archiveMay 2015

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होलिका की पूजा के लाभ- होलिका की पूजा के लाभ- होली के पर्व को नवसंवत्सर का आरम्भ तथा वसन्तागम के उपलक्ष में किया हुआ यज्ञ भी माना जाता है। होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है। यह पर्व हिंदूपंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगों का त्योहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते है। आज हम इसी पर्व यानि हालिका दहन...
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आमलकी एकादशी अथवा रंगभरी एकादषी - आमलकी एकादशी अथवा रंगभरी एकादषी - भारतीय शास्त्र बहुत उन्नत है इसका हर दिन और प्रत्येक व्रत-त्योहार का अपना एक अलग महत्व है। आजकल लोग आधुनिकता के कारण अपने संस्कार और संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। मेरा संकल्प है कि मैं इस बहुत उन्नत संस्कृति को बरकार रख पाउ। अतः हम समय समय पर व्रत एवं त्योहार के बारे में चर्चा करते रहेंगे। आज फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी है इस एकादषी को आमलकी या रंगभरी एकादशी कहते हैं। यह...
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जानिए की क्या हैं माघ पूर्णिमा और माघ पूर्णिमा का महत्व..???   हिन्दू धर्म में धार्मिक दृष्टि से माघ मास को विशेष स्थान प्राप्त है। भारतीय संवत्सर का ग्यारहवां चंद्रमास और दसवां सौरमास माघ कहलाता है।मघा नक्षत्र से युक्त होने के कारण इस महीने का नाम का माघ नाम पडा। ऐसी मान्यता है कि इस मास में शीतल जल में डुबकी लगाने वाले पापमुक्त होकर स्वर्ग लोक जाते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि माघी पूर्णिमा पर स्वंय भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करतें है अत: इस पावन समय...
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स्वामी विवेकानंद: युवाओं के प्रेरणास्त्रोत और मार्गदर्शक कलकत्ता में 12 जनवरी 1863 को जन्मे स्वामी विवेकानंद । स्वामी विवेकानंद युवाओं के प्रेरणास्त्रोत, आधुनिक भारत के एक महान युवा संन्यासी और एक आदर्श व्यक्तित्व के धनी थे । स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी सन् 1863 को कलकत्ता में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे। स्वामी विवेकानंद संत रामकृष्ण के शिष्य थे और वर्ष 1897 में उन्होंने रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन की स्थापना...
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कुंडली से जाने की शादी क्यों टूट जाती है (१)- यदि कुंडली में सातवें घर का स्वामी सप्तमांश कुंडली में किसी भी नीच ग्रह के साथ अशुभ भाव में बैठा हो तो शादी तय नहीं हो पाती है. (२)- यदि दूसरे भाव का स्वामी अकेला सातवें घर में हो तथा शनि पांचवें अथवा दशम भाव में वक्री अथवा नीच राशि का हो तो शादी तय होकर भी टूट जाती है. (३)- यदि जन्म समय में श्रवण नक्षत्र हो तथा कुंडली में कही भी मंगल एवं शनि का योग हो तो...
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विवाह में विलंभ होने का कारण और निवारण हमारे हिन्दू संस्कारों में विवाह को जीवन का आवश्यक संस्कार बताया गया है. विवाह के योग प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में होते हैं लेकिन कुछ ऐसे कारक हैं जो उसमें विलंब कराते हैं. ज्योतिषशास्त्र में मंगल, शनि, सूर्य, राहु और केतु को विलंब का कारक बताया गया है.जन्मकुंडली के सप्तम भाव में अशुभ या क्रूर ग्रह के स्थित होने अथवा सप्तमेश व उसके कारक ग्रह बृहस्पति व शुक्र के कमजोर होने से विवाह में बाधा आती है. आम बोलचाल के शब्दों में...
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(दोष रहित, सत्य प्रधान, उन्मुक्त, अमर और भरा-पूरा जीवन विधान ही धर्म है।) धर्म क्या है -- एक प्रकार की ब्रम्हाण्डीय जानकारी और उस जानकारी के अनुसार अपने आपको स्थित और व्यवस्थित करना अर्थात् ब्रम्हाण्डीय स्थिति की यथार्थत: जानकारी रखते हुये अपने को उसके अनुसार व्यस्थित कर देना । जो कुछ और जितना भी हम ब्रम्हाण्डीय विधान से अलग हट चुके हैं, उसमें अपने को स्थित कर देना । पिण्ड (शरीर) ब्रम्हाण्ड की एक इकाई है । ब्रम्हाण्डीय विधान क्या है और उसमें यह जो हमारा पिण्ड है यह कहाँ...
