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कुंडली अनुसार करे बच्चों का पालन

सनातन हिंदू धर्म बहुत सारे संस्कारों पर आधारित है, जिसके द्वारा हमारे विद्वान ऋषि-मुनियों ने मनुष्य जीवन को पवित्र और मर्यादित बनाने का प्रयास किया था। ये संस्कार ना केवल जीवन में विशेष महत्व रखते हैं, बल्कि इन संस्कारों का वैज्ञानिक महत्व भी सर्वसिद्ध है। गौतम स्मृति में कुल चालीस प्रकार के संस्कारों का उल्लेख किया गया है, वहीं महर्षि अंगिरा ने पच्चीस महत्वपूर्ण संस्कारों का उल्लेख किया है तथा व्यास स्मृति में सोलह संस्कारों का वर्णन किया गया है जोकि आज भी मान्य है। माना जाता है कि मानव...
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कृषि उत्पादन के सहयोगी तत्व वायु,वृष्टि व भूमि की उपयोगिता

प्राचीन काल से आज तक मनुष्य अपनी क्षुधा को शांत करने के लिए प्रकृति पर अविलम्बित रहा है। प्रकृति ने भी उसे अपनी ममतामयी गोद में कृषि के माध्यम से शस्य (धान्य) से समृद्ध बनाया। किन्तु वृष्टि, अनावृष्टि, अतिवृष्टि, दुर्भिक्ष आदि अनेक प्राकृतिक अपदाओं का भय भी अक्सर देखा ही जा रहा है और इनसे निपटने के लिए ज्योतिष की सहायता ली जा सकती है। भारतीय ज्योतिष शास्त्र इस मामले में बेजोड़ है। ज्योतिष शास्त्रानुसार प्रत्येक घटना के घटित होने के पहले प्रकृति में कुछ विकार उत्पन्न देखे जाते हैं...
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रावन कौन है

पुलत्स्य ऋषि के उत्कृष्ट कुल में जन्म लेने के बावजूद रावण का पराभव और अधोगति के अनेक कारणों में मुख्य रूप से दैविक एवं मानवीय कारणों का उल्लेख किया जाता है। दैविक एवं प्रारब्ध से संबंधित कारणों में उन शापों की चर्चा की जाती है जिनकी वजह से उन्हें राक्षस योनि में जाना पड़ा। शक्तियों के दुरुपयोग ने उनके तपस्या से अर्जित ज्ञान को नष्ट कर दिया था। ब्राह्मण कुल में जन्म लेने के बावजूद अशुद्ध, राक्षसी आचरण ने उन्हें पूरी तरह सराबोर कर दिया था और हनुमानजी को अपने...
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गुरु ही आपके गुरु है

गुरूब्र्रह्मा गुरूर्विष्णु गुरूर्देवो महेश्वर:। गुरु: साक्षात परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नम:॥ गुरु का अर्थ है अंधकार या अज्ञान और रु का अर्थ है उसका निरोधक यानी जो अज्ञान के अंधकार से बाहर निकाले वही गुरु। गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व अपने आराध्य गुरु को श्रद्धा अर्पित करने का महापर्व है। योगेश्वर भगवान कृष्ण श्रीमद्भगवतगीता में कहते हैं, हे अर्जुन! तू मुझमें गुरुभाव से पूरी तरह अपने मन और बुद्धि को लगा ले। ऐसा करने से तू मुझमें ही निवास करेगा, इसमें कोई संशय नहींं। गुरु की महत्ता के बारे...
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दशहरा पर्व की उत्पत्ति

दशहरा उत्सव की उत्पत्ति के विषय में कई कल्पनायें की गयी हैं। भारत के कतिपय भागों में नये अन्नों की हवि देने, द्वार पर धान की हरी एवं अनपकी बालियों को टाँगने तथा गेहूँ आदि को कानों, मस्तक या पगड़ी पर रखने के कृत्य होते हैं। अत: कुछ लोगों का मत है कि यह कृषि का उत्सव है। कुछ लोगों के मत से यह रणयात्रा का द्योतक है, क्योंकि दशहरा के समय वर्षा समाप्त हो जाती है, नदियों की बाढ़ थम जाती है, धान आदि कोष्ठागार में रखे जाने वाले...
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जाने बंगाल की दुर्गा पूजा के बारे में

दुर्गा पूजा का पर्व भारतीय सांस्कृतिक पर्वों में सबसे ज़्यादा लोकप्रिय है। लगभग दशहरा, दीवाली और होली की तरह इसमें उत्सव धार्मिकता का पुट आज सबसे ज़्यादा है। बंगाल के बारे में कहा जाता है कि बंगाल जो आज सोचता है, कल पूरा देश उसे स्वीकार करता है। बंगाल के नवजागरण को इसी परिप्रेक्ष्य में इतिहासकार देखते हैं। यानि उन्नीसवीं शताब्दी की भारतीय आधुनिकता के बारे में भी यही बात कही जाती है कि बंगाल से ही आधुनिकता की पहली लहर का उन्मेष हुआ। स्वतंत्रता का मूल्य बंगाल से ही...
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असत्य पर सत्य की जीत विजयादशमी

