संधिकाल या संक्रमण काल सदैव से ही अशुभ, हानिकारक, कष्टदायक एवं असमंजसपूर्ण माना जाता रहा है। संधि से तात्पर्य है एक की समाप्ति तथा दूसरे का प्रारंभ, चाहे वह समय हो या स्थान हो या परिस्थिति हो। ऋतुओं के संधिकाल में रोगों की उत्पत्ति होती है। दिन व रात्रि के संधिकाल में ईश वंदना की जाती है। शासन प्रशासन के संधिकाल में जनता को कष्टों का सामना करना पड़ता है। कमरे व बरामदे के मध्य (दहलीज पर) शुभ कार्य वर्जित है। दो प्रकार के मार्गों के मिलन स्थल पर सावधानी...
Our sages, who made many contributions in the field of Astrology and wrote about their experiences in the classics in the shape of sutras or shlokas. Every body who worked on this ancient subject had mastered different theories, as per their expertise, to be used in delineating a birth chart, or horoscope, thus provided the modern world with different tools to decipher a birth chart. One of these tools is Tithi, which is of prime importance in predictive astrology. Since this article is related to the importance of Tithi in...
The first house in the Kundli is about identity and just opposite to this house is the seventh house which shapes our destiny in relationship. Do you find it easy to pair up or you remain a singleton all through life depends on the position of seventh lord, seventh house and planetary aspect on them in the kundli. The prime factor in correct judgment of a particular house is to study and to analyze the various influences in holistic manner keeping in view the contemporary situation, period and country- There...
Since time immemorial, Astrology has been at the service of man, helping him in predicting future, comforting him in difficult times with visions of better prospects, aiding him in taking prudent decisions. But like all ancient studies, astrology too has been viewed with mixed feelings, varying from skepticism to disbelief and contempt. At many times, it has been regarded as an over-hyped belief and has been burdened with myths. But the fact is that Astrology is more than a study of coalescence of planets and its influence on man, his...
Persons having Panch Mahapurush Rajayoga in their birth charts get good jump in life and progress well during dasa, antardasa of planet causing this rajyoga. Definition of Panch Mahapurush Rajayoga is very well defined by ancient astrologer Acharya “Varahamihir” in Chapter 68 of Vrahat Samhita. As per his definition -Five planets Mars, Mercury, Jupiter, Venus and Saturn; when placed in kendra and either in their own house or in the house of exaltation form Panch Mahapurush Rajayogas. One more condition is mentioned in the said rules that Sun and Moon...
क्यूँ लोग कभी कभी कहते है की मन नहीं लगता या मन नहीं लग रहा जाने ज्योतिष की नजरिये से मन नहीं लगता या नहीं लग रहा ये अकसर सुनने में आता है। मन अति चंचल है। कहा जाता है कि मन के हारे हार है और मन के जीते जीत। अतः मन किसी व्यक्ति में इतना मायने रखता है। और कई बार मन कुछ भी करने को नहीं करता है। मन की भटकन को रोकने के लिए ज्योतिष कारगर साबित होता है। मन को हम कुंडली के तीसरे स्थान...
जब भी किसी का समय खराब आता है तो उसके जीवन में सद्संग तथा सद्व्यवहार दोनो कम होते हैं या समाप्त होने लगते हैं। बुरे समय का सबसे पहला असर बुद्धि पर पड़ता है और वह बुद्धि को विपरित करके भले को बुरा व बुरे को भला दिखलाने लगता है। विनाशकाल समीप आ जाने पर बुद्धि खराब हो जाती है, अन्याय भी न्याय के समान दिखने लगती है। मनुष्य का जीवन उसके निर्णयों पर आधारित है। हर व्यक्ति को दो या अधिक रास्तों में से किसी एक को चुनना पड़ता...
मानव जाति त्रिविध (आध्यात्मिक, आधिभौतिक, आधिदैविक) कष्ट भोगता है उनमें मृत पूर्वजों की अतृप्ति के कारण वंशजों को जो कष्ट होता है वह आध्यात्मिक कारणों से होने वाले कष्टो में से एक है। समस्याओं से मुक्ति के अनेक उपाय करने के बावजूद भी राहत नहीं मिलती है। सामान्यतः दैनिक जीवन में अनेक प्रकार के कष्ट भोगने पड़ते हैं। शारीरिक रूप से कमजोर, मानसिक रूप से विक्षिप्त, विकलांग रूप में जन्म लेना इत्यादि। भद्राअष्टमी में सूर्य की पूजा करने से स्वयं और आने वाले वंष को शारीरिक कष्टो से छुटकारा मिलकर...
