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कार्तिक अमावस्या और दीपावली को महालक्ष्मी पूजन

कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली का पर्व मनाया जाता है। इससे पूर्व लक्ष्मीजी को प्रसन्न करने के लिए घरों की साफ-सफाई की जाती है। कहाॅ जाता है कि इस दिन भगवान रामचंद्र चैदह वर्ष का वनवास पूरा कर रावण को मारकर अयोध्या लौटे थे। अयोध्या वासियों ने खुशी में दीपमालायें जलाकर महोत्सव मनाया था। इसी दिन उज्जैन सम्राट विक्रमादित्य का राजतिलक भी हुआ था। तभी से विक्रमी संवत का आरंभ माना जाता है। यह नव वर्ष का पहला दिन होता है। आज के दिन व्यापारी खाते बदल कर नये...
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कार्तिक मास की नरक चतुदर्शी और यम की पूजा

आज के दिन नरक से मुक्ति पाने के लिए तेल लगाकर अपामार्ग के पौधे सहित जल में स्नान करना चाहिए और संध्या काल में दीप दान करना चाहिए। इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक दैत्य का वध किया था। एक बार रंतीदेवी नामक राजा हुए थे। वे बड़े धर्मात्मा और दानी थे। उनकी अंतिम काल में यमदूत उन्हें नरक ले जाने के लिए आयें, राजा ने यमदूतों से इस बारे में प्रश्न किया तो यमदूतों ने बताया कि तुम्हारे द्वार से एक ब्राम्हण भूखा लौट गया था, इसलिए तुम्हे...
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धनतेरस में कुबेर लक्ष्मी जी की पूजा

कार्तिक मास की त्रयोदशी धनत्रयोदशी के रूप में मनाई जाती है। इस दिन धनवंतरी समुद्र से अमृत कलश लेकर आये थे, इसलिए वैद्य जन आज के दिन धनवंतरी की पूजा करते हैं और इसे धनवंतरी जयंती कहते हैं। आज के दिन धरतेरस के पूजन और दीपदान को विधि पूर्वक करने से अकाल मृत्यु से छुटकारा मिलता है ऐसा यमराज ने यमदूतों को बताया। इस दिन यम की पूजा भी होती है। इस दिन स्त्रियाॅ आटे का चर्तुमुख तेल का दीपक बनाकर दरवाजे पर प्रज्जवलित करते हैं। इस दिन लक्ष्मी कुबेर...
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रंभा एकादषी व्रत

रंभा एकादषी व्रत - कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की एकादषी को रंभा एकादषी के रूप में मनाया जाता है। इस एकादषी के व्रत को करने से अनेकों पापों को नष्ट करने में समर्थ माना जाता हैं। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा का विधान है। इस व्रत के दिन मिट्टी का लेप कर स्नान कर मंदिर में श्री कृष्ण पूजन करना चाहिए। इस व्रत में दस चीजों के त्याग का महत्व है जिसमें जौ, गेहूॅ, उडद, मूंग, चना, चावल और मसूर दाल, प्याज ग्रहण नहीं करना चाहिए। मौन...
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वाराह चतुदर्शी व्रत

वाराह चतुदर्शी व्रत - आष्विन मास की शुक्ल पक्ष की चतुदर्शी को वाराह चतुर्दषी व्रत किया जाता है। भूत-प्रेत, पाप मुक्ति तथा सुख ऐष्र्वय प्राप्ति हेतु वाराह चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु के वाराह स्वरूप की प्रियता के लिए किया जाता है। इस दिन निराहर रहते हुए भगवान वाराह की प्रतिष्ठा कर विधिवत पूजा कर धतूरा, बेलपत्र, धूप, दीप चंदन आदि पदार्थो से आरती उतारकर भोग लगायें। आष्विन मास में चतुर्दषी को प्रेत बाधा अथवा आकस्मिक हानि या कष्ट जिसका कारण भूत-प्रेत की छाया को माना जाता है हेतु जो...
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पद्मनाथ द्वादषी पूजन – मनवांछित फल प्राप्ति का अचूक तरीका

पद्मनाथ द्वादषी पूजन - मनवांछित फल प्राप्ति का अचूक तरीका- आष्विनी शुक्ल मास भगवान विष्णु की पूजा तथा व्रत का मास माना जाता है इसकी द्वादषी में की गई पूजन, व्रत तथा दान बहुत फलदायी होता है। शास्त्रों में विष्णु की नाभी से उत्पन्न कमल को पद्मनाभ कहा गया। जिसमें तप दान से सभी कल्याण करने वाला बताया गया है। आष्विनी शुक्ल मास के हर दिन में किए गए तप का अपना अलग ही महत्व होता है। आष्विनी शुक्ल मास में मनवांछित फल प्राप्ति हेतु पद्मनाथ द्वादषी पूजन का बहुत...
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पापांकुषा एकादषी

पापांकुषा एकादषी - आष्विन मास की शुक्लपक्ष की एकादषी को पापांकुषा एकादषी के रूप में मनाया जाता है। पद्यपुराण के अनुसार पाप रूपि हाथी को महावत रूपी अंकुष से बेधने के कारण इसका नाम पापांकुषा एकादषी पड़ा। चराचर प्राणियों सहित त्रिलोक में इससे बढ़कर दूसरी कोई तिथि नहीं है, जो कष्ट से संबंधित दुखों को हर सके। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करने के पष्चात् श्री का ध्यान करना चाहिए। सबसे पहले धूप-दीप आदि से भगवान की...
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