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जब गुरू एकादश भाव में हो तो इसका प्रभाव

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गुरू एकादश भाव में हो

गुरू एकादश भाव में हो तो धन लाभ होता है। पुखराज धारण करने से इस धन लाभ में वृद्धि होती है सन्तान सुख भी मिलती है।

1.मेष लग्न –

गुरू नवमेश – द्वादशेश होकर लाभ स्थान में स्थित होगा।अत: पुखराज धारण करना लाभकारी रहेगा।अज्ञात स्त्रोत से धन लाभ होगा,विदेश यात्रा का अवसर होगा।

2.वृष लग्न –

गुरू अष्टमेश – लाभेश होकर एकादश भाव में अपनी मीन राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से धन लाभ में वृद्धि होगी। विरासत मंे धन सम्पत्ति मिलने की संभावना रहेगी।अज्ञात स्त्रोत से धन लाभ होगा।

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3.मिथुन लग्न –

गुरू सप्तमेश – दशमेश होकर लाभ स्थान में स्थित होगा। पति – पत्नी सुख में वृद्धि होगी।कारोबार में उन्नति होगी,सन्तान सुख रहेगा।

4.कर्क लग्न –

गुरू षष्ठेश – भाग्येश होकर लाभ भाव में वृष राशि मंे स्थित होगा। पुखराज धारण करना लाभकारी है।

5.सिंह लग्न –

गुरू पंचमेश – अष्टमेश होकर लाभ – भाव में मिथुन राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करना धन में वृद्धि करता है। विरासत मंे धन सम्पत्ति मिले अथवा अज्ञात स्त्रोत से धन लाभ हो।

6.कन्या लग्न –

गुरू चतुर्थेश – सप्तमेश होकर लाभ स्थान में स्थित होता है। पुखराज धारण करने से मकान,वाहन की प्राप्ति होती है। पति पत्नी सुख मिलता है।

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7.तुला लग्न –

गुरू तृतीयेश – षष्ठेश होकर एकादश भाव में सिंह राशि में स्थित होता है। पुखराज धारण करने से धन लाभ में वृद्धि होगी।

8.वृश्चिक लग्न –

गुरू द्वितीयेश – पंचमेश होकर एकादश भाव में कन्या राशि में स्थित होता है। पुखराज धारण करने से आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है। तथा पुत्र सुख प्राप्त होता है।

9.धनु लग्न –

गुरू लग्नेश – चतुर्थेश होकर लाभ भाव में तुला राशि में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से स्वास्थ्य में सुधार होगा।मकान वाहन सुख प्राप्त होगा।

10.मकर राशि –

गुरू तृतीयेश होकर एकादश भाव में मित्र राशि वृश्चिक में होगा। पुखराज धारण करने से धन लाभ में वृद्धि होगी।

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11.कुम्भ लग्न –

गुरू लाभेश – द्वितीयेश होकर एकादश भाव में अपनी राशि धनु में स्थित होगा। पुखराज धारण करने से धन लाभ बढ़ेगा।

12.मीन लग्न –

गुरू दशमेश – लग्नेश होकर लाभ भाव में अपनी नीच राशि मकर में होगा। पुखराज धारण करने से अशुभ फल अधिक मिलेंगे।