विद्यार्थियों के लिए परीक्षा का समय पास आ रहा है और परीक्षा पास आते ही विद्यार्थियों को उसका भय सताने लगता है। पढ़ाई में मन नहीं लगना, पाठ याद न होना, पुस्तक खुली होने पर भी मन का पढ़ाई में एकाग्रचित्त न होना, रात को देर तक नींद न आना या मध्य रात्रि में नींद उचट जाना आदि परीक्षा के भय के लक्षण है। परीक्षा पढ़ाई का केवल एक मापक है, यह विद्यार्थी के ज्ञान का आकलन मात्र है। व्यक्ति के जीवन में उतार चढ़ाव या लाभ-हानि इसके द्वारा निर्धारित...
जन्मकुंडली के द्वादश भावों में से प्रमुखतया, अष्टम भाव, नवम, सप्तम, बारहवां भाव विदेश यात्रा से संबंधित है। तृतीय भाव से भी लघु यात्राओं की जानकारी ली जाती है। अष्टम भाव समुद्री यात्रा का प्रतीक है। सप्तम तथा नवम भाव लंबी विदेश यात्राएं, विदेशों में व्यापार, व्यवसाय एवं प्रवास के द्योतक हैं। इसके अतिरिक्त लग्न तथा लग्नेश की शुभाशुभ स्थिति भी विदेश यात्रा संबंधी योगों को प्रभावित करती है। मेष लग्न 1- मेष लग्न हो तथा लग्नेश तथा सप्तमेश जन्म कुंडली के किसी भी भाव में एक साथ हों या...
भारतीय सनातन ज्योतिष में प्राकृतिक कुण्डली की अवधारणा वास्तविक ग्रहों, पिण्डों पर नहीं वरन् उनके द्वारा चराचर जगत पर डाले जाने वाले विभिन्न प्रभावों के मानव जीवन पर आकलन के लिए कल्पित की गई है। ज्योतिष शास्त्र में धन की दृष्टि से शुभ तथा अशुभ भावों एवं ग्रहों के मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव को विस्तार से बताया गया है। जन्म कुंडली के बारह भावों को मुखय रूप से दो भागों में विभक्त किया गया है- एक शुभ भाव, दूसरा अशुभ भाव। शुभ भावों में लग्न, द्वितीय, चतुर्थ, पंचम,...
राहु-केतु छाया ग्रह हैं। इनका अपना कोई अस्तित्व नहीं होता, इसीलिए ये जिस ग्रह के साथ बैठते हैं उसी के अनुसार अपना प्रभाव देने लगते हैं। लेकिन राहु-केतु की दशा-महादशा काफी प्रभावशाली मानी जाती है। यदि कुंडली में उनकी स्थिति ठीक हो तो जातक को अप्रत्याशित लाभ मिलता है और यदि ठीक न हो तो प्रतिकूल प्रभाव भी उतना ही तीव्र होता है। पढ़िए इस आलेख में राहु-केतु के स्वरूप एवं प्रभाव का विशद् वर्णन... सार मंडल में सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर अपने-अपने अंडाकार पथ पर निरंतर परि...
आजकल लोग अनुभव सिद्ध एवं व्यवहारिक उपाय चाहते हैं ताकि आम व्यक्ति, जन सामान्य एवं पीड़ित व्यक्ति लाभ उठा सके। ग्रहों की शांति के लिए सरल एवं अचूक उपाय प्रस्तुत हैं- संसार में प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी ग्रह से पीड़ित है। हर व्यक्ति धन-धान्य संपन्न भी नहीं है। ग्रह-पीड़ा के निवारण के लिए निर्धन एवं मध्यम वर्ग का व्यक्ति दुविधा में पड़ जाता है। यह वर्ग न तो लंबे-चौड़े यज्ञ, हवन या अनुष्ठान करवा सकता है, न ही हीरा, पन्ना, पुखराज जैसे महंगे रत्न धारण कर सकता है। ज्योतिष...
भाग्य को मजबूत करने के उपाय यदि बुध भाग्येश होकर अच्छा फल देने में असमर्थ हो तो निम्न उपाय करने चाहिए। 1. तांबे का कड़ा हाथ में धारण करें। 2. गणेश जी की उपासना करें। 3. गाय को हरा चारा खिलाएं। यदि शुक्र भाग्येश होकर फलदायक न हो तो निम्न उपाय करने चाहिए। 1. स्फटिक की माला से क्क शुं शुक्राय नमः की एक माला का जप करें। 2. शुक्रवार को चावल का दान करें। 3. लक्ष्मी जी की उपासना करें। भाग्येश चंद्र को अनुकूल करने के लिए निम्नलिखित उपाय...
राहु मूलतः छाया ग्रह है, फिर भी उसे एक पूर्ण ग्रह के समान ही माना जाता है। यह आद्र्रा, स्वाति एवं शतभिषा नक्षत्र का स्वामी है। राहु की दृष्टि कुंडली के पंचम, सप्तम और नवम भाव पर पड़ती है। जिन भावों पर राहु की दृष्टि का प्रभाव पड़ता है, वे राहु की महादशा में अवश्य प्रभावित होते हैं। राहु की महादशा 18 वर्ष की होती है। राहु में राहु की अंतर्दशा का काल 2 वर्ष 8 माह और 12 दिन का होता है। इस अवधि में राहु से प्रभावित जातक...
यदि आपको किसी भी कारण शनि के शुभ फल प्राप्त नहीं हो रहे हैं। फिर वह चाहे जन्मकुंडली में शनि ग्रह के अशुभ होने, शनि साढ़ेसाती या शनि ढैय्या के कारण है तो प्रस्तुख लेख में दिये गये सरल उपाय आपके लिए लाभकारी सिद्ध होंगे। भारतीय समाज में आमतौर ऐसा माना जाता है कि शनि अनिष्टकारक, अशुभ और दुःख प्रदाता है, पर वास्तव मंे ऐसा नहीं है। मानव जीवन में शनि के सकारात्मक प्रभाव भी बहुत है। शनि संतुलन एवं न्याय के ग्रह हैं। यह सूर्य के पुत्र माने गये...
Makar Sankranthi, or Sankranti is a popular Indian festival. It is celebrated in many parts of the country and also in some other parts of the world with great zeal and enthusiasm. It is a harvest festival which is basically celebrated in the Hindu communities. In Indian, the states of Bihar, Bengal, Punjab, Maharashtra, Gujarat, Rajasthan and Tamil Nadu celebrate the festival with great fervor and gusto.In Tamil Nadu the festival is known as Pongal, in Assam as Bhogali Bihu, in Punjab, as Lohiri, in Gujarat and Rajasthan, as Uttararayan....