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मृत्यु का भय, रोग, संकट, ग्रह प्रभाव, तंत्र प्रहार, एकमात्र समाधान

  ॥ श्री महामृत्युंजय स्तोत्रम् पुरश्चरण साधना विधि ॥ (श्रीमार्कण्डेय ऋषि रचित, अमोघ स्तोत्र) महामृत्युंजय स्तोत्र मृत्यु भय, रोग, संकट, ग्रहबाधा, तंत्र-आक्रमण, दीर्घायु व परम शिव कृपा हेतु अत्यंत प्रभावकारी है। यह महामृत्युंजय मंत्र की ही स्तुतिपरक स्तोत्र-रूप व्याख्या है। 🔱 1. पुरश्चरण क्या है? पुरश्चरण का अर्थ है — किसी मंत्र या स्तोत्र का एकाग्र भाव, नियम, जप संख्या, पूजन, हवन, तर्पण, मार्जन व ब्राह्मण भोजन सहित पूर्ण अनुष्ठान। 👉 साधक को स्तोत्र की पूर्ण फलप्राप्ति व शिवकृपा हेतु यह श्रेष्ठ उपाय है। 📜 2. महामृत्युंजय स्तोत्र का परिचय:...
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जीवन की रक्षा, समर्पण और मोक्ष के लिए भवानी की कृपा का अद्वितीय उपाय

॥ भवान्यष्टकम् पुरश्चरण विधि ॥ (श्री आदि शंकराचार्य कृत अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र) "नाथैः अनाथशरणं..." से प्रारम्भ यह स्तोत्र माँ भवानी की कृपा, रक्षा, आत्म-समर्पण और जीवनोद्धार हेतु अद्वितीय है। 🕉️ 1. पुरश्चरण क्या है? "पुरश्चरण" का अर्थ है — किसी मंत्र/स्तोत्र का निश्चित नियम, संख्या व विधि से जप/पाठ, साथ में हवन, तर्पण, मार्जन और ब्राह्मण भोजन आदि करने का संकल्पपूर्ण अनुष्ठान। 👉 इससे स्तोत्र की पूर्ण सिद्धि और कृपा प्राप्त होती है। 📅 2. कब करें? (श्रेष्ठ समय) समय कारण नवरात्र (विशेषकर शारदीय या चैत्र) शक्ति-साधना हेतु श्रेष्ठ अष्टमी,...
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(शिव कृपा, रोगों का नाश, भय निवारण, तीर्थ-तुल्य पुण्य एवं आध्यात्मिक उत्थान के लिए) जबरदस्त उपाय

॥ द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र पुरश्चरण साधना विधि ॥ (शिव कृपा, रोग नाश, भय-निवारण, तीर्थफल-समान पुण्य व आत्मिक उत्थान हेतु) 🔱 1. क्या है "पुरश्चरण"? पुरश्चरण का अर्थ है — किसी स्तोत्र या मंत्र की नियत संख्या में जप/पाठ के साथ साधना, ध्यान, हवन, तर्पण और भोजन आदि का समुच्चय। इससे स्तोत्र की पूर्ण शक्ति (सिद्धि) साधक को प्राप्त होती है। 🕉 2. द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र – परिचय: यह आदि शंकराचार्य रचित स्तोत्र है, जिसमें भारत के १२ प्रमुख शिवलिंगों का स्तवन है। इसका नित्य जप तीर्थस्नान, दान, व्रत और लिंगदर्शन...
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नागों की कृपा, बाधाओं के निवारण, कालसर्प दोष की शांति, सुरक्षा एवं रहस्यमय प्रगति के लिए

7 ॥ नाग स्तोत्रम् पुरश्चरण साधना विधि ॥ (नागों की कृपा, बाधा निवारण, कालसर्प दोष शांति, रक्षा व रहस्यमय उन्नति हेतु) 🔱 1. पुरश्चरण क्या है? "पुरश्चरण" का अर्थ होता है — मंत्र/स्तोत्र की पूर्व साधना, जिसमें विशेष संख्या में पाठ, जप, हवन, तर्पण, मार्जन, ब्राह्मण भोजन आदि करके उस स्तोत्र/मंत्र की पूर्ण शक्ति प्राप्त की जाती है। यह साधना विशेष उद्देश्य, भक्ति या सिद्धि हेतु की जाती है। 🐍 2. नाग स्तोत्र पुरश्चरण कब करें? उत्तम समय: श्रावण मास (विशेषकर नाग पंचमी पर आरंभ करें) शुक्ल पक्ष में किसी...
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धन, सौभाग्य, दरिद्रता का नाश, धन वृद्धि एवं लक्ष्मी की दिव्य कृपा हेतु विशेष तांत्रिक उपाय

