जानिए,मुंगा रत्न कब पहनना चाहिए…
अक्सर हम देखते हैं कि जिन लोगों की कुंडली में ग्रहों की स्थिति सामान्य नहीं होती है। वो लोग ग्रहों से जुड़े दान, मंत्र जाप, यंत्र पूजाअक्सर हम देखते हैं कि जिन लोगों की कुंडली में ग्रहों की स्थिति सामान्य नहीं होती है। वो लोग ग्रहों से जुड़े दान, मंत्र जाप, यंत्र पूजा, रत्न धारण करने जैसे उपाय करते हैं।
ज्योतिषियों की मानें तो सबसे सरल उपाय है कि जातक अपनी राशि के अनुसार नग धारण कर ले, तो आज हम आपको बताएंगे मेष और वृश्चिक राशि से जुड़े एक ऐसे रत्न के बारे में जिसको धारण करने से आपका सोया हुआ भाग्य जाग जाएगा।ज्योतिष शास्त्र अनुसार मूंगा रत्न को मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल ग्रह से जोड़ा गया है।
कहते हैं कि यदि कुंडली में मंगल की स्थिति कमजोर हो तो उन जातकों को मूंगा पहनने की सलाह दी जाती है। इसका रंग लाल, सिंदूरी, गेरुआ, सफेद और काला रंग होता है। ज्योतिषों मुताबिक इस रत्न को पहनने से मंगल की दशा मजबूत होती है। जिससे इस ग्रह के शुभ प्रभावों में वृद्धि होने लगती है। बता दें कि मूंगा को सुंदर और आकर्षित रंग होने के कारण ही इस नवरत्नों में एक माना जाता है। सबसे पहले आपको बताते हैं कि मूंगा रत्न की क्या पहचान होती है। आखिरी तरीका यह है कि मैग्निफाइंग ग्लास से मूंगे को गोर से देखने से उसपर सफेद रेखाएं दिखाई देती हैं।
शास्त्रों के हिसाब से मूंगा को पहनते वक्त कुछ नियम सुनिश्चित किए गए हैं। मूंगा को सोने, चांदी या तांबे की अंगूठी में जड़वाकर ही धारण करें, लेकिन उससे पहले इन बताएगे नियमों की पालना अवश्य करें।
सबसे पहले अंगूठी को कच्चे दूध और गंगाजल से शुद्ध कर लें। याद से मंगलवार के दिन सुबह स्नान आदि के बाद मूंगा जड़ित अंगूठी को धूप -दीप दिखाकर दाएं हाथ की अनामिका उंगली में धारण करें। धारण के बाद क्रां क्रीं क्रौं स:भौमाय नम : का जाप 108 बार करें। स्त्रियां इस बात का खास ध्यान रखें कि वो इस अंगूठी को बाएं हाथ की अनामिका उंगली में ही पहनें।