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आध्यात्मिक वस्तुओं का माहात्म्य

सनातन धर्म में मूर्ति पूजा का विधान है। इस संसार को बनाने वाली मूर्ति रूप लेकर किसी न किसी वेश में अपने भक्तों के सामने प्रकट होती है। इसी के उदाहरण हैं षोडश कलायुक्त भगवान श्री कृष्ण एवं मर्यादा पुर्रोशोतमराम। यह आवश्यक नहीं कि वे मनुष्य रूप में ही जन्म लें। उन्होंने नरसिंह रूप में भी अवतार लिया, वामन अवतार, कूर्म अवतार, मत्स्य अवतार, वराह अवतार आदि अनेक रूपों में उन्होंने अपने को प्रकट किया। सही भी है, यदि वे विभिन्न कोटियों के प्राणियों, धरती, आकाश वायु, पर्वत आदि की...
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राहु द्वारा निर्मित योग और उनका फल

ज्योतिष में राहु नैसर्गिक पापी ग्रह के रूप में जाना जाता है। राहु को Dragon's Head तथा North Node के नाम से भी जाना जाता है। राहु एक छाया ग्रह है। इनकी अपनी कोई राषि नहीं होती। अतः यह जिस राषि में होते हैं उसी राषि के स्वामी तथा भाव के अनुसार फल देते हैं। राहु केतु के साथ मिलकर कालसर्प नामक योग बनाता है जो कि एक अषुभ योग के रूप में प्रसि़द्ध है। इसी प्रकार यह विभिन्न ग्रहों के साथ एवं विभिन्न स्थानों में रहकर अलग-अलग योग बनाता...
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क्या आप बन पाएंगे सफल इंजीनियर

राहु-केतु छाया ग्रह हैं, परंतु उनके मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव के आधार पर हमारे तत्ववेत्ता ऋषि-मुनियों ने उन्हें नैसर्गिक पापी ग्रह की संज्ञा दी है। केतु को ‘कुजावत’ तथा राहु को ‘शनिवत्’ कहा गया है। परंतु जहां शनि का प्रभाव धीरे-धीरे होता है, राहु का प्रभाव अचानक और तीव्र गति से होता है। राहु-केतु कुंडली में आमने-सामने 1800 की दूरी पर रहते हैं और सदा वक्र गति से गोचर करते हैं। राहु ‘इहलोक’ (सुख-समृद्धि) तथा केतु ‘परलोक’ (आध्यात्म), से संबंध रखता है। यह कुंडली के तीसरे, छठे और...
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