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शिवपुराण: महादेव की पूजा में इन नियमों का रखेंगे ध्यान तो मिलेगा दोगुना फल

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सोमवार को शिव जी की पूजा का सबसे उत्तम दिन माना जाता है। इसलिए इस दिन लगभग लोग इनकी आराधना में लीन रहते हैं। मगर उन में से बहुत से ऐसे भी लोग हैं जिन्हें आज भी इनकी पूजा में अपनाए जाने वाल नियम नहीं पता जिस कारण उन्हें उनके द्वारा की गई पूजा का फल नहीं मिल पाता। तो चलिए जानते हैं इनकी पूजा से संबंधित ऐसे नियम जिनका इनकी पूजा में ध्यान रखने से आप पर भी इनकी अपार कृपा बरस सकती है।

बता दें ये नियम शिव पुराण में वर्णित हैं-
कहते हैं शिवपुराण की कथा को आरंभ करने के एक दिन पहले ही व्रत की तैयारी कर लेनी चाहिए। इसके साथ ही बाल कटवाना, नाख़ून काटना, दाड़ी बनाना इत्यादि काम पूर्ण कर लेने चाहिए। कथा शुरू होने बाद या समापन तक बीच में इन कामों को नहीं करना चाहिए। इससे पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती।

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इस दौरान जातक को केवल सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। तामसिक और गरिष्ठ भोजन (देर से पचने वाला खाना) खाकर शिवपुराण की कथा नहीं सुनना से भोलेनाथ की कृपा प्राप्त नहीं होती।
शिव पुराण की कथा सुनने और करवाने वाले जातक सबसे पहले कथा वाचक यानि कथा सुनाने वाले सम्मानीय व्यक्ति या ब्राह्मण से दीक्षा ग्रहण कर लेनी चाहिए।
इस दौरान जातक को कथा के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और ज़मीन पर सोना चाहिए। इसके बीच कुछ खाना नहीं चाहिए, कथा संपन्न होने के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए।
कथा करवाने वाले व्यक्ति को दिन में एक बार जौ, तिल और चावल से बने खाद्य ज़रूर ग्रहण करने चाहिए। इसके विपरीत तामसिक भोजन और लहसुन, प्याज़, हींग, नशीली चीज़ों के सेवन से बचना चाहिए।
यूं तो घर का माहौल हमेशा प्रेमपूर्ण रहना चाहिए परंतु शिव पुराण की कथा के दौरान घर में कलह और क्रोध का वातावरण न बने, इसका खास ध्यान रखना चाहिए।
इस दौरान दूसरों की निंदा से बचें। कहा जाता है अभावग्रस्त, रोगी और संतान सुख से वंचित लोगों को शिवपुराण की कथा का आयोजन ज़रूर करवाना चाहिए।
शिव पुराण की कथा के समापन के दिन उद्यापन करते हुए 11 ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें।