यह रहा आपके मूल श्लोक — "कालान्तरातीतममलत्वरूपं, अमलेश्वरं भावये ध्याननिष्ठ।" — के आधार पर रचित एक पूर्ण संस्कृत ध्यान-गीत, जो भगवान श्री महाकाल अमलेश्वर के निर्गुण, निर्मल और कालातीत रूप की स्तुति करता है। 🔱 श्रीअमलेश्वर ध्यानगीतम् कालान्तरातीतममलत्वरूपं, निश्शेषशक्तिं शिवमाद्यमेकम्। निर्मुक्तमायं निरुपाधिदेहं, अमलेश्वरं भावये ध्याननिष्ठ॥ सर्पालिवेषं त्रिनयं विशालं, शान्तप्रभं बिम्बसमानकान्तम्। लिङ्गात्मरूपं दृढमेकभावं, अमलेश्वरं भावये ध्याननिष्ठ॥ नित्यं निराकारमनन्तवृत्तिं, निर्वाणसौख्यं परब्रह्मरूपम्। शिवं सतां हृत्सरसीवसन्तं, अमलेश्वरं भावये ध्याननिष्ठ॥ गङ्गासमानामलधारयुक्तं, भक्तार्चितं भावविनम्रमूर्तिम्। कालान्तकं कालभयं हरन्तं, अमलेश्वरं भावये ध्याननिष्ठ॥ पाण्डवपूज्यं विक्रमार्चनीयं, शङ्करचार्यप्रणिपातयोग्यम्। स्वयम्भुवं नागगणैः सुपूतं, अमलेश्वरं भावये ध्याननिष्ठ॥ न त्वं लयोऽसि न च सृष्टिरूपं, न...
🔱 "महाराज विक्रमादित्य और अमलेश्वर की मौन आराधना" (ऐतिहासिक-संकेतों और दंतकथाओं पर आधारित सत्य के निकट कथा) 🕰️ काल-संदर्भ: सम्भवत: 1वीं शताब्दी ईसा पूर्व से 1वीं शताब्दी ईस्वी के मध्य, उज्जयिनी (उज्जैन) के महान सम्राट विक्रमादित्य का शासनकाल। उनके जीवन से जुड़ी कहानियाँ केवल कथाएँ नहीं, बल्कि भारत के अर्ध-ऐतिहासिक स्मृति में जीवित हैं। उनके द्वारा: कालविवेक-संवत् की स्थापना (विक्रम संवत), नव रत्नों की सभा (कालिदास आदि), और शैव भक्ति के प्रति गहन श्रद्धा प्रकट होती है। “विक्रमादित्य की गुप्त साधना अमलेश्वर में” 🔍 शिव-आराधक राजा की खोज: विक्रमादित्य, जिनकी...
🔱 "महाकाल अमलेश्वर और पांडवों की वनगमन-कालीन साधना" (ऐतिहासिक पौराणिकता और स्थल परंपरा आधारित) 🧭 ऐतिहासिक संभावना: भारत के कई क्षेत्रों में ऐसी परंपराएँ हैं जो यह मानती हैं कि वनवास काल में पांडवों ने पूरे भारत की यात्रा की। उदाहरण: नर्मदा किनारे ओंकारेश्वर में अर्जुन की तपस्या, भीमबेटका क्षेत्र में भीम के ठहराव के संकेत, छत्तीसगढ़ में दन्तेवाड़ा, कोरबा, मल्हार आदि में पांडवों से जुड़ी कथाएँ। इसी परंपरा में एक मान्यता पाटन के पास स्थित अमलेश्वर से भी जुड़ी हुई है। 📖 कथा: "भीम और अमलेश्वर में वीर...
आपका श्रद्धा से परिपूर्ण आग्रह स्वीकार है। प्रस्तुत है — 🔱 "अमलेश्वर महाकाल और आदि शंकराचार्य की अद्वैत अनुभूति" (एक ऐतिहासिक-आध्यात्मिक गाथा) 🌿 भूमिका: भारत के आध्यात्मिक इतिहास में दो तत्व सर्वप्रमुख हैं: प्रतीकात्मकता और अनुभूति, और स्थान की दिव्यता एवं ऋषि-परंपरा। जब इन दोनों का संगम होता है, वहाँ जन्म लेती है — एक जीवित तीर्थ-कथा, जैसे अमलेश्वर महाकाल धाम की यह कथा। 📜 शंकराचार्य — ज्ञान की चैतन्य-ज्योति: आदि शंकराचार्य, जिनका जन्म केरल के कालड़ी ग्राम में हुआ, केवल ३२ वर्षों की अल्पायु में ही भारत की आत्मा...
# 🕉️ *श्री महाकाल अमलेश्वर एवं सम्राट अशोक की दिव्य कथा* (एक ऐतिहासिक-आध्यात्मिक यात्रा) ## *🔱 भूमिका:* प्राचीन भारत की धरती वीरों, संतों और महायोगियों की भूमि रही है। ऐसी ही एक दिव्य भूमि है — *श्री महाकाल अमलेश्वर*, जो आज के छत्तीसगढ़ राज्य में, खारून नदी के किनारे स्थित है। यह स्थान सदियों से शिवभक्तों, तपस्वियों और साधकों की साधना स्थली रहा है। *सम्राट अशोक, जिनका नाम इतिहास के सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली सम्राटों में लिया जाता है, यहीं आकर अपने जीवन की एक **अद्भुत मोक्ष-यात्रा* पर निकलते हैं।...