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पुष्य नक्षत्र

पुष्य नक्षत्र कर्क राशि के 3-20 अंश से 16-40 अंश तक है। यह नक्षत्र सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। सौरमंडल में इसका गणितीय विस्तार 3 राशि, 3 अंश, 20 कला से 3 राशि, 16अंश, 40 कला तक है। यह नक्षत्र विषुवत रेखा से 18अंश, 9 कला, 56विकला उत्तर में स्थित है. मुख्य रूप से इस नक्षत्र के तीन तारे हैं, तो तीर के समान आकाश में दृष्टिगोचर होते हैं। इसके तीर की नोंक अनेक तारा समूहों के पुंज के रूप में दिखाई देती है. पुष्य को ऋग्वेद में तिष्य अर्थात शुभ...
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प्रात: काल में कर-दर्शन

करागे्र वसते लक्ष्मी करमध्ये च सरस्वती। करमूले च गोविन्दम् प्रभाते कर दर्शनम्।। भावार्थ- कर अर्थात हाथ, अग्रे अर्थात अगला भाग अर्थात अग्रिम भाग, वसते- निवास करना, लक्ष्मी- धन (संपदा, सुख, वैभव) करमध्ये- हाथ का बीच का भाग, च- और, सरस्वती वाणी, वाक की देवी अर्थात विद्या की देवी, करमूले- हाथ का मूल स्थान, अर्थात हथेली व भुजा का संगम स्थल जहां से भाग्य हाथ शुरू होता है, अर्थात कलाई, गोविन्दम्- ईश्वर, प्रभाते- प्रात:काल, कर दर्शनम्- दर्शन करना। अर्थात हाथ के अग्र भाग में अर्थात अंगुलियों पर लक्ष्मी का वास होता...
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