हर तरफ फैले भ्रष्टाचार और अन्याय रूपी अंधकार को देखकर मन में हमेशा उस उजाले की चाह रहती है जो इस अंधकार को मिटाए। कहीं से भी कोई आस ना मिलने के बाद हमें हमारी संस्कृति के ही कुछ पन्नों से आगे बढऩे की उम्मीद मिलती है। हम सबने रामायण को किसी ना किसी रूप में सुना, देखा और पढ़ा ही होगा। रामायण हमें यह सीख देता है कि चाहे असत्य और बुरी ताकतें कितनी भी ज्यादा हो जाएं, पर अच्छाई के सामने उनका वजूद एक ना एक दिन मिट...
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अचानक धनी बनने के योग

लोग अचानक धनी बनने का ख्वाब पाल लेते हैं। उनमें बिना अधिक श्रम किए समृद्ध होने की लालसा इतनी प्रबल होती है कि वे सट्टा, लाटरी, कमोडिटी या फिर शेयर मार्केट की ओर झुक जाते हैं। इसमें से अधिकांश के साथ हालत ये तक हो जाती है कि वे अपनी पूरी जमा-पूंजी, चल-अचल संपत्ति बेच-बाच कर सारा धन अपनी इच्छा पूर्ति के लिए लगा देते हैं। और ज्यादातर मामलों में परिणाम मनोनुकूल नहींं मिल पाता है। अधिकांश इस शौक के पीछे बर्बाद तक हो जाते हैं वहीं कुछ ऐसे भी...
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भृगुकालेंद्र पूजन से लायें बच्चों में अनुशासन एवं आज्ञापालन-

आज की युवा पीढ़ी को प्रदान की जा रही सुविधाओं के सद्पयोग के बजाय उनका दुरूपयोग कर ये बच्चे भटकाव की दिषा में अग्रसर होती जा रही है। बहुत अच्छा प्रदर्षन करने वाला अचानक अपने एजुकेषन में गिरावट ले आता है, घर तक सीमित रहने वाला बच्चा दोस्तों तथा बाहरी दुनिया में रहना चाहता है। माॅ की बातें लेक्चर लगती है तथा लगातार रोकटोक को बरदास्त नहीं करता, विरोध स्वरूप बाहर रहने का प्रयास करता है। पिता के सामने आने से बचना चाहता है। विभिन्न प्रकार के शौक शुरू हो...
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Nabhas yoga

There are 32 main Nabhasa Yogas, which are classified in four categories. The word Nabhasa means the sky. As such, the Yogas are formed in the sky with the help of all the three constituents, namely all the seven planets (excluding Rahu and Ketu), all the 12 signs and the 12 houses (including all shodhas vargas - 16 divisional charts), are called the Nabhasa Yogas. In these Yogas, all seven planets participate simultaneously. Each nativity will have at least one yoga out of 32 main Nabhasa Yogas. The main question...
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Importance of nakshatras

Naksha" is "map" and "tara" is "star" and so Nakshatra is "Star Map." In the eyes of the ancient Vedic (Indian) seers the 27 Nakshatras (constellations) map the sky. 'Nakshatras' is the name given to the constellations or mansions of the Moon, as the Moon resides in each of these constellations for one day. Predictive technique Based on a person's moon Nakshatra at the time of birth, is most accurate as compared to other forms of astrology. The Nakshatras are classified in various ways, according to basic attribute, primary motivation...
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Livelihood from planet saturn

An individual experiences these good and bad results in the Dasa Bhukti of the planets posited in different houses of the horoscope. Saturn depicts that particular category of past actions which were undesirable, and for which the individual has to undergo corresponding suffering in this life. Saturn reminds us that one has to pay for his wrong deeds. Through suffering and tribulations Saturn cautions us to avoid recurrence of past mistakes and follow the right path in present life. Saturn is described as a natural malefi c and evil planet...
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Sadesati topic of bane or boon in astrology

The name 'Sadesati' sends a chill in the spine of a common man. Most of them take it as a dreadful occurrence and ignore the good qualities of Saturn. Apart from seven and half years transit of Saturn i.e. Sadesati, the Transit of Saturn over the 4th house from the radical Moon i.e. Ardhashtama Shani and over the 8th house from the radical Moon i.e. Asthama Shani are also considered bad. The native born under the above mentioned disposition of Saturn with reference to Moon is likely to suffer maximum...
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कुंडली में धन योग

