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ज्योतिष का स्त्री के प्रति दृष्टिकोण

ग्रहों और राशियों को भी स्त्री और पुरूष वर्गों में बांटा गया है। मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु और कुंभ को पुरूष राशि और वृष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर और मीन राशियों को स्त्री राशि कहा गया है। इसी प्रकार चंद्रमा और शुक्र जहां स्त्री स्वभाव ग्रह है वहीं सूर्य, मंगल और गुरू पुरूष ग्रह हैं। स्त्री जातकों में स्त्री राशि और स्त्री ग्रहों का प्रभाव अधिक होने पर स्त्रैण गुण अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में होंगे। ऐसा देखा गया कि जिन मामलों में पुरूष जातकों की तुलना में स्त्री जातकों...
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किस्मत खोलनी है तो बदल दें घर का मुख्य द्वार

किस्मत खोलनी है तो बदल दें घर का मुख्य द्वार घर के मुख्य द्वार में एक छोटा सा भी बदलाव आपकी दुनिया बदल सकता है। शास्त्र के अनुसार मुख्य द्वार का संबंध घर में रहने वाले लोगों की सामाजिक, मानसिक और आर्थिक स्थिति से होता है। घर का मुख्य द्वार वास्तु दोषों से मुक्त हो तो घर में सुख-समृद्धि, रिद्धी.सिद्धि रहती है। सभी प्रकार के मंगल कायों में वृद्धि होती है और परिवार के लोगों में आपसी समंजस्य बना रहता है। इसलिए घर का मुख्य द्वार वास्तु दोष से मुक्त...
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अंकशास्त्र में सूर्य का महत्व

अंकशास्त्र में सूर्य ज्योतिष विद्याओं में अंक विद्या भी एक महत्वपूर्ण विद्या है.जिसके द्वारा हम थोडे समय में ही प्रश्न कर्ता के उत्तर दे सकते है.अंक विद्या में "१" का अंक सूर्य को प्राप्त हुआ है.जिस तारीख को आपका जन्म हुआ है,उन तारीखों में अगर आपकी जन्म तारीख १,१०,१९,२८, है तो आपका मूलांक सूर्य का नम्बर "१" ही माना जायेगा.इसके अलावा जो आपका पूर्णांक नम्बर होगा वह जन्म तारीख,महिना,और पूरा सन जोडने के बाद जो प्राप्त होगा,साथ ही कुल मिलाकर अकेले नम्बर को जब सामने लायेंगे,और वह नम्बर एक आता...
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निरंतर उन्नति हेतु कुंडली में केतु को करें शांत

निरंतर चलायमान रहने अर्थात् किसी जातक को अपने जीवन में निरंतर उन्नति करने हेतु प्रेरित करने तथा बदलाव हेतु तैयार तथा प्रयासरत रहने हेतु जो ग्रह सबसे ज्यादा प्रभाव डालता है, उसमें एक महत्वपूर्ण ग्रह है केतु। ज्योतिष शास्त्र में राहु की ही भांति केतु भी एक छायाग्रह है तथा यह अग्नितत्व का प्रतिनिधित्व करता है। इसका स्वभाग मंगल ग्रह की तरह प्रबल और क्रूर माना जाता है। केतु ग्रह विषेषकर आध्यात्म, पराषक्ति, अनुसंधान, मानवीय इतिहास तथा इससे जुड़े सामाजिक संस्थाएॅ, अनाथाश्रम, धार्मिक शास्त्र आदि से संबंधित क्षेत्र का प्रतिनिधित्व...
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The yog of becoming doctor????

which subject should we opt after 10th and 12th? This question arises in the mind of every student. Sometimes parents have to keep aside their ambitions and they have to look onto the child horoscope, that in which area should their child can increase their growth and will be more successful l all these thing we will get to know from the position of planets in horoscope. Through Jyotish we can know that which area is better . Everyone wants that the work or studies they do should be of...
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किस जातक में कितना अनुशासन जाने ज्योतिष विश्लेषण द्वारा

इस सृष्टि में सब कुछ नियमित और अनुशासित ढंग से चल रहा है। स्वच्छन्दता और उच्छृंखलता यदा-कदा दीखती तो है पर थोड़ी गहराई में उतरते ही उसके पीछे भी कोई न कोई अनुबन्ध काम करता दिखाई देता है। साइबेरिया के पक्षी वहाँ मौसम अनुकूल न रहने पर हजारों मील की यात्रा करके भारत आ जाते हैं और परिस्थिति बदलते ही वे उसी क्रम से वापस लौट जाते हैं। कुछ जाति की मछलियाँ प्रजनन की उमंग आते ही हजारों मील की लम्बी यात्रा पर निकल पड़ती हैं और जहाँ उनके लिए...
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कोलेस्ट्राल बढ़ना या शुगर की बीमारी का कारक -शुक्र की दशा का फल

