कारोबार में असफलता –
व्यक्ति के जीवन में कई बार कारोबार में आकस्मिक हानि प्राप्त होती है साथ ही कई बार योग्यता तथा सामथ्र्य होने के बावजूद कारोबार में वह सफलता प्राप्त नहीं होती, जिसकी चाहत होती है। इस प्रकार का कारण ज्योतिषषास्त्र द्वारा किया जा सकता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में प्रथम, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ, अष्टम, नवम भाव में से किसी भाव में राहु के होने पर जातक के जीवन में आकस्मिक हानि का योग बनता है। अगर राहु के साथ सूर्य, शनि के होने पर यह प्रभाव जातक के व्यवसाय या कार्य पर भी दिखाई देता है। अगर प्रथम भाव में राहु के साथ सूर्य या शनि की युति बने तो व्यक्ति अषांत, गुप्त चिंता, स्वास्थ्य एवं पारिवारिक परेषानियों के कारण चिंतित रहता है। दूसरे भाव में इस प्रकार की स्थिति निर्मित होेने पर वैमनस्य एवं आर्थिक उलझनें बनने का कोई ना कोई कारण बनता रहता है। तीसरे स्थान पर होने पर व्यक्ति हीन मनोबल का होने के कारण असफलता प्राप्त करता है। चतुर्थ स्थान में होने पर घरेलू कलह से संबंधित कष्ट के कारण कारोबार में पर्याप्त समय तथा क्षमता नहीं दे पाता है। पंचम स्थान में होने पर अच्छी व्यवायिक रिष्तें ना बनने के कारण कारोबार में प्रसिद्धि संबंधित बाधा तथा दुख का कारण बनता है। अष्टम में होने पर आकस्मिक हानि, विवाद तथा न्यायालयीन विवाद, उन्नति तथा धनलाभ में बाधा देता है। बार-बार कार्य में बाधा आना या व्यवसाय में परितर्वतन करना, सामाजिक अपयष अष्टम राहु के कारण दिखाई देता है। नवम स्थान में होने पर भाग्योन्नति तथा हर प्रकार के सुखों में कमी का कारण बनता है। बुध के साथ राहु होने पर जडत्व दोष बनता है, जिसमें नई विकास तथा सोच प्रभावित होती है, जिसके कारण कारोबार में नयापन ना ला पाने के कारण असफलता प्राप्त होती है। यदि लगातार कारोबार में असफलता प्राप्त हो रहा हो तो श्री नारायण गायत्री मंत्र का नित्य जाप कर थोड़ा दान करें तो जीवन में सुख तथा समृद्धि का रास्ता प्रष्स्त करता है।
188
Pt.P.S Tripathi
Mobile no-9893363928,9424225005
Landline no-0771-4035992,4050500
Feel Free to ask any questions in