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स्त्री का सम्मान और आदर:खुशियाँ और लक्ष्मी का वास जब किसी घर में शादी के बाद पहली बार दुल्हन आती है तब उसे लक्ष्मी स्वरुप माना जाता है। वास्तव में लक्ष्मी होती भी है। प्रायः सुनने में आता है कि बहू के पैर बहुत ही भाग्यशाली हैं, जब से पड़े है, घर में लक्ष्मी बरसने लगी है। इसके विपरीत ऐसे पैर भी सुनने को मिलते हैं जिनके घर में प्रवेश करते ही सुख-सम्पदा का पलायन प्रारम्भ हो जाता है। परन्तु मैं प्रत्येक स्त्री के पर घर में शुभ मानता हॅ।...
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कौन सी ग्रह आपकी जीवन प्रभावित करता है एक नया वर्ष एक फिर आने वाला हें..नए वर्ष के स्वागत में हम सभी अपने पुराने गम,दुःख-दर्द,तकलीफ भूलकर नयी आशा ,नयी उर्जा और नयी सोच से एक बार फिर से नए जोश के साथ इस नए साल/वर्ष का स्वागत करते हें..जीवन का एक नया अध्याय शुरू होने वाला हें..हमने पुरुषार्थ के साथ साथ कर्म प्रधान भी बनाना हें ..एक नयी प्रेरणा से इस नए वर्ष का स्वागत करना हें..दृढ संकल्प प्रत्येक मनुष्य को कर्मनिष्ठ बनाकर सफलता प्राप्ति में सहयोग प्रदान करता हें......
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जानें तुलसी पूजा का महत्व और नियम   हिन्दू धर्म में देव पूजा और श्राद्ध कर्म में तुलसी आवश्यक मानी गई है। शास्त्रों में तुलसी को माता गायत्री का स्वरूप भी माना गया है। गायत्री स्वरूप का ध्यान कर तुलसी पूजा मन,घर-परिवार से कलह व दु:खों का अंत कर खुशहाली लाने वाली मानी गई है। इसके लिए तुलसी गायत्री मंत्र का पाठ मनोरथ व कार्य सिद्धि में चमत्कारिक भी माना जाता है। तुलसी को दैवी गुणों से अभिपूरित मानते हुए इसके विषय में अध्यात्म ग्रंथों में काफ़ी कुछ लिखा गया...
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जानें हिन्दू धर्म में विवाह संस्कार का महत्व और नियम हिंदू धर्म शास्त्रों में हमारे सोलह संस्कार बताए गए हैं। इन संस्कारों में काफी महत्वपूर्ण विवाह संस्कार। शादी को व्यक्ति को दूसरा जन्म भी माना जाता है क्योंकि इसके बाद वर-वधू सहित दोनों के परिवारों का जीवन पूरी तरह बदल जाता है। इसलिए विवाह के संबंध में कई महत्वपूर्ण सावधानियां रखना जरूरी है। विवाह के बाद वर-वधू का जीवन सुखी और खुशियोंभरा हो यही कामना की जाती है। विवाह = वि + वाह, अत: इसका शाब्दिक अर्थ है - विशेष...
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सत्य के पुजारी भगवान परशुराम अक्षय तृतीया का भारतीय जनमानस में बड़ा महत्व है। इस दिन स्नान, होम, जप, दान आदि का अनंत फल मिलता है, ऐसा शास्त्रों का मत है। अक्षय तृतीया को ही पीतांबरा, नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम के अवतार हुए इसीलिए इस दिन इनकी जयंती मनाई जाती है। भारतीय कालगणना के सि‍द्धांत से इसी दिन त्रयेता युग का आरंभ हुआ। इसीलिए इस तिथि को सर्वसिद्ध (अबूझ) तिथि के रूप में मान्यता मिली हुई है। वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि त्रेतायुग आरम्भ की तिथि मानी जाती है और...
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वास्तु शास्त्र का पालन करें और जीवन स्वस्थ रखें वास्तु शास्त्र के प्रसिद्ध ग्रंथ: समरांगण सूत्रधार, मानसार, विश्वकर्मा प्रकाश, नारद संहिता, बृहतसंहिता, वास्तु रत्नावली, भारतीय वास्तु शास्त्र, मुहूत्र्त मार्तंड आदि वास्तुज्ञान के भंडार हैं। अमरकोष हलायुध कोष के अनुसार वास्तुगृह निर्माण की वह कला है, जो ईशान आदि कोण से आरंभ होती है और घर को विघ्नों, प्राकृतिक उत्पातों और उपद्रवों से बचाती है। ब्रह्मा जी ने विश्वकर्मा जी को संसार निर्माण के लिए नियुक्त किया था। इसका उद्देश्य था कि गृह स्वामी को भवन शुभफल दे, पुत्र, पौत्रादि, सुख,...