ज्योतिषिय विज्ञान में व्यक्ति को सुख तथा समृद्धि प्रदान कर्ता ग्रह शुक्र को माना जाता है। यदि किसी जातक की कुंडली में शुक्र क्रूर स्थान पर हो तो उसे शुक्र की दशा में विषेश लाभ प्राप्त होता है किंतु यदि शुक्र राहु या सूर्य से आक्रांत हो तो उसके विपरीत प्रभाव के अनुसार सुख में कमी का भी कारण बनता है। किसी भी जातक की कुंडली में शुक्र की दशा में मकान, वाहन घरेलू सुख में वृद्धि के साथ ही शुक्र अपनी दशा का फल अवश्य जातक को दिखाता है...
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ज्योतिष विवेचन से जाने अपना कर्म क्षेत्र –

शिक्षा पूर्ण करते ही हर व्यक्ति की प्राथमिक आवश्यकता होती है धन कमाना। किंतु कई बार व्यक्ति असमंजस में होता है कि उसे नौकरी करनी चाहिए या व्यापार। कई बार व्यक्ति नौकरी में असफल या शिक्षा में असफल होने पर व्यापार करना चाहता है। किंतु कभी भी किसी प्रकार का व्यापार करने से पूर्व अपनी जन्म कुंडली की विवेचना कर कर यह जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए कि उसे कौन सा व्यापार लाभ देगा। इसके अतिरिक्त यह भी देख लेना चाहिए कि व्यापार या कार्य की दिशा कौन सी होगी।...
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थायरायड रोग और उसके ज्योतिष लक्षण

थायरायड ग्रंथि गर्दन के सामने की ओर,श्वास नली के ऊपर एवं स्वर यन्त्र के दोनों तरफ दो भागों में बनी होती है। इसका आकार तितली की तरह होता है। यह थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है। जिससे शरीर के ऊर्जा क्षय, प्रोटीन उत्पादन एवं अन्य हार्मोन के प्रति होने वाली संवेदनशीलता नियंत्रित होती है। थायरायड मानव शरीर मे पायी जाने वाली सबसे बड़ी एंडोक्राइन ग्लैंड में से एक है। थायरायड ग्रंथि गर्दन के सामने की ओर,श्वास नली के ऊपर एवं स्वर यन्त्र के दोनों तरफ दो भागों में बनी होती है।...
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केतु का प्रभाव – निरंतर उन्नति का प्रेरणास्त्रोत-

निरंतर चलायमान रहने अर्थात् किसी जातक को अपने जीवन में निरंतर उन्नति करने हेतु प्रेरित करने तथा बदलाव हेतु तैयार तथा प्रयासरत रहने हेतु जो ग्रह सबसे ज्यादा प्रभाव डालता है, उसमें एक महत्वपूर्ण ग्रह है केतु। ज्योतिष शास्त्र में राहु की ही भांति केतु भी एक छायाग्रह है तथा यह अग्नितत्व का प्रतिनिधित्व करता है। इसका स्वभाग मंगल ग्रह की तरह प्रबल और क्रूर माना जाता है। केतु ग्रह विषेषकर आध्यात्म, पराषक्ति, अनुसंधान, मानवीय इतिहास तथा इससे जुड़े सामाजिक संस्थाएॅ, अनाथाश्रम, धार्मिक शास्त्र आदि से संबंधित क्षेत्र का प्रतिनिधित्व...
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प्रेम विवाह हो पाएगा या नहीं? ज्योतषीय विश्लेषण

जब किसी लड़का और लड़की के बीच प्रेम होता है तो वे साथ-साथ जीवन बिताने की ख्वाहिश रखते हैं और विवाह करना चाहते हैं। कोई प्रेमी अपनी मंजिल पाने में सफल होता है यानी उनकी शादी उसी से होती है जिसे वे चाहते हैं और कुछ इसमे नाकामयाब होते हैं। इनमें कुछ अपनी नाकाम मोहब्बत के नाम पर अपने जीवन को भी बर्वाद कर डालते हैं। ज्योतिषशास्त्री इसके लिए ग्रह योग को जिम्मेवार मानते हैं। देखते हैं ग्रह योग कुण्डली में क्या कहते हैं। प्रेम एक दिव्य, अलौकिक एवं वंदनीय...
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अरविन्द केजरीवाल और ज्योतिष विश्लेषण

