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मोती पहनने के फायदे और नुकसान…

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मोती पहनने के फायदे और नुकसान…

Pearl Gemstone : रत्न शास्त्र के अनुसार हर रत्न अपने आप में महत्वपूर्ण है और अलग-अलग ग्रहों और परेशानियों के लिए धारण करने की सलाह दी जाती है. इन्हीं में से एक मोती को शांति का प्रतीक माना जाता है साथ ही ये इच्छापूर्ति का रत्न भी माना गया है. मोती को धारण करने के नुकसान भी हैं.ज्योतिष और रत्न शास्त्र में बताया गया है कि रत्न हमारी कुंडली में मौजूद ग्रहों की शुद्धता को बढ़ाने का काम करते हैं. पृथ्वी में पाए जाने वाले रत्न मनुष्य के जीवन में सकारात्मकता को बढ़ाते हैं. हर एक रत्न किसी न किसी ग्रह से सम्बंधित होता है, लेकिन किसी भी व्यक्ति को बिना किसी विद्वान की सलाह के रत्न नहीं पहनना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि रत्न कुंडली, जन्मतिथि और ग्रह नक्षत्रों के आधार पर ही धारण करना चाहिए. नहीं तो यह रत्न अशुभ प्रभाव भी देना शुरू कर देते हैं।

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मोती पहनने के फायदे

वैदिक ज्योतिष के अनुसार मोती धारण करने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। मोती धारण करने से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। यदि किसी को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है, तो सफेद मोती पहनना शुभ माना जाता है। जो जातक बहुत क्रोधित होते हैं, उन्हें भी मोती धारण करने की सलाह दी जाती है। मोती धारण करने से मन शांत होता है। साथ ही विद्यार्थियों को परीक्षा में सफलता मिलती है।

-मोती रत्न के नुकसान

ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि ज्यादा भावनात्मक और क्रोधी लोगों को चांदी या फिर मोती रत्न धारण नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से उनकी भावनात्मकता में या फिर क्रोध में बढ़ोतरी होती है. इसके अलावा जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा बारहवें या दसवें स्थान पर हो उन्हें भी मोती नहीं धारण करना चाहिए. मोती धारण करते समय हमेशा इस बात का भी ख्याल रखा जाना चाहिए कि मोदी के साथ हीरा, पन्ना, नीलम धारण नहीं करें।

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कैसे धारण करें मोती रत्न 
मोती खरीदने के सबसे शुभ दिन सोमवार होता है, इसे हमेशा सोमवार को ही खरीदना चाहिए. इसे चांदी में बनवाकर कनिष्ठिका या फिर अनामिका उंगली में पहना जाता है. इसके अलावा मोती धारण करने से पहले शुभ मुहूर्त अवश्य जान लें. मोती की प्राण प्र​तिष्ठा करने किसी भी पुष्य नक्षत्र, सोमपुष्य या सोमवार को आये अमृत सिद्ध योग में की जा सकती है. इनमें से किसी भी समय चंद्रमा के मंत्रों के उच्चारण के साथ मोती की प्राण प्रतिष्ठा की जा सकती है. साथ ही इसे धारण करने से पूर्व दूध,दही, शहद, घी और तुलसी पत्ते आदि से पंचामृत स्नान कराने के बाद गंगाजल साफ करके धूप-दीप व कुमकुम से पूजन करके,मंत्र को 108 बार जपने के बाद ही धारण करना चाहिए. क्योंकि किसी भी रत्न का सकारात्मक प्रभाव तभी तक रहता है, जब तक कि उसकी शुद्धता बनी रहती है।

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