सूर्य ग्रह
हुई राख दुनिया है दिन-रात जलती।
सिर्फ धर्म बाकी है एहसान धरती।।
सूर्य सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड का प्रमुख कर्ता है। अन्य सभी ग्रह इसी के चारों ओर परिक्रमा करते है। इसके दवता भगवान् विष्णु है। सूर्य उग्र स्वभाव का तथा पूर्व दिशा का स्वामी है। इसमें अग्नि तत्व, हल्की लाली और पीलापन है। यह पुरूष प्रधान एवं क्षत्रिय गुणों से युक्त है।सूर्य तेज, आत्मा, सम्मान, राज्य सरकार, पराक्रम तथा क्रोध का प्रतीक है।चंद्र, बृहस्पति, मंगल इसके मित्र ग्रह है। यदि जातक का सूर्य निर्बल हो तो वह दिल का कमजोर होता है।
अगर उसे सूर्य और चंद्र की मदद न मिले तो वह पागलपन, लकवा, या विषाक्त वस्तुओं का शिकार हो जाता है। इसकी वस्तुएं माणिक्य, तांबा, शिलाजीत, बंदर, बंदरिया, पहाड़ी गाय, काली गाय, तेजफल, लौंग, जायफल, इलाइची का पौधा, जड़ी-बूटी, दूध वाले पेड़, बाजरा तथा गुड़ आदि है। सूर्य अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रह है। इसका जातक अति विश्ष्टि फलो को प्राप्त करने वाला होता है। वह राजा की तरह वैभवशाली होगा।धर्म का पालन करने वाला होगा। पिता की अंतिम श्वास तक सेवा करेगा।
शराब पीने से दूर रहेगा। गरीबों की हमेशा मदद करेगा। स्वयं का धनी होगा। यात्रा से लाभ होगा। शरीर रूहानी असर वाला होगा। अंग-प्रत्यंग अंतिम समय तक सक्रिय रहेंगे। ईमानदारी का धन बरकत देगा। संतान और औरत का सुख अंतिम समय तक मिलेगा। परोपकार, सेवा, साधन, संतोष, माया तथा तरक्की की नींव पड़ेगी।सूर्य ग्रह के बारह घरों का फल निम्नवत् है-