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तलाक क्यों होते है: ज्योतिष्य विश्लेषण

वैवाहिक जीवन पति-पत्नी का धर्म सम्मत समवेत संचरण है। इसी मन्तव्य से विवाह संस्कार में वर-वधू आजीवन साथ रहने और कभी वियुक्त नहीं होने के लिए प्रतिश्रुत कराया जाता है: इतैव स्तं मा विपेष्टिं। विश्वमायुव्र्यश्नुतम।। उन्हें एक-दूसरे से पृथक करने की कल्पना भी नहीं की जा सकती। को दम्पति समनसा वि यूयोदध। वर-वधू का साहचर्य सनातन है। यह संबंध शब्द और अर्थ की भांति अविच्छेद और अन्योन्याश्रित है। प्रायः सप्तम भाव, द्वितीय भाव, सप्तमेश, द्वितीयेश और कारक शुक्र के (स्त्रियों के लिए कारक गुरु) निरीक्षण से वैवाहिक विघटन का पूर्व...
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लग्न राशी से जाने आप और आपकी घड़ी के बारे में

मेष-स्वभाव में तीव्र गति, कर्म, प्रतिष्ठा और उत्सुकता प्रधान होने के कारण आपको अण्डाकार आकार की घड़ी पसंद आएगी जिसका डायल कुछ मध्यम आकार का हो। आपको स्ट्रैप्स वाली घड़ियों के बनिस्पत चेन वाली लाइट वेटेड ऐसी घड़ी पसंद आएगी जो किसी ब्रेसलेट की तरह फटाफट उतारी और पहनी जा सके। रंगों में गोल्डन और काॅपर मैटेलिक लुक्स की घड़ियाँ आप पसंद करेंगी, यदि स्ट्रैप वाली लेंगी तो रेड, मैरून या रैड्डिश ब्राउन। आपकी घड़ी वैल्यू फाॅर मनी होगी। आप ज्यादा मंहगी घड़ी नहीं लगाएंगी, ये आपकी प्रैक्टीकल सोच को...
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उत्पादन कार्य करने कैसे करें: ज्योतिष्य विश्लेषण

उत्पादन कार्य एक जटिल, महंगा तथा तकनीकी कार्य रहा है। आज के प्रतिस्पर्धी युग में यह और भी जोखिम भरा तथा पेचीदा हो चला है। हर व्यक्ति, जो उत्पादन से जुड़ना चाहता है, उत्पादन कार्य में हाथ डालने से पहले ही इसकी सफलता को लेकर चिंतित हो जाता है। यह उचित भी है क्योंकि उसकी असफलता उसे मानसिक तथा आर्थिक दिवालियेपन की तरफ पहुंचा सकती है। किसी भी व्यक्ति को उत्पादन कार्य में सफलता के लिए चाहिए एक चतुर दिमाग, मजबूत इरादे, अच्छी वित्तीय स्थिति, धैर्य, सहनशीलता, अच्छी संगठन क्षमता,...
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सद्गति प्रदान करता है उच्चस्थ केतु

छाया ग्रह केतु परम पुण्यदायी और मोक्ष कारक है। जिस ग्रह के साथ केतु बैठता है उसी के अनुसार कार्य करता है। सामान्यतः यह मंगल के समान कार्य करता है। केतु की अच्छी स्थिति के बिना मोक्ष प्राप्ति संभव नहीं है। कारकांश कुंडली से राजयोग: जिस प्रकार लग्नेश व पंचमेश के संबंध से राजयोग देखा जाता है, उसी प्रकार आत्मकारक और पुत्र कारक से राजयोग देखना चाहिए। ‘आत्मकारक और पुत्रकारक दोनों लग्न या पंचम भाव में बैठे हों अथवा परस्पर दृष्ट हों अथवा उनमें किसी प्रकार का संबंध हो और...
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ज्योतिष में विज्ञान की सार्थकता

विज्ञान ‘कार्य-कारण के सिद्धांत’ पर आधारित है। परंतु असंख्य घटनाएं ऐसी हैं, जिनका कारण समझने में चोटी के वैज्ञानिक अपने आपको सर्वथा असमर्थ पा रहे हैं। सिद्धांतों के व्यभिचार मात्र से ज्योतिष शास्त्र की वैज्ञानिकता का प्रतिवाद नहीं किया जा सकता। ज्योतिष चिरंतर सत्य सिद्धांतों पर आधारित एक विज्ञान है, जिसमें अभी अत्यधिक अनुसंधान की आवश्यकता है। ज्योतिष - जो रहस्य साधारणतः इन्द्रियों की पहुंच से बाहर है अथवा भूत-भविष्य के गर्भ में निहित हैं, वे ज्योतिषशास्त्र द्वारा प्रत्यक्ष जान लिए जाते हैं। हमारे ऋषियों ने उसी शास्त्र की रचना...
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नक्षत्र और दान का प्रचलन

अश्विनी नक्षत्र में कांस्य पात्र में घी भरकर दान करने से रोग मुक्ति होती है। - भरणी नक्षत्र में ब्राह्मण को तिल एवं धेनु का दान करने से सद्गति प्राप्त होती है व कष्ट कम होता है। - कृतिका नक्षत्र में घी और खीर से युक्त भोजन ब्राह्मण व साधु संतांे को दान करने से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। - रोहिणी नक्षत्र में घी मिश्रित अन्न को ब्राह्मण व साधुजन को दान करना चाहिए। - मृगशिरा नक्षत्र में ब्राह्मणों को दूध दान करने से किसी प्रकार का ऋण...
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