के लिए शुभ होता है। - पूर्वी दिशा अग्नि तत्व का प्रतीक है। इसके अधिपति इंद्रदेव हैं। यह दिशा पुरुषों के शयन...
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राशियों में केतु का प्रभाव प्रत्येक ग्रह परिभ्रमण करते हुए द्वादश राशियों पर विराजमान रहते हैं। मेष से मीन तक। केतु किस राशि पर स्थित है तो क्या प्रभाव देगा, जानिए। मेष : यदि केतु जातक की कुंडली में मेष राशि पर विराजमान है तो भौतिकवादी, धन संग्रह करने वाला, स्वार्थी, लोभी, चंचल बहुभाषी सुखी के साथ जातक के चेहरे पर चेचक के दाग होंगे। वृषभ : वृषभ राशि पर यदि केतु स्थित है, तो जातक तीर्थ में धार्मिक पर्वों में रु‍चि लेने वाला, आलसी, उदार, दानी तथा जातक परोपकारी...
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भयानक दुखदायी योग ?????? केमद्रुम योग!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में बनने वाले विभिन्न प्रकार के अशुभ योगों में से केमद्रुम योग को बहुत अशुभ माना जाता है। केमद्रुम योग की प्रचलित परिभाषा के अनुसार किसी कुंडली में यदि किसी कुंडली में चन्द्रमा के अगले और पिछले दोनों ही घरों में कोई ग्रह न हो तो ऐसी कुंडली में केमद्रुम योग बन जाता है जिसके कारण जातक को निर्धनता अथवा अति निर्धनता, विभिन्न प्रकार के रोगों, मुसीबतों, व्यवसायिक तथा वैवाहिक जीवन में भीषण कठिनाईयों आदि का सामना करना पड़ता...
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::::::तुलसी विवाह::::: तुलसी विवाह से सं‍बंधित महत्वपूर्ण बातें जानिए देवउठनी एकादशी पर होता है तुलसी विवाह ! सनातन धर्म में धार्मिक कार्यों का आधार धर्मशास्त्र एवं ज्योतिष की कालगणना दोनों ही हैं। शास्त्रों में कहा है देवताओं का दिन मानव के छह महीने के बराबर होता है और रात्रि छह माह की। इसी आधार पर जब वर्षाकाल प्रारंभ होता है तो देवशयनी एकादशी को देवताओं की रात्रि प्रारंभ होकर शुक्ल एकादशी अर्थात्‌ देवउठनी एकादशी तक छह माह तक रहती है। इसीलिए छह मास तुलसी की पूजा से ही देवपूजा का...
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किस प्रकार के कर्म करने से जीव जन्तुओं के शरीर प्राप्त होता है ? ताम्सिक और राजसिक कर्मों के फलरूप जानवर शरीर आत्मा को मिलता है । जितना तामसिक कर्म अधिक किए होंगे उतनी ही नीच योनी उस आत्मा को प्राप्त होती चली जाती है । जैसे लड़ाई स्वाभाव वाले , माँस खाने वाले को कुत्ता, गीदड़, सिंह, सियार आदि का शरीर मिल सकता है , और घोर तामस्कि कर्म किए हुए को साँप, नेवला, बिच्छू, कीड़ा, काकरोच, छिपकली आदि । तो ऐसे ही कर्मों से नीच शरीर मिलते हैं...
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सौर तूफ़ान और समाज की उग्रता सौर तूफ़ान का मतलब है सूर्य की ओर से बहुत बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलना जिससे अणु, आयन, इलेक्ट्रॉन के बादल अंतरिक्ष में छूटते हैं और कुछ ही घंटे में पृथ्वी की विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र में टकरा सकते हैं. इस पत्रिका में छपे लेख में संभावना जताई गई है कि जब सूर्य की गतिविधियों में कमी आएगी तब उससे ये ख़तरनाक विकिरण धरती तक पहुंचेगा. इस टीम का कहना है कि सूर्य अभी 'ग्रैंड सोलर मैक्सिमम' के चरम पर है, यानी ये एक ऐसा...
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क्या पुनर्जन्म वैज्ञानिक रूप से मान्य है ?????? क्या पुनर्जन्म वैज्ञानिक रूप से मान्य है ?????? मृत्यु केवल स्थूल शरीर की होती है, पर सूक्ष्म शरीर आत्मा के साथ वैसे ही आगे चलता है , तो हर जन्म के कर्मों के संस्कार उस बुद्धि में समाहित होते रहते हैं । और कभी किसी जन्म में वो कर्म अपनी वैसी ही परिस्थिती पाने के बाद जाग्रत हो जाते हैं । इसे उदहारण से समझें :- एक बार एक छोटा सा ६ वर्ष का बालक था, यह घटना हरियाणा के सिरसा एक...
