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वृक्ष, वास्तु और विनाश का विज्ञान: क्यों घर में केला नहीं, तुलसी होनी चाहिए?

वृक्ष, वास्तु और विनाश का विज्ञान: क्यों घर में केला नहीं, तुलसी होनी चाहिए? आज हम वृक्षों को केवल ऑक्सीजन देने वाला तत्व मानते हैं — लेकिन हमारे ऋषियों ने उन्हें ऊर्जा, संस्कार और भाग्य-निर्माण से जोड़कर देखा। सही वृक्ष सही दिशा में न लगे, तो घर की समृद्धि, स्वास्थ्य, वंश, और यहाँ तक कि जीवन तक संकट में आ सकता है। यह कोई अंधविश्वास नहीं, बल्कि वास्तुशास्त्र, संहिता, पुराण, और ज्योतिषीय विवेचना से प्रमाणित तथ्य हैं। 🌳 केले का पेड़ क्यों नहीं लगाना चाहिए? > 🔍 शास्त्र कहता है...
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श्री महा-विपरीत-प्रत्यंगिरा स्तोत्र

महेश्वर उवाच शृणु देवि महाविद्यां सर्वसिद्धिप्रदायिकाम् । यस्य विज्ञानमात्रेण शत्रुवर्गा लयं गताः ॥ १ ॥ विपरीतमहाकाली सर्वभूतभयङ्करी । यस्याः प्रसङ्गमात्रेण...
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सम्राट अशोक महान और महाकाल की कथा

  सम्राट अशोक महान (मौर्य वंश) कथा: दीप्ति-युग का मौर्य सम्राट अशोक, कलिंगयुद्ध के पश्चात् अहिंसा मार्ग अवलम्बन के लिए विख्यात हुआ। परन्तु कम ही लोग जानते हैं कि दिल्ली-उत्तराखण्ड मार्ग से निकल कर जब अशोक अमलेश्वर की गुफा में पहुँचा, तब उसने स्वयं को महाकाल के चरणों में अर्पित कर दिया। उसने प्रत्येक पूर्णिमा को वहाँ ‘अमलेश्वर-स्नान’ किया। सम्राट ने आदेश दिया कि मौर्य साम्राज्य में सभी जजमानों को वार्षिक पिंडदान-पुण्यश्लोक अर्पित करे। विजय-पर्वों पर राजा अशोक महाकाल की आरती तथा नंदी-वन्दना अनिवार्य करवा कर स्वकीयं राज्य को पितृदोष-मुक्ति...
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“सर्पशाप और महाकाल: कलचुरी वंश की खोई संतानें

"सर्पशाप और महाकाल: कलचुरी वंश की खोई संतानें (एक ऐतिहासिक कथा जो आज भी खारुन के तट पर साँस लेती है) संवत् 1225 — रतनपुर का शापग्रस्त सिंहासन रतनपुर राज्य में कलचुरी वंश का पराक्रमी राजा त्रैलोक्यमल्ल सिंहासन पर आरूढ़ था। राज्य सुख-शांति से भरपूर था, परंतु एक दर्द था जो महलों की दीवारों में साँय-साँय करता था — राजा को कोई संतान नहीं थी। राजा त्रैलोक्यमल्ल ने असंख्य यज्ञ किए, ऋषियों को दान दिया, किन्तु कोई उत्तर न मिला। महलों में हर पूर्णिमा को आशा के दीप जलाए जाते,...