आम आदमी के अंतर्मन पर बहुत कम समय में अपना असर छोडऩे वाले पार्टी के मुखिया एवं दिल्ली के वर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की राशि और लग्न दोनों वृषभ है। लग्न का चंद्रमा जहां इनके व्यक्तित्व को आकर्षक बना रहा है वहीं मित्र सूर्य के घर में बैठा बुध इन्हें बेहतर वक्तृत्व शैली भी प्रदान कर रहा है। बुध के साथ-साथ स्वगृही सूर्य की उपस्थिति बुद्धादित्य नामक राजयोग निर्मित करते हैं तथा लाभ स्थान के राहु ने इनके लिए एक नई जगमगाती कथा लिखी। इसी राहू ने इन्हें पद और...
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मकान का सुख और ज्योतिष विश्लेषण

घर का सुख देखने के लिए मुख्यत: चतुर्थ स्थान को देखा जाता है। फिर गुरु, शुक्रऔर चंद्र के बलाबल का विचार प्रमुखता से किया जाता है। जब-जब मूल राशि स्वामी या चंद्रमा से गुरु, शुक्र या चतुर्थ स्थान के स्वामी का शुभ योग होता है, तब घर खरीदने, नवनिर्माण या मूल्यवान घरेलू वस्तुएँ खरीदने का योग बनता है। व्यक्ति के जीवन पुरुषार्थ, पराक्रम एवं अस्तित्व की पहचान उसका निजी मकान है। महंगाई और आबादी के अनुरूप हर व्यक्ति को मकान मिले यह संभव नहीं है। आधी से ज्यादा दुनिया किराये...
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होलिका की पूजा के लाभ- होलिका की पूजा के लाभ- होली के पर्व को नवसंवत्सर का आरम्भ तथा वसन्तागम के उपलक्ष में किया हुआ यज्ञ भी माना जाता है। होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है। यह पर्व हिंदूपंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगों का त्योहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते है। आज हम इसी पर्व यानि हालिका दहन...
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आमलकी एकादशी अथवा रंगभरी एकादषी - आमलकी एकादशी अथवा रंगभरी एकादषी - भारतीय शास्त्र बहुत उन्नत है इसका हर दिन और प्रत्येक व्रत-त्योहार का अपना एक अलग महत्व है। आजकल लोग आधुनिकता के कारण अपने संस्कार और संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। मेरा संकल्प है कि मैं इस बहुत उन्नत संस्कृति को बरकार रख पाउ। अतः हम समय समय पर व्रत एवं त्योहार के बारे में चर्चा करते रहेंगे। आज फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी है इस एकादषी को आमलकी या रंगभरी एकादशी कहते हैं। यह...
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जानिए की क्या हैं माघ पूर्णिमा और माघ पूर्णिमा का महत्व..???   हिन्दू धर्म में धार्मिक दृष्टि से माघ मास को विशेष स्थान प्राप्त है। भारतीय संवत्सर का ग्यारहवां चंद्रमास और दसवां सौरमास माघ कहलाता है।मघा नक्षत्र से युक्त होने के कारण इस महीने का नाम का माघ नाम पडा। ऐसी मान्यता है कि इस मास में शीतल जल में डुबकी लगाने वाले पापमुक्त होकर स्वर्ग लोक जाते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि माघी पूर्णिमा पर स्वंय भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करतें है अत: इस पावन समय...
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स्वामी विवेकानंद: युवाओं के प्रेरणास्त्रोत और मार्गदर्शक कलकत्ता में 12 जनवरी 1863 को जन्मे स्वामी विवेकानंद । स्वामी विवेकानंद युवाओं के प्रेरणास्त्रोत, आधुनिक भारत के एक महान युवा संन्यासी और एक आदर्श व्यक्तित्व के धनी थे । स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी सन् 1863 को कलकत्ता में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे। स्वामी विवेकानंद संत रामकृष्ण के शिष्य थे और वर्ष 1897 में उन्होंने रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन की स्थापना...