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कर्ज पर आजादी प्राप्त करें ऐसा क्यों होता है कि कभी-कभी कर्ज चुकने का नाम ही नहीं लेता?कर्ज षब्द का भाव है कि किसी से उधार कुछ धन लिया और बाद मे उस पर कुछ अतिरिक्त धन देकर मुलधन को वापस कर देना । ये सबसे बुरी बीमारी है और अगर एक  साल ब्याज की किस्त किसी कारण वष नही दें पाया तो अगले वर्श उस ब्याज को मूलधन मे जोड दिया जाता है और इस प्रकार ब्याज के उपर ब्याज देना पडता है । इसी प्रकार हम हर रोज...
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मनुष्य का जीवन कैसे राहू से प्रभावित होता है   हम जहां रहते हैं वहां कई ऐसी शक्तियां होती हैं, जो हमें दिखाई नहीं देतीं किंतु बहुधा हम पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं जिससे हमारा जीवन अस्त-व्यस्त हो उठता है और हम दिशाहीन हो जाते हैं। इन अदृश्य शक्तियों को ही आम जन ऊपरी बाधाओं की संज्ञा देते हैं। भारतीय ज्योतिष में ऐसे कतिपय योगों का उल्लेख है जिनके घटित होने की स्थिति में ये शक्तियां शक्रिय हो उठती हैं और उन योगों के जातकों के जीवन पर अपना प्रतिकूल...
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जीवन की उपयोगिता है वास्तु शास्त्र वास्तुशास्त्र भारत का अत्यन्त प्राचीन शास्त्र है। प्राचीन काल में वास्तुकला सभी कलाओं की जननी कही जाती थी। आज भी जितने भवन और बिल्डिंग आदि बन रही है अधिकांश में वास्तु के हिसाब से बनाया जा रहा है , आइये जानते है वास्तु के कुछ नियम :-वास्तु तीन प्रकार के होते हैं- त्र आवासीय - मकान एवं फ्लैट त्र व्यावसायिक -व्यापारिक एवं औद्योगिक त्र धार्मिक- धर्मशाला, जलाशय एवं धार्मिक संस्थान। वास्तु में भूमि का विशेष महत्व है। भूमि चयन करते समय भूमि या मिट्टी...
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आपके घर का वास्तु तो नहीं....आपके आपसी रिश्तों में तनाव का कारण अकसर परिवारों में सास-बहू, भाई-बहन, भाभी, माता-पिता के टकरावों के बारें में हम सुनते है. किसी परिचित परिवार में यदि ऐसा अलगाव दिखता है तो मन में बहुत दुःख होता है.किसी का वश नहीं चलता हम अपने ही सामने अपने मित्र या सम्बन्धी व रिश्तेदार का परिवार जो कुछ समय पहले शांत तथा मिलजुल के रहने वाला था किन्तु आज पल भर में ही बिखर गया.इसमें किस की गलती है या किस की नहीं यह तो सोचने से...
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वास्तु के अनुसार बनवाएँ अपने बच्चों का कमरा किसी भी भवन का जब निर्माण किया जाए तब उसमें वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों का भलीभांति पालन करना चाहिए चाहे वह निवास स्थान हो या व्यवसायिक परिसर है। इस युग में शिक्षा का क्षेत्र अत्यन्त विस्तृत हो गया हैं और बदलते हुए जीवन-मूल्यों के साथ-साथ शिक्षा के उद्धेश्य भी बदल गये हैं। शिक्षा व्यवसाय से जुड़ गई हैं और छात्र-छात्राएं व्यवसाय की तैयारी के रूप में ही इसे ग्रहण करते है। अधिकांश अभिभावकों एवं विद्यार्थियों की चिंता यह रहती हें कि क्या पढा...
