शरीर थकावट से चूर-चूर है, पर दिन भर के कामकाज के बाद रात में जब आप बिस्तर पर जाती हैं तो नींद को आंखों से कोसों दूर पाती हैं। आखिर नींद न आने का क्या है कारण क्या है दिन भर की थकान के बाद हर व्यक्ति की यही इच्छा होती है कि उसे अच्छी और भरपूर नींद आए, लेकिन तब काफी तकलीफदेह स्थिति होती है, जब सोने की सारी कोशिशें बेकार होती नजर आती हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि रात में 7-8 घंटे की नींद अच्छे स्वास्थ्य के...
जीवन का सबसे बड़ा प्रश्न ही रोटी अर्थात रोजगार है, और हम इस पहले मोर्चे पर ही असफल साबित हो जाए। वर्तमान डिग्री प्राप्त करने से ईतर स्वावलंबन परक शिक्षा की प्राप्ति कर स्वावलंबी बनने की दिषा में प्रयास करना चाहिए। जिस समय कालपुरुष की कुंडली में शनि जो कि नवीन अन्वेषण का कारक होता है। अतः शिक्षा के क्षेत्र में भी कुछ नया करते हुये ऐसी शिक्षा देने का प्रयास करना चाहिए जिससे डिग्री या ज्ञान के साथ-साथ समर्थवान बन सके... ज्योतिषीय गणनाओं का सहारा लेते हुए रोजगार मूलक...
जन्म कुण्डली के बारह भावों से भिन्न-भिन्न बातों को देखा जाता है। ज्योतिष का मूल नियम यह है कि भाव की शुभाशुभता का विचार भाव और भावेश की बलवत्ता और उस पर पड़ने वाली अन्य ग्रहों की युति एवं दृष्टि द्वारा निर्णित होता है साथ ही नित्य कारक ग्रहों से भी भाव की शुभाशुभता का विचार करते हैं। इस प्रकार भाव, भावेश और कारक इन तीनों के संयुक्त प्रभाव के फलस्वरूप भाव फल का निश्चय किया जाता है। यहां हम कारक और उनके महत्व की चर्चा करेंगे। कारक दो प्रकार...
ग्रहों के स्वभावानुसार उनके बलाबल को निश्चित करने में ग्रहों द्वारा अधिष्ठित राशि बहुत महत्व रखती है। दूसरे शब्दों में ग्रहों की कार्य प्रणाली, ग्रहों द्वारा अधिष्ठित राशि के तत्वों, राशि कार्य की रीति या ढंग तथा राशि की ध्रुवता पर निर्भर होती है। ग्रह तो केवल विशेष प्रकार के ऊर्जा पुंज हैं। इन ऊर्जा पुंजों को गति, अभिव्यक्ति व क्रियाशीलता तो उनके द्वारा अधिष्ठित राशियों के गुण धर्मों के अनुरूप ही होती है। राशि तत्व उस राशि में ग्रह के चेतन तत्व की अभिव्यक्ति को दर्शाता है। अर्थात् वह...