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अशुभ ग्रह के बचाव के लिए अपनाए लाल किताब के ये उपाय…

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अशुभ ग्रह के बचाव के लिए अपनाए लाल किताब के ये उपाय…

विशेष उपाय
अशुभ ग्रहों से बचाव के लिए निम्नलिखित विशेष उपाय भी कर सकते हैं- सूर्य- यदि सूर्य अशुभ हो तो एक ही आकार और वनज के तांबे के तीन टुकड़े लें। एक टुकड़ा कन्यादान विधि से दान करें। दूसरा टुकड़ा बहते पानी में प्रवाहित कर दें। तीसरा टुकड़ा जीवनभर अपने पास रखें। यह टुकड़ा किसी भी कीमत पर न बेचें। ऐसा करने से सूर्य का अशुभ प्रभाव दूर हो जाएगा। यदि तांबे का यह टुकड़ा खो जाए तो पुनः टुकड़ा लाकर अपने पास रखें। दूसरी बार उसे पानी में प्रवाहित करने और दान करने की जरूरत नहीं है। चंद्र- यदि चंद्र अशुभ या प्रतिकूल हो तो सच्चा मोती, चांदी का टुकड़ा या चावल अपने साथ रखें।

मंगल- यदि मंगल अशुभ हो तो लाल पत्थर यानी अकीक अपने पास रखें।
बुध- बुध अशुभ हो तो हीरा अपने पास रखें।
बृहस्पति- बृहस्पति अशुभ हो तो सोना या केसर अपने पास रखें।
शुक्र- शुक्र अशुभ हो तो सफेद मोती धारण करें या सीप अपने पास रखें।
शनि- शनि अशुभ हो तो लोहा, काला नमक और काला सुरमा धारण करें।
राहु- राहु अशुभ हो तो सच्चा मोती, चांदी का टुकड़ा या बासमती साबुत चावल सदैव अपने पास रखें।
केतु- यदि केतु अशुभ हो तो चितकबरा पत्थर हमेशा अपने पास रखें।
यदि किसी घर में कोई ग्रह नीच हो जाए, तो उसका बनावटी भाग वहां से हटाकर कुप्रभाव से बचा जा सकता है। उदाहरण के लिए-दसवें घर में सूर्य एवं शनि के इकट्ठे होने से मंगल अशुभ हो जाता है। वास्तव में दसवें घर का मंगल उच्च होता है। यदि सूर्य को दसवें घर से हटा दिया जाए

तो मंगल का अशुभ असर खत्म हो जाएगा।

टकराव के ग्रह

’लाल किताब’ के अनुसार फलादेश के लिए टकराव के ग्रहों को समझना जरूरी है। जो ग्रह एक-दूसरे से छठे या आठवें घर में बैठ जाएं, फिर वे शत्रु हों या मित्र, उनकी मित्रता या शत्रुता का महत्व नहीं रहता। ऐसी स्थिति में बैठे ग्रह एक-दूसरे से शत्रुता ही करेंगे। यदि एक ग्रह पहले घर मे और दूसरा ग्रह आठवें घर में हो तो पहले घर में बैठा ग्रह आठवें घर में बैठे ग्रह पर पूर्णतया बुरा प्रभाव डालेगा। आठवें घर का ग्रह पहले घर में बैठे ग्रह पर कोई बुरा प्रभाव नहीं डाल सकता।

बुनियादी ग्रह

प्राचीन ज्योतिष शास्त्र में ग्रह नव-पंचम योग में होना कहा गया है अर्थात एक ग्रह जब दूसरे ग्रह से नौवें घर में हो, बेशक वे शत्रु ही हों, तब भी एक-दूसरे की सहायता करेंगे। कुछ परिभाषाएं यहां दी जा रही है जो ’लाल किताब’ के अनुसार किए जाने वाले फलकथन में बहुत सहायक सिद्ध होंगी- ग्रह चैथे हो जो कोई बैठा तासीर चंद्र वह होता हो। असर मगर उस घर में जाता शनि जहां टेवे बैठा हो। चैथे घर में जो भी ग्रह बैठा हो, उसकी शक्ति-परीक्षा के लिए यह देखना होगा कि वर्षफल में चंद्र कहां स्थित है।