धन जीवन की मौलिक आवश्यकता है। सुखमय, ऐश्वर्य संपन्न जीवन जीने के लिए धन अति आवश्यक है। आधुनिक भौतिकतावादी युग में धन की महत्ता इतनी अधिक बढ़ चुकी है कि धनाभाव में हम विलासितापूर्ण जीवन की कल्पना तक नहीं कर सकते, विलासित जीवन जीना तो बहुत दूर की बात है। यही कारण है कि आज प्रत्येक व्यक्ति अधिकाधिक धन संचय करने के लिए प्रयासरत है। अपने जीवन-काल में किसे कितना धन प्राप्त होगा यह धन कैसे-कैसे साधनों के द्वारा प्राप्त होगा, इन सब संपूर्ण तथ्यों की जानकारी किसी भी जातक...
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कुंडली में ग्रहण योग

काल सर्प योग की अशुभता को बढ़ा देता है ग्रहण योग । इस योग का विस्तृत फल भी प्राप्त होता है क्योंकि यह योग कालसर्प योग की अशुभता को बढ़ा देता है। परंतु किस हद तक, इसका पूर्ण विवेचन जानने के लिए पढ़िए यह लेख। सूर्य सिद्धांत के अनुसार सूर्य से 6 राशि के अंतर अर्थात 1800 अंश की दूरी पर पृथ्वी की छाया रहती है। पृथ्वी की छाया को भूच्छाया, पात या छाया ग्रह राहु, केतु भी कहते हैं। पूर्णिमा की रात्रि के अंत में जब चंद्रमा भूच्छाया में...
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अंतर्जातीय विवाह का ज्योतिष्य कारण

भारतीय समाज में विवाह एक संस्कार के रूप में माना जाता है। जिसमें शामिल होकर स्त्री पुरुष मर्यादापूर्ण तरीके से अपनी इच्छाओं की पूर्ति कर वंशवृद्धि या अपनी संतति को जन्म देते हैं। सामान्यतः विवाह का यह संस्कार परिवारजनों की सहमति या इच्छा से अपनी जाति, समाज या समूह में ही किया जाता है। पर फिर भी हमें ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं जहां विवाह परिवार की सहमति से ना होकर स्वयं की इच्छा से किया जाता है। पूर्व समय में प्रेम सम्बन्ध या यौन आकर्षण विवाह सम्बन्ध के बाद...
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मन में अहंकार पैदा क्यों ?????

जब मन को किसी गलत विक्षिप्तताओं क्रोध, घृणा, ईष्र्या, लालच में अधिक लंबाई तक खींचा जाता है तो मन में अहंकार पैदा होने लगता है। मन में पहले बड़े अहंकार आने लगते हैं जो कि स्थाई होते हैं। फिर धीरे-धीरे सूक्ष्म अहंकार आने लगते हैं जो कि हमें दिखाई नहीं देते हैं और पता भी नहीं चलता है। ये सूक्ष्म अहंकार हमारे शरीर में चल रही हार्मोनिक क्रियाओं पर अपना प्रभाव छोड़ते हैं और शरीर की व्यवस्थाओं में बिखराव पैदा करना शुरू कर देते हैं। इस बिखराव के द्वारा शरीर...
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दैनिक जीवन की मनोविकृतियाँ

प्राय : सभी व्यक्तियों से दैनिक जीवन में भूलें होती हैँ। कुछ भूले हमारी अज्ञानता के कारण होती है जबकि कुछ भूलें ऐसी होती है जो शीघ्र ही हमारी स्मृति में आ जाती है जिनका हमें ज्ञान होता है और हम उनमें सुधार लाते है। कभी-कभी ऐसी भी घटनाएं घटित होती है जो आश्चर्यजनक होती है परन्तु इन घटनाओं पर हम अपना ध्यान नहीं देते है । इन घटनाओं तथा भूलों को करते समय तक चेतना व्यक्ति को नहीँ होती परन्तु तुरन्त ही चेतना अथवा ज्ञान हो जाता है। ऐसा...
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व्यक्तित्व विकास एवं समायोजन

विकास का अर्थ विकास एक प्रक्रम है, जिसे प्रेक्षण और उत्पाद जाना जा सकता है। विकासात्मक परिवर्तन, व्यक्तित्व की संरचना एवं उसके प्रकार्य में होते है। दैहिक संरचना में परिवर्तन जीवन पर्यन्त होते रहते है। ये परिवर्तन शरीर की कोशिकाओं एवं उतकों तथा अन्य रासायनिक तत्वों में होते रहते है। इसके साथ ही व्यक्ति के सवेंगों, व्यवहारों एवं अन्य व्यक्तित्यशाली गुणों में परिवर्तन होते रहते है जिन्हें प्रेक्षण द्वारा प्रत्यक्ष या व्यक्ति द्वारा किये गये व्यवहार के परिणाम के आधार पर परोक्षत: जाना जा सकता है। चूँकि विकास प्रगतिशील एवं...
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