आकाश में ग्रह नक्षत्रों की चाल बदलते ही किस्मत बदल जाती है। यह सब नौ ग्रहों के 12 राशियों में संचरण से होता है। इन्ही नौ ग्रहों में से एक है शनि देव। शनि देव सदैव से जिज्ञासा का केंद्र रहे हैं। पौपौराणिक कथाओं के अनुसार शनिदेव कश्यप वंश की परंपरा में भगवान सूर्य की पत्नी छाया के पुत्र हैं। शनिदेव को सूर्य पुत्र के साथ साथ पितृ शत्रु भी कहा जाता है। शनिदेव के भाई-बहन मृत्यु देव यमराज, पवित्र नदी यमुना व क्रूर स्वभाव की भद्रा हैं। शनिदेव का...
1. केमद्रुम योग ज्योतिष शास्त्र के दुर्लभ ग्रंथ मानसागरी के अनुसार जब चंद्र किसी ग्रह से युत न हो, चंद्र से द्वितीय तथा द्वादश स्थान में जब कोई ग्रह न हो तथा शुभ ग्रह चंद्र को न देखते हों तो ‘‘केमद्रुम योग’’ की रचना होती है। राजयोग और मंगलकारी योग जन्मपत्रिका में चाहे जितने निर्मित होते हों परंतु यदि एक ‘केमद्रुम योग’ बनता है तो सारे राजयोग और मंगलकारी योग उसी प्रकार नष्ट हो जाते हैं जैसे एक सिंह सारे गजसमूह को भगा देता है। यह योग दुःख का मूल...
उत्तम एवं सर्वगुण संतान उत्पन्न करने के लिए हमारे पूर्वजों ने कुछ संस्कारों को करने हेतु अनिवार्य कहा है। जिन्हें संतान उत्पन्न करने से पूर्व करना चाहिए प्रत्येक पति पत्नी की पारस्परिक इच्छा, अभिलाषा होती है कि वह एक बुद्धिमान, मेधावी, धैर्यवान, भाग्यवान संतान के माता-पिता बने, परंतु मालूम न होने के कारण कि एक सर्वगुण संतान का माता-पिता कैसे बना जा सकता है वह चूक जाते हैं और संतान जनम के बाद जीवन भर उससे कष्ट पाते हैं। इसलिए आइये जानें कि सर्वगुण संपन्न संतान प्राप्त करने हेतु उसके...
एक ऊंची सी समुद्र की लहर दूसरी छोटी लहर से इठलाकर बोली कि मुझे देखो, मैं कितनी बड़ी और ताकतवर हूं, और फिर कुछ ही क्षणों उपरांत वह समुद्र के किनारे पड़े एक पत्थर से टकराई और शांत हो गई। उसी के साथ फिर दूसरी लहर आई और वह भी पत्थर से टकराकर शांत हो गई और यह क्रम चलता रहा। क्या अब उस पहली लहर का पुनर्जन्म होगा? एक तालाब के किनारे कुछ बच्चे खेल रहे थे। तालाब में पत्थर फेंक रहे थे जिससे कुछ बुलबुले उठ रहे थे।...
प्रत्येक व्यक्ति किसी शुभ कार्य को शुभ समय में प्रारंभ करना चाहता है ताकि वह कार्य सफल, लाभकारी तथा मंगलमय हो। ऐसे अनेक शुभ समय (अवसर) विभिन्न कालांगों तथा वार, तिथि, नक्षत्र आदि के सम्मिश्रण से बनते हैं जिन्हें योग कहा जाता है। इसी प्रकार के शुभ योग प्रत्येक कार्य के लिए आचार्यों ने निर्धारित किए हैं। शुभ योगों की भांति अशुभ योग (कुयोग) भी इन्हीं कालांगों से मिलकर बनते हैं जिनमें शुभ कार्यों का प्रारंभ वर्जित है। इस आलेख में उन्हीं योगों का वर्णन करेंगे जिनकी रचना में नक्षत्रों...
हस्त रेखा एवं ज्योतिष द्वारा जानें रियल स्टेट में लाभ एवं हानि भारती आनंद हाथ की रेखाओं के द्वारा हर एक क्षेत्र को समझा तथा जाना जा सकता है। यदि आप रीयल एस्टेट में पैसा इनवेस्ट करना चाहते हैं, तो उससे पहले आपको अपने हाथ की रेखाओं का अध्ययन जरूरी है। यदि आपके हाथ में रेखाएं रीयल एस्टेट के हिसाब से ठीक हैं तो आप उससे फायदा उठा सकते हैं अन्यथा नहीं। यदि हाथ भारी, अंगुलियां चौकोर, ग्रह पर्वत सीधे खासकर शनि और मंगल के उठे हुए हों और जीवन...