Dhanteras Yam Puja: धनतेरस के दिन जिस प्रकार कुबेर, भगवान धन्वंतरि और माता लक्ष्मी की पूजा विधि पूर्वक की जाती है, वैसे ही मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा होती है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है, जिसे पढ़कर आप इसके महत्व को समझ सकते हैं। धनतेरस पर पढ़ें यह पौराणिक कथा।
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में हेम नाम का एक राजा था, जिसकी कोई संतान नहीं थी। बहुत समय बाद उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई। जब उस बालक की कुंडली बनवाई, तब ज्योतिष ने कहा कि इसकी शादी के 10वें दिन ही मृत्यु का योग है। यह सुनकर राजा हेम ने पुत्र की शादी कभी न करने का निश्चय लिया और उसे एक ऐसे स्थान पर भेज दिया, जहां कोई भी स्त्री न हो।
लेकिन नियति को कौन टाल सकता? घने जंगल में राजा के बेटे को एक सुंदर स्त्री मिली और दोनों को आपस में प्रेम हो गया। फिर दोनों ने गंधर्व विवाह कर लिया। विवाह के 10वें दिन यमदूत राजा के प्राण लेने पृथ्वीलोक आए। जब वे प्राण ले जा रहे थे, तब उसकी पत्नी के रोने की आवाज सुनकर यमदूत का मन दुखी हो गया।
यमदूत जब प्राण लेकर यमराज के पास पहुंचें, तो बेहद दुखी थे। यमराज ने कहा कि दुखी होना स्वाभाविक है, लेकिन कर्तव्य के आगे कुछ नहीं होता। ऐसे में यमदूत ने यमराज से पूछा, ‘क्या इस अकाल मृत्यु को रोकने का कोई उपाय है?’ तब यमराज ने कहा, ‘अगर मनुष्य कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन संध्याकाल में अपने घर के द्वार पर दक्षिण दिशा में दीपक जलाएगा, तो उसके जीवन से अकाल मृत्यु का योग टल जाएगा।’ तब से धनतेरस के दिन यम पूजा का विधान है।
धनतेरस का महत्व
1. इस दिन नए उपहार, सिक्का, बर्तन व गहनों की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। शुभ मुहूर्त में पूजन करने के साथ सात धान्यों की पूजा की जाती है। सात धान्य में गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर शामिल होता है।
2. धनतेरस के दिन चांदी खरीदना शुभ माना जाता है।
3. भगवान धन्वन्तरी की पूजा से स्वास्थ्य और सेहत मिलता है। इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी गणेश की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हैं।
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