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रंगों का उपयोग करने से भी वास्तुदोष निदान संभव ?????????? प्रश्न: क्या विभिन्न प्रकार के रंगों का उपयोग करने से भी वास्तुदोष दूर होते है? बिलकुल नहीं! पिछले कुछ वर्षों से कई वास्तुविद् विभिन्न दिशाओं के दोषों को दूर करने के लिए ज्योतिष के आधार पर दिशाओं के स्वामी के प्रतिनिधित्व रंग के अनुसार लाल, पीले, हरे, इत्यादि रंगों का उपयोग करने की सलाह देते है। जैसे दक्षिण दिशा में भूमिगत पानी की टंकी है तो इस दोष को दूर करने के लिए टंकी के ऊपर लाल रंग करवाते है।...
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सुरगुजा की न्यारी छटा प्राचीन काल में सरगुजा दण्डकारण्य क्षेत्र के अंतर्गत माना जाता था। त्रेतायुग में भगवान श्रीराम दण्डकारण्य में इसी क्षेत्र से प्रवेश किये थे। इसीलिए इस क्षेत्र का पौराणिक महत्व हैं। सरगुजा प्रकृति की अनुपम देन हैं। प्राकृतिक सौन्दर्यता के कारण यह ऋषि-मुनियों की तपोस्थली के रूप में विख्यात रहा हैं। इस क्षेत्र में अनेक संस्कृति का अभ्यूदय हुआ। उनके पुरातात्विक धरोहर आज भी इनकी स्मृति में विद्यमान हैं। जैसे रामगढ़, लक्ष्मणगढ़, कुदरगढ़,देवगढ़, महेशपुर, सतमहला, जनकपुर, डीपाडीह, मैनपाट, जोकापाट, सीताबेंगरा-जोगीमारा (प्राचीन नाट्यशाला) तथा यहाँ के अनेक जलप्रपात...
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गरियबंध पैरी नदी के आंचल में हरे-भरे सघन वनों     और पहाडिय़ों के मनोरम प्राकृतिक दृश्यों से सुसज्जित गरियाबंद जिले का निर्माण 690 गांवों, 306 ग्राम पंचायतों और 158 पटवारी हल्कों को मिलाकर किया गया है। जमीन के ऊपर बहुमूल्य वन सम्पदा के साथ-साथ यह जिला अपनी धरती के गर्भ में अलेक्जेण्डर और हीरे जैसी मूल्यवान खनिज सम्पदा को भी संरक्षित किए हुए है। गिरि यानी पर्वतों से घिरे होने (बंद होने) के कारण संभवत: इसका नामकरण गरियाबंद हुआ। गरियाबंद जिले की कुल जनसंख्या पांच लाख 75 हजार 480 है।...
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Colour Therapy as Remedial Measure   Colour Therapy as Remedial Measure Diseases like Constipation, depression, heart or blood problem can be controlled / cured by using colour therapy as remedial measure. Orange color • Orange color can be considered as power of energy. It is also considered as a color of peace. • Children who do not share their views with others they do not like orange color. • If child does not talk openly, he has gas problem or energy is less or they may have depression or they...
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निरंतर बदलाव हेतु प्रयास - केतु की दषा निरंतर बदलाव हेतु प्रयास - केतु की दषा - निरंतर चलायमान रहने अर्थात् किसी जातक को अपने जीवन में निरंतर उन्नति करने हेतु प्रेरित करने तथा बदलाव हेतु तैयार तथा प्रयासरत रहने हेतु जो ग्रह सबसे ज्यादा प्रभाव डालता है, उसमें एक महत्वपूर्ण ग्रह है केतु। ज्योतिष शास्त्र में राहु की ही भांति केतु भी एक छायाग्रह है तथा यह अग्नितत्व का प्रतिनिधित्व करता है। इसका स्वभाग मंगल ग्रह की तरह प्रबल और क्रूर माना जाता है। केतु ग्रह विषेषकर आध्यात्म, पराषक्ति,...
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कृष्ण जन्माष्टमी –

कृष्ण जन्माष्टमी   भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि में भगवान विष्णु के आठवें अवतार के रूप में श्री विष्णु की सोलह कलाओं से पूर्ण अवतरित हुए थे। श्री कृष्ण का प्राकट्य आततायी कंस एवं संसार से अधर्म का नाष करने हेतु हुआ था। भविष्योत्तर पुराण में कृष्ण ने स्वयं युधिष्ठिर से कहा कि मैं वासुदेव एवं देवकी से भाद्रपक्ष कृष्णपक्ष की अष्टमी को उत्पन्न हुआ जबकि सूर्य सिंह राषि में एवं चंद्रमा वृषभ राषि में था और नक्षत्र रोहिणी था। जन्माष्टमी के व्रत तिथि दो प्रकार की हो सकती...
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