ग्रह | संबंधित अंग व पीड़ा |
सूर्य | ह्रदय, पेट, पित्त, दायीं आँख, घाव, जलने का घाव, गिरना, रक्त प्रवाह में बाधा |
चंद्रमा | शरीर के तरल पदार्थ, रक्त, बायीं आँख, छाती, दिमागी परेशानी, महिलाओं में मासिक चक्र की अनिमियतता |
मंगल | सिर, जानवरों द्वारा काटना, दुर्घटना, जलना, घाव, शल्य क्रिया, आपरेशन, उच्च रक्तचाप, गर्भपात |
बुध | गले, नाक, कान, फेफड़े, आवाज़, बुरे सपनों का आना |
गुरु | यकृत, शरीर में चर्बी, मधुमेह, कान |
शुक्र | मूत्र में जलन, गुप्त रोग, आँख, आँतें, अपेंडिक्स, मूत्राशय में पथरी |
शनि | पांव, पंजे की नसे, लसीका तंत्र, लकवा, उदासी, थकान |
राहु | हड्डियाँ, ज़हर , सर्प दंश, बीमारियाँ, डर |
केतु | हकलाना, पहचानने में दिक्कत, आँत, परजीवी |
वास्तु शास्त्र और स्वास्थ्य संबंधी उपचार
वास्तु शास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जिसमें व्यक्ति के व्यवस्थित जीवन के बारे में वर्णन है। इसमें वास्तु कला, भवन निर्माण, घर में शुभ-अशुभ पेड़-पौधों की दिशा की स्थिति को बतलाया गया है और इन सबका प्रभाव व्यक्ति के जीवन में प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। यदि घर का निर्माण वास्तु के हिसाब से न हो तो घर में तमाम तरह की विपत्तियाँ आती हैं। इसे वास्तु दोष भी कहते हैं। इसमें घर के सदस्यों को कई तरह के शारीरिक कष्टों का सामना करना पड़ता है। मनुष्य का जीवन निरोगी रहे इसलिए वास्तु शास्त्र के स्वास्थ्य संबंधी उपाय जानना बेहद ज़रुरी है।
वास्तु दिशाएँ और रोग निवारण उपाय
दक्षिण और पश्चिम दिशा के मध्य भाग को नैऋत्य कोण कहा जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार इस दिशा का स्वामी राक्षस है। अतः इस दिशा का वास्तु दोष दुर्घटना, रोग और मानसिक पीड़ा का कारक होता है। वास्तु के अनुसार घर पर शौचालय और रसोई का स्थान ऐसी दिशा में नहीं होना चाहिए जिससे घर में रोग या नकारात्मक ऊर्जा का आगमन हो। वास्तु टिप्स के अनुसार प्रमुख व्यक्तियों का शयन कक्ष नैऋत्य कोण में होना चाहिए और बच्चों को वायव्य कोण में रखना चाहिए। शयनकक्ष में सोते समय सिर उत्तर में, पैर दक्षिण में कभी न करें। ध्यान रखें ईशान कोण में सोने से बीमारी होती है। बीम के नीचे व कालम के सामने नहीं सोना चाहिए।
स्वास्थ्य के लिए तुलसी एक चमत्कारिक औषधि
वेदों और पुराणों में तुलसी को लक्ष्मी का दर्जा दिया गया है इसलिए यह पौधा पूजनीय है। लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण यह पौधा घर में नकारात्मक दोषों को दूर करता है। अध्ययन के अनुसार जिस घर में तुलसी का पौधा हो उस घर के सदस्य स्वस्थ और दुरुस्त रहते हैं। औषधि के रूप में भी तुलसी का बड़ा महत्व है। वास्तु शास्त्र के अनुसार तुलसी का पौधा घर के दक्षिण भाग में नहीं लगाना चाहिए।