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गुड़ी पड़वा का महोत्सव चैत्र मास की  शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा या नववर्ष का आरम्भ माना गया है। ‘गुड़ी’ का अर्थ होता है विजय पताका । ऐसा माना गया है कि शालिवाहन नामक कुम्हार के पुत्र ने मिट्टी के सैनिकों का निर्माण किया और उनकी एक सेना बनाकर उस पर पानी छिड़ककर उनमें प्राण फूँक दिये। उसमें सेना की सहायता से शक्तिशाली  शत्रुओं को पराजित किया। इसी विजय के उपलक्ष्य में प्रतीक रूप में ‘‘शालीवाहन शक’ का प्रारम्भ हुआ। पूरे महाराष्ट्र में बड़े ही उत्साह से गुड़ी पड़वा के...
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ज्योतिष द्वारा कैसे दूर करें ह्रदय रोग पहले हज़ारों लोगों में से किसी एक को होने वाली बीमारियां अब घर-घर की कहानी बनती जा रही हैं। उन्हीं बीमारियों में एक है-हृदयाघात (Heart-attack)। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से अनुदान प्राप्त कर जब काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञानं संकाय ने जब रिसर्च की, तो पता चला कि भारत में बढ़ी तादात में ह्रदय रोगी हैं। यूजीसी ने जब इस बीमारी का सफल इलाज ढूंढ़ने की ज़िम्मेदारी भी इसी संकाय को सौंपी, तो इस संकाय ने ज्योतिष विद्या के ज़रिए...
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ह्रदय रोग का ज्योतिष कारण   ज्योतिष शास्त्र के अनुसार लग्न कुण्डली के प्रथम भाव के नाम आत्मा, शरीर, होरा, देह, कल्प, मूर्ति, अंग, उदय, केन्द्र, कण्टक और चतुष्टय है। इस भाव से रूप, जातिजा आयु, सुख-दुख, विवेक, शील, स्वभाव आदि बातों का अध्ययन किया जाता है। लग्न भाव में मिथुन, कन्या, तुला व कुम्भ राशियाँ बलवान मानी जाती हैं। इसी प्रकार षष्ठम भाव का नाम आपोक्लिम, उपचय, त्रिक, रिपु, शत्रु, क्षत, वैरी, रोग, द्वेष और नष्ट है तथा इस भाव से रोग, शत्रु, चिन्ता, शंका, जमींदारी, मामा की स्थिति...
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जानिए हनुमान जी जन्म की रहस्य्मय कहानी   भगवान शंकर के ग्यारवें अवतार हनुमान की पूजा पुरातन काल से ही शक्ति के प्रतीक के रूप में की जा रही है । हनुमान के जन्म के संबंध में धर्मग्रंथों में कई कथाएं प्रचलित हैं । उसी के अनुसार -- भगवान विष्णु के मोहिनी रूप को देखकर लीलावश शिवजी ने कामातुर होकर अपना वीर्यपात कर दिया । सप्तऋषियों ने उस वीर्य को कुछ पत्तों में संग्रहित कर वानरराज केसरी की पत्नी अंजनी के गर्भ में पवनदेव द्वारा स्थापित करा दिया, जिससे अत्यंत...
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हनुमान जी की भक्ति हमारे जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। कभी कोई विरोधी परेशान करता है तो कभी घर के किसी सदस्य को बीमार घेर लेती है। इनके अलावा भी जीवन में परेशानियों का आना-जाना लगा ही रहता है। ऐसे में हनुमानजी की आराधना करना ही सबसे श्रेष्ठ है। हनुमानजी को भक्ति और शक्ति का बेजोड़ संगम बताया गया है। हनुमानजी का शुमार अष्टचिरंजीवी में किया जाता है, यानी वे अजर-अमर देवता हैं। उन्होंने मृत्यु को प्राप्त नहीं किया। बजरंगबली की उपासना करने वाला भक्त कभी पराजित नहीं होता।...
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बच्चों में कार्टून देखने का आकषर्ण और ज्योतिष-   बच्चों में कार्टून देखने का आकषर्ण और ज्योतिष- एकल परिवार और पड़ोसियों तथा रिश्तों में बढ़ती दूरी ने टेलीविजन को भारतीय परिवार का एक महत्वपूर्ण सदस्य बना दिया है। महिलाएं अक्सर टीवी सीरियल की काल्पनिक दुनिया में खोई रहना चाहती हैं। पुरुष समाचार, राजनीति और खेल के चैनलों को प्राथमिकता देते हैं तो बच्चे सदैव कार्टून ही देखना चाहते हैं। टेलीविजन जहाॅ बड़ों को स्वस्थ मनोरंजन उपलब्ध नहीं करा पा रहा है, तो बच्चों के कोमल, नाजुक एवं अपरिपक्व मस्तिष्क पर...