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कुंडली से जाने की शादी क्यों टूट जाती है (१)- यदि कुंडली में सातवें घर का स्वामी सप्तमांश कुंडली में किसी भी नीच ग्रह के साथ अशुभ भाव में बैठा हो तो शादी तय नहीं हो पाती है. (२)- यदि दूसरे भाव का स्वामी अकेला सातवें घर में हो तथा शनि पांचवें अथवा दशम भाव में वक्री अथवा नीच राशि का हो तो शादी तय होकर भी टूट जाती है. (३)- यदि जन्म समय में श्रवण नक्षत्र हो तथा कुंडली में कही भी मंगल एवं शनि का योग हो तो...
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विवाह में विलंभ होने का कारण और निवारण हमारे हिन्दू संस्कारों में विवाह को जीवन का आवश्यक संस्कार बताया गया है. विवाह के योग प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में होते हैं लेकिन कुछ ऐसे कारक हैं जो उसमें विलंब कराते हैं. ज्योतिषशास्त्र में मंगल, शनि, सूर्य, राहु और केतु को विलंब का कारक बताया गया है.जन्मकुंडली के सप्तम भाव में अशुभ या क्रूर ग्रह के स्थित होने अथवा सप्तमेश व उसके कारक ग्रह बृहस्पति व शुक्र के कमजोर होने से विवाह में बाधा आती है. आम बोलचाल के शब्दों में...
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(दोष रहित, सत्य प्रधान, उन्मुक्त, अमर और भरा-पूरा जीवन विधान ही धर्म है।) धर्म क्या है -- एक प्रकार की ब्रम्हाण्डीय जानकारी और उस जानकारी के अनुसार अपने आपको स्थित और व्यवस्थित करना अर्थात् ब्रम्हाण्डीय स्थिति की यथार्थत: जानकारी रखते हुये अपने को उसके अनुसार व्यस्थित कर देना । जो कुछ और जितना भी हम ब्रम्हाण्डीय विधान से अलग हट चुके हैं, उसमें अपने को स्थित कर देना । पिण्ड (शरीर) ब्रम्हाण्ड की एक इकाई है । ब्रम्हाण्डीय विधान क्या है और उसमें यह जो हमारा पिण्ड है यह कहाँ...
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स्त्री का सम्मान और आदर:खुशियाँ और लक्ष्मी का वास जब किसी घर में शादी के बाद पहली बार दुल्हन आती है तब उसे लक्ष्मी स्वरुप माना जाता है। वास्तव में लक्ष्मी होती भी है। प्रायः सुनने में आता है कि बहू के पैर बहुत ही भाग्यशाली हैं, जब से पड़े है, घर में लक्ष्मी बरसने लगी है। इसके विपरीत ऐसे पैर भी सुनने को मिलते हैं जिनके घर में प्रवेश करते ही सुख-सम्पदा का पलायन प्रारम्भ हो जाता है। परन्तु मैं प्रत्येक स्त्री के पर घर में शुभ मानता हॅ।...
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कौन सी ग्रह आपकी जीवन प्रभावित करता है एक नया वर्ष एक फिर आने वाला हें..नए वर्ष के स्वागत में हम सभी अपने पुराने गम,दुःख-दर्द,तकलीफ भूलकर नयी आशा ,नयी उर्जा और नयी सोच से एक बार फिर से नए जोश के साथ इस नए साल/वर्ष का स्वागत करते हें..जीवन का एक नया अध्याय शुरू होने वाला हें..हमने पुरुषार्थ के साथ साथ कर्म प्रधान भी बनाना हें ..एक नयी प्रेरणा से इस नए वर्ष का स्वागत करना हें..दृढ संकल्प प्रत्येक मनुष्य को कर्मनिष्ठ बनाकर सफलता प्राप्ति में सहयोग प्रदान करता हें......
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जानें तुलसी पूजा का महत्व और नियम   हिन्दू धर्म में देव पूजा और श्राद्ध कर्म में तुलसी आवश्यक मानी गई है। शास्त्रों में तुलसी को माता गायत्री का स्वरूप भी माना गया है। गायत्री स्वरूप का ध्यान कर तुलसी पूजा मन,घर-परिवार से कलह व दु:खों का अंत कर खुशहाली लाने वाली मानी गई है। इसके लिए तुलसी गायत्री मंत्र का पाठ मनोरथ व कार्य सिद्धि में चमत्कारिक भी माना जाता है। तुलसी को दैवी गुणों से अभिपूरित मानते हुए इसके विषय में अध्यात्म ग्रंथों में काफ़ी कुछ लिखा गया...
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जानें हिन्दू धर्म में विवाह संस्कार का महत्व और नियम हिंदू धर्म शास्त्रों में हमारे सोलह संस्कार बताए गए हैं। इन संस्कारों में काफी महत्वपूर्ण विवाह संस्कार। शादी को व्यक्ति को दूसरा जन्म भी माना जाता है क्योंकि इसके बाद वर-वधू सहित दोनों के परिवारों का जीवन पूरी तरह बदल जाता है। इसलिए विवाह के संबंध में कई महत्वपूर्ण सावधानियां रखना जरूरी है। विवाह के बाद वर-वधू का जीवन सुखी और खुशियोंभरा हो यही कामना की जाती है। विवाह = वि + वाह, अत: इसका शाब्दिक अर्थ है - विशेष...
