धार्मिक स्थान

शुरू होने वाली है कैलाश मानसरोवर यात्रा, 30 से पहले करें आवेदन

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कैलाश मानसरोवर दुनिया का सबसे ऊंचा शिवधाम कहलाता है। इस स्थान को 12 ज्येतिर्लिंगों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। हर साल कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने के लिए हज़ारों साधु-संत, श्रद्धालु, दार्शनिक यहां भोलेनाथ के दर्शन के लिए एकत्रित होते हैं। यह जगह काफी रहस्यमयी बताई जाती है। इस बार मानसरोवर यात्रा में 18 दलों में कुल 1080 यात्रियों को जाने का मौका मिलेगा। कैलाश मानसरोवर यात्रा 8 जून से 8 सितंबर तक चलेगी। मानसरोवर यात्रा का पहला दल कुमाऊं में 12 जून को पहुंचेगा और धारचूला के रास्ते पारम्परिक मार्ग से पवित्र शिव धाम जाने का मौका मिलेगा। इस साल कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए आवेदन करने का समय 30 अप्रैल तक ही रहेगा। इसलिए यदि आप भी कैलाश मानसरोवर यात्रा करने का लाभ लेना चाहते हैं तो 30 अप्रैल से पहले आवेदन कर सकते हैं

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kailash mansarovar yatra 2019

जून से सितंबर तक चलेगी यात्रा

कैलाश मानसरोवर की इस दुर्गम यात्रा में हर साल सैकड़ों श्रद्धुलु भाग लेते हैं और तीर्थ यात्रा के लिए आते हैं। यात्रा में शामिल होने वाले सभी यात्रियों के दल का भव्य रुप से स्वागत किया जाता है और उनका पारंपरिक रूप से ढोल नगाड़ों के साथ तिलक व माल्यार्पण किया जाता है। कुमाऊं मंडल विकास निगम के अधिकारी द्वारा बताया गया है की हर साल यात्रा जून से सितंबर माह तक चलती है। इस बार यात्रा 8 जून से शुरु होगी जो की 8 सितंबर को समाप्त होगी।

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कुमाऊं मण्डल विकास निगम ने की तैयारियां शुरू

कैलाश यात्रा का कार्यक्रम तय होने के बाद कुमाऊं मण्डल विकास निगम ने भी तैयारियां शुरू कर दी है। यहां यात्रा करने आए प्रत्येक दल को लगभग 25 दिनों का वक्त लगेगा। वहीं एमडी रोहित मीणा ने बताया है कि कैलाश यात्रा के लिए टेंडर प्रक्रिया की जा रही है ताकि किसी भी यात्री को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े। वहीं यात्रा के दौरान व्यवस्थाओं का इंतजाम व देखरेख के लिए अप्रैल में दल भेजा जाएगा।

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कैलाश मानसरोवर का पौराणिक महत्व

पुराणों के अनुसार, कैलाश को शिवजी का घर माना गया है, यहां बर्फ ही बर्फ में भोले नाथ शंभू तप में लीन शालीनता से, शांत, निष्चल, अघोर धारण किए हुऐ एकंत तप में लीन है। धर्म व शास्त्रों में उनका वर्णन प्रमाण है। कैलाश पर्वत समुद्र सतह से 22068 फुट ऊंचा है तथा हिमालय से उत्तरी क्षेत्र में तिब्बत में स्थित है। चूंकि तिब्बत चीन के अधीन है अतः कैलाश चीन में आता है। मानसरोवर झील से घिरा होना कैलाश पर्वत की धार्मिक महत्ता को और अधिक बढ़ाता है। प्राचीन काल से विभिन्न धर्मों के लिए इस स्थान का विशेष महत्व है।