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रिष्तों का सुख और ज्योतिषीय कारण - रिष्तों का सुख और ज्योतिषीय कारण - प्रेम एक ऐसी भावना है जो मनुष्य तो मनुष्य, मूक पशुओं तक से रिश्ता जोड़ देती है। रिश्ते भी कई प्रकार के होते हैं। इनमें सबसे बड़ा रिश्ता है परिवार का जो आपको कई-कई रिश्तों में बांध देता है। कुछ रिश्ते केवल कामकाजी होते हैं, और कुछ ऐसे कि जिनका कोई नाम नहीं होता पर वे नामधारी रिश्तों से ज्यादा पक्के होते हैं। रिश्ते बड़े नाजुक होते हैं इन्हें प्यार, सामंजस्य और समझदारी से निभाने की...
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बच्चों में लक्ष्य से भटकाव - ज्योतिष कारण और निवारण   बच्चों में लक्ष्य से भटकाव - ज्योतिष कारण और निवारण - आज के आधुनिक युग में जहाॅ सभी प्रकार की सुख-सुविधाएॅ जुटाने का प्रयास हर जातक करता है, वहीं पर उन सुविधाओं के उपयोग से आज की युवा पीढ़ी भटकाव की दिषा में अग्रसर होती जा रही है। पैंरेंटस् जिन वस्तुओं का सुविधाएॅ अपने बच्चों को उपयेाग हेतु मुहैया कराते हैं, वहीं वस्तुएॅ बच्चों को गलत दिषा में ले जाती है। कई बार देखने में आता है कि जो...
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मर्यादा रेखा का अतिक्रमण-जीवन में तबाही की वजह - मर्यादा रेखा का अतिक्रमण-जीवन में तबाही की वजह - जीवन को समृद्धशाली एवं सुखहाल बनाने के लिए व्यक्ति को सुशील, सदाचारी एवं संस्कावान होना आवश्यक है, यही वह कारण हैं जिनके द्वारा आत्मविश्वास एवं बौद्धिक क्षमता का विकास होता है। जब भी किसी कर्म की शुरूआत दृढ़ निष्चय और सकारात्मक उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए होती है तो सबसे पहले वह समय सीमा का निर्धारण कर अपने समय का अधिक से अधिक लाभ उठाता है। व्यक्तिगत एवं सामाजिक व्यवहार में...
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रत्न धारण से पायें पीड़ा से मुक्ति- रत्न धारण से पायें पीड़ा से मुक्ति- रत्न विषय एक वैज्ञानिक विषय है जो तथ्यों पर आधारित है। रत्न धारण का संबंध ग्रह, राशि तथा अन्य तथ्यों से होता है। प्राचीन काल से रोगों के उपचार हेतु रत्नों का प्रयोग विभिन्न रूपों में किया जाता रहा है। रत्नों में चुम्बकीय शक्ति होती है जिससे वह ग्रहों की रश्मियों एवं उर्जा को अवशोषित कर लेती है जिस ग्रह विशेष का रत्न धारण करते हैं उस ग्रह की पीड़ा से बचाव होता है और सकारात्मक...
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क्या आप रात भर करवट बदलते रहते हैं क्या आप रात भर करवट बदलते रहते हैं- अनिद्रा आधुनिक बीमारी है। व्यस्तता और तनाव के कारण अनिद्रा आती है, कई बार नींद की गोली खानी पड़ती है। शरीर का संचालन मस्तिष्क करता है। हमारे विचार, भाव, कर्म आदि को स्नायु संस्थान संचालित करते है। मस्तिष्क, फेफड़ा एवं पेट ठीक हो तो यह बीमारी नही होती। कुण्डली में निम्न ग्रहों के संयोग से यह रोग उत्पन्न होता है - 1. सूर्य, मंगल लग्न में हो तथा पापी ग्रहों से दृष्ट हो। 2....
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सहज सेवा धर्म- सहज सेवा धर्म- सहज सेवा से ईष्वर को प्रसन्न किया जा सकता है और कुंडली के ग्रह दोषों को दूर किया जाना संभव है, जैसे कि शबरी के झूठे बेर खाकर राम प्रसन्न हो गए थे। सहज सेवा धर्म आपके नित्यचर्या में सहजता के साथ करने से ग्रहीय दोषों का समाधान दे सकता है। वह सहज समाधान समोसे के साथ हरी चटनी या दोसा या आईसक्रीम भी आपके ग्रह से संबंधित दोषों की निवृत्ति करने में कारगर उपाय बन सकती है। यदि किसी की कुंडली में बुध...
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