पितृ ऋण, देव ऋण,आचार्य ऋण, मातृ ऋण
वैदिक काल से मान्यता है कि किसी भी मानव के जीवन में पितृ ऋण, देव ऋण, आचार्य ऋण, मातृऋण के कारण जीवन में असफलता तथा हानि बीमारी का सामना करना पड़ता है। माना जाता है कि इंसान को अपनी जिंदगी में कर्ज, फर्ज और मर्ज को कभी नहीं भूलना चाहिए।...