HomeOther Articlesकालसर्प दोष का ज्योतिषीय यर्थाथ – May. 18, 2015 at 11:34 amOther Articlesकालसर्प दोष का ज्योतिषीय यर्थाथ –adminMay 18, 2015July 12, 2024no comment223viewsकालसर्प दोष श्री महाकाल धाम मे अपनी नारायण नागबली पूजन बुक करने के लिए यहाँ क्लिक करें 👈🏿 कालसर्प दोष का ज्योतिषीय यर्थाथ – ज्योतिषीय आधार पर कालसर्प दो शब्दों से मिलकर बना है ‘‘काल’’ और ‘‘सर्प’’ । काल का अर्थ समय और सर्प का अर्थ सांप अर्थात् समय रूपी सांप। ज्योतिषीय मान्यता है कि जब सभी ग्रह राहु एवं केतु के मध्य आ जाते हैं या एक ओर हो जाते हैं तो कालसर्प येाग बनता है। मान्यता है कि जिस जातक की कुंडली में कालसर्प दोष बनता है, उसके जीवन में काफी उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। कालसर्प योग में सभी ग्रह अर्धवृत्त के अंदर होता है। ऋग्वेद के अनुसार राहु और केतु ग्रह नहीं है बल्कि असुर हैं। अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्र दोनों आमने सामने होते हैं उस समय राहु अपना काम करता है जिससे सूर्य ग्रहण होता है उसी प्रकार पूर्णिमा के दिन केतु अपना काम करता है और चंद्रग्रहण लगता है। वैदिक परंपरा में विष्णु को सूर्य कहा गया है जो कि दीर्धवृत्त के समान है। राहु केतु दो संपात बिंदु हैं जो इस दीर्घवृत्त को दो भागों में बांटते हैं। इन दो बिंदुओं के बीच ग्रहों की उपस्थिति होने पर कालसर्प बनता है। जो व्यक्ति के पतन का कारण बनता है। ALSO READ दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्रश्री महाकाल धाम मे अपनी नारायण नागबली पूजन बुक करने के लिए यहाँ क्लिक करें 👈🏿 ज्योतिषीय मान्यता है कि राहु और केतु छायाग्रह हैं जो सदैव एक दूसरे से सातवेंभाव पर होते हैं जब सभी ग्रह क्रमवार से इन दोनों ग्रहों के बीच आ जाते हैं तो कालसर्प दोष बनता है। राहु केतु शनि के समान क्रूर ग्रह माने जाते हैं और शनि के समान विचार रखने वाले होते हैं। राहु जिनकी कुंडली में अनुकूल फल देने वाला होता है, उन्हें कालसर्प दोष में महान उपलब्धियां हासिल होती हैं। इस दोष में जातक से परिश्रम करवाता है और उसके अंदर की कमियां को दूर करने की प्रेरणा देता है जिससे व्यक्ति जुझारू, संघर्षषील और साहसी बनता हैं इस योग के प्रभाव में अपनी क्षमताओं का पूरा प्रयोग और निरंतर आगे बढ़ने हेतु सदा परिश्रम करने से कालसर्प दोष योग बन सकता है। कालसर्प योग में स्वराषि एवं उच्च राषि में स्थित गुरू, उच्च राषि का राहु, गजकेषरी योग, चतुर्थ केंद्र विषेष लाभ प्रदान करता है। अकर्मण्य होने तथा उसके परिणामस्वरूप निराष होकर प्रयास छोड़ने से कालसर्प दोष बन जाता है किंतु लगनषील तथा परिश्रमी बनकर प्रयास करने से कालसर्प दोष ना रहकर योग बन जाता है। कालसर्प दोष में परिश्रमी तथा लगनषील बनने के साथ पितृदोष निवारण उपाय तथा राहु शांति कराना भी उचित होता है। ALSO READ भय-शत्रु-विनाश, अचूक रक्षात्मक और तेजस्वी हनुमत् स्तोत्रश्री महाकाल धाम मे अपनी त्रिपिंडी श्राद्ध पूजन बुक करने के लिए यहाँ क्लिक करें Tags :12 types of Kalsarp YogaAstrological Remedyastrological solutionastrologybestpanditforkalsarppoojaBholenatheffect of kalsarpeffect of kalsarp yogaKaalsarpkaalsarp doshkaalsarp dosp upayKaalsarp Yogakaalsarppoojakalsarpdoshnivaranlord shivaMahadevMahashivratriPandit Priya Sharan TripathiParthiv LingarchanParthiv PoojanParthiv ShivlingPatalShiv BhaktiShiv PujanShiv PuranaShiv Worship ShivlingaShri Mahakal Dhamshrimahakaldhamworship of mahadevज्योतिषज्योतिष समाधानज्योतिषीय उपाय पंडित प्रिय शरण त्रिपाठीपातालपार्थिव पूजनपार्थिव लिंगार्चनपार्थिव शिवलिंगभगवान शिवभोलेनाथमहादेव का पूजनमहाशिवरात्रिशंकरशिव उपासनाशिव पुराणशिव पूजनशिव भक्तिशिवलिंगश्री महाकाल धामYou Might Also LikeOther Articlesश्रीहनुमत्प्रशंसनम्Junior EditorJune 16, 2025Other Articlesश्रीवेङ्कटेश क्षमात्रयस्त्रिंशच्छ्लोकीJunior EditorJune 16, 2025June 16, 2025Other Articlesद्वादशस्तोत्राणिJunior EditorJune 16, 2025June 16, 2025Other Articlesश्रीकृष्णजयन्ती निर्णयःJunior EditorJune 16, 2025Other Articlesकन्दुकस्तुतीJunior EditorJune 16, 2025June 16, 2025Other Articlesश्रीसरस्वतीस्तोत्रं अगस्त्यमुनिप्रोक्तम्Junior EditorJune 16, 2025