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सत्य के पुजारी भगवान परशुराम अक्षय तृतीया का भारतीय जनमानस में बड़ा महत्व है। इस दिन स्नान, होम, जप, दान आदि का अनंत फल मिलता है, ऐसा शास्त्रों का मत है। अक्षय तृतीया को ही पीतांबरा, नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम के अवतार हुए इसीलिए इस दिन इनकी जयंती मनाई जाती है। भारतीय कालगणना के सि‍द्धांत से इसी दिन त्रयेता युग का आरंभ हुआ। इसीलिए इस तिथि को सर्वसिद्ध (अबूझ) तिथि के रूप में मान्यता मिली हुई है। वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि त्रेतायुग आरम्भ की तिथि मानी जाती है और...
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वास्तु शास्त्र का पालन करें और जीवन स्वस्थ रखें वास्तु शास्त्र के प्रसिद्ध ग्रंथ: समरांगण सूत्रधार, मानसार, विश्वकर्मा प्रकाश, नारद संहिता, बृहतसंहिता, वास्तु रत्नावली, भारतीय वास्तु शास्त्र, मुहूत्र्त मार्तंड आदि वास्तुज्ञान के भंडार हैं। अमरकोष हलायुध कोष के अनुसार वास्तुगृह निर्माण की वह कला है, जो ईशान आदि कोण से आरंभ होती है और घर को विघ्नों, प्राकृतिक उत्पातों और उपद्रवों से बचाती है। ब्रह्मा जी ने विश्वकर्मा जी को संसार निर्माण के लिए नियुक्त किया था। इसका उद्देश्य था कि गृह स्वामी को भवन शुभफल दे, पुत्र, पौत्रादि, सुख,...
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कर्ज पर आजादी प्राप्त करें ऐसा क्यों होता है कि कभी-कभी कर्ज चुकने का नाम ही नहीं लेता?कर्ज षब्द का भाव है कि किसी से उधार कुछ धन लिया और बाद मे उस पर कुछ अतिरिक्त धन देकर मुलधन को वापस कर देना । ये सबसे बुरी बीमारी है और अगर एक  साल ब्याज की किस्त किसी कारण वष नही दें पाया तो अगले वर्श उस ब्याज को मूलधन मे जोड दिया जाता है और इस प्रकार ब्याज के उपर ब्याज देना पडता है । इसी प्रकार हम हर रोज...
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मनुष्य का जीवन कैसे राहू से प्रभावित होता है   हम जहां रहते हैं वहां कई ऐसी शक्तियां होती हैं, जो हमें दिखाई नहीं देतीं किंतु बहुधा हम पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं जिससे हमारा जीवन अस्त-व्यस्त हो उठता है और हम दिशाहीन हो जाते हैं। इन अदृश्य शक्तियों को ही आम जन ऊपरी बाधाओं की संज्ञा देते हैं। भारतीय ज्योतिष में ऐसे कतिपय योगों का उल्लेख है जिनके घटित होने की स्थिति में ये शक्तियां शक्रिय हो उठती हैं और उन योगों के जातकों के जीवन पर अपना प्रतिकूल...
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जीवन की उपयोगिता है वास्तु शास्त्र वास्तुशास्त्र भारत का अत्यन्त प्राचीन शास्त्र है। प्राचीन काल में वास्तुकला सभी कलाओं की जननी कही जाती थी। आज भी जितने भवन और बिल्डिंग आदि बन रही है अधिकांश में वास्तु के हिसाब से बनाया जा रहा है , आइये जानते है वास्तु के कुछ नियम :-वास्तु तीन प्रकार के होते हैं- त्र आवासीय - मकान एवं फ्लैट त्र व्यावसायिक -व्यापारिक एवं औद्योगिक त्र धार्मिक- धर्मशाला, जलाशय एवं धार्मिक संस्थान। वास्तु में भूमि का विशेष महत्व है। भूमि चयन करते समय भूमि या मिट्टी...
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आपके घर का वास्तु तो नहीं....आपके आपसी रिश्तों में तनाव का कारण अकसर परिवारों में सास-बहू, भाई-बहन, भाभी, माता-पिता के टकरावों के बारें में हम सुनते है. किसी परिचित परिवार में यदि ऐसा अलगाव दिखता है तो मन में बहुत दुःख होता है.किसी का वश नहीं चलता हम अपने ही सामने अपने मित्र या सम्बन्धी व रिश्तेदार का परिवार जो कुछ समय पहले शांत तथा मिलजुल के रहने वाला था किन्तु आज पल भर में ही बिखर गया.इसमें किस की गलती है या किस की नहीं यह तो सोचने से...
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