यदि चंद्र अशुभ हो तो इसका असर भी अशुभ रहेगा। इसके अलावा वर्षफल में जहां शनि बैठा हो, वहां ग्रह जाकर विशेष असर करेगा।घर ग्यारह में ग्रह जो आ तासीर वे शनि वह होता है। असर मगर उस घर में आवे बृहस्पति जहां टेवे में बैठा हो। जो ग्रह ग्यारहवें घर में बैठा हो, चाहे वह जन्मकुंडली में हो या वर्षफल में, उसका प्रभाव शनि की तरह ही देखें। यदि शनि शुभ हो तो प्रभाव शुभ होगा। यदि शनि अशुभ हुआ तो ग्यारहवें घर में आए ग्रह का प्रभाव अशुभ हो जाएगा।

शुभ या अशुभ ग्रह का ज्यादा प्रभाव वहां पड़ेगा, जहां जन्मकुंड़ली या वर्षफल में बृहस्पति बैठा होगा।घर चलकर जो आवे दूजे वह किस्मत बन जाता है।घर दसवां गर खाली होवे सोया हुआ कहलाता है।यदि दूसरे घर में कोई ग्रह हो तो वह उस वर्ष के लिए किस्मत का ग्रह बन जाता है। दूसरा खाना धन-घर के फल को बहुत अच्छा कर देता है।

लेकिन यदि दसवें घर में कोई ग्रह न हो तो दूसरे घरमें आया ग्रह अपना अच्छा फल देने मे सक्षम नही होगा। यदि दूसरे और दसवें दोनों ही घरों में ग्रह हों तथा वे आपस में शत्रु न हों तो वह वर्ष उस जातक के लिए शुभ रहेगा। इसी तरह आठवें घर का ग्रह जन्मकुंडली में आठवें घर में ही बैठा हो, वर्षफल में वह दूसरे घर में आ जाए और आठवां घर खाली रहे तो वह आर्थिक दृष्टि से बहुत ही शुभ फल देगा।

सोए हुए ग्रह

यदि किसी ग्रह की दृष्टि में कोई ग्रह न हो, तो वह ’सुप्त ग्रह कहलाएगा। ऐसे ग्रह का मतलब यह कदापि नहीं है िकवह जिस घर में बैठा होगा, उस घर के लिए उसका कोई प्रभाव नहीं होगा।सुप्त या सोए हुए ग्रह का अर्थ यह है कि वह उस घर में कैद रहेगा और उसका प्रभाव वहीं तक सीमित रहेगा।

’लाल किताब’ के अनुसार जब सोया हुआ ग्रह किसी घर में शुभ या अशुभ स्थिति में बैठा हो तो उसका असर उस घर के लिए जारी रहेगा। इसके अलावा कोई ग्रह अपने पक्के घर में बैठा हो तो वह हमेशा पूरी तरह से जागा हुआ माना जाएगा। उदाहरण के लिए- सूर्य प्रथम घर में, मंगल तीसरे घर में, बृहस्पति दूसरे, पांचवें, नौवें या बारहवें घर में, चंद्र चैथे घर में, बुध छठे घर में, बुध-शुक्र सातवें घर में, मंगल-शनि आठवे घर में, शनि दसवें और ग्यारहवें घर में हो तो ये पूरी तरह जाग्रत ग्रह होंगे।

जब पहले घर में कोई ग्रह न हो तो बाद के घरों में बैठे ग्रह सोए हुए माने जाते है। ऐसी हालत में पहले के खाली घरो के ग्रहों को जगाने की जरूरत होती है। अगर बाद के घर खाली हो और दृष्टि पड़ने वाले घर में कोई ग्रह स्थित हो तो बाद के उस खाली घर को जगाने की जरूरत रहेगी। उपाय बताते समय या उपाय करते समय इस बात को अच्छी तरह ध्यान में रखना चाहिए।