॥ श्रीलक्ष्मीस्तोत्रम् (अगस्त्य ऋषि कृत) – पुरश्चरण विधि सहित संपूर्ण साधना विवरण ॥ (संपत्ति, सौभाग्य, दरिद्र्य नाश, श्री वृद्धि और दिव्य लक्ष्मी-कृपा हेतु विशिष्ट तांत्रिक स्तोत्र) 🔱 १. पुरश्चरण क्यों करें? अगस्त्य ऋषि कृत श्रीलक्ष्मीस्तोत्रम् देवी लक्ष्मी की एक तांत्रिक और अत्यंत प्रभावकारी स्तुति है। यह स्तोत्र विशेष रूप से सकल दरिद्रता नाश, स्थिर लक्ष्मी प्राप्ति, वास्तविक वैभव (धन+धर्म) और शुभ ग्रह स्थिति हेतु साधक को अद्भुत फल देता है। ✨ लाभ: उद्देश्य फल दारिद्र्य नाश धन, अनाज, साधन की प्राप्ति गृह क्लेश से मुक्ति पारिवारिक सुख, सौम्यता व्यापार/व्यवसाय में...
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भय-शत्रु-विनाश, अचूक रक्षात्मक और तेजस्वी हनुमत् स्तोत्र

॥ श्री लाङ्गूलास्त्र-शत्रुंजय-हनुमत्स्तोत्रम् पुरश्चरण विधि ॥ (भय-शत्रु-विनाश, अचूक रक्षात्मक और तेजस्वी हनुमत् स्तोत्र) 🔱 १. पुरश्चरण क्यों करें? "श्री लाङ्गूलास्त्र शत्रुंजय हनुमान स्तोत्र" एक अत्यंत प्रभावकारी, तांत्रिक-आधारित हनुमान स्तोत्र है जो विशेषतः निम्न उद्देश्यों से जपा जाता है: उद्देश्य प्राप्त फल शत्रु-नाश गुप्त, प्रकट, मानसिक, दैविक शत्रु नाश अदृश्य रक्षात्मक कवच बुरी दृष्टि, जादू-टोना, ग्रहबाधा से सुरक्षा यात्रा व युद्ध सुरक्षा सैनिक, पुलिस, वकील, राजनेता, साधक हेतु तेज, साहस और अपराजेयता कार्य सिद्धि और निर्भयता भय, भूत, बाधा निवारण मृत्यु तुल्य कष्टों से बचाव यह स्तोत्र हनुमानजी के "लाङ्गूलास्त्र" (पूंछ...
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शक्ति, बुद्धि और दुखों के नाश के लिए एक अद्भुत उपाय

  ॥ श्री मारुतिस्तोत्रम् पुरश्चरण साधना विधि ॥ (हनुमत् भक्ति, बल, बुद्धि और कष्ट-विनाश की महान स्तुति) 🔱 1. पुरश्चरण क्यों करें? श्री मारुतिस्तोत्रम् हनुमानजी का अत्यंत प्रभावकारी स्तोत्र है। इसका शास्त्रोक्त पुरश्चरण निम्न लक्ष्यों हेतु किया जाता है: उद्देश्य लाभ मानसिक और शारीरिक बल आत्मबल, साहस, धैर्य की वृद्धि रोग निवारण विशेषतः वात रोग, मानसिक विकार शत्रु-विनाश अदृश्य बाधा, भय, भयभ्रम का शमन आकस्मिक दुर्घटनाओं से रक्षा यात्रा, व्यवसाय, सुरक्षा हेतु ब्रह्मचर्य और मनोनिग्रह संयम, तप, तेज और ओज की प्राप्ति 📘 2. श्री मारुतिस्तोत्रम् परिचय यह स्तोत्र "मनोजवं...
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पाप, ग्रहबाधा, पितृदोष शमन का अचूक उपाय

॥ श्री शिवमहिम्नस्तोत्रम् पुरश्चरण साधना विधि ॥ (प्राचीन परम शिवभक्त गंधर्व पुष्पदन्तकृत स्तोत्र) 🔱 १. पुरश्चरण क्यों करें? शिवमहिम्नस्तोत्रम् का जाप केवल स्तवन नहीं, भक्ति, ब्रह्मज्ञान और शिवतत्त्व की सिद्धि का महान साधन है। पुरश्चरण से: उद्देश्य फल आत्मिक शुद्धि चित्त, मन, वाणी की पवित्रता शिव कृपा आयु, आरोग्य, आय, ऐश्वर्य समस्त दोष शांति पाप, ग्रहबाधा, पितृदोष शमन मोक्षमार्ग में प्रवेश शिवतत्त्व का बोध पारिवारिक कल्याण सुख-शांति और संतान सौभाग्य 🔢 २. पुरश्चरण संख्या शिवमहिम्नस्तोत्र में ४३ श्लोक हैं। पाठ की संख्या निम्नानुसार हो सकती है: साधना स्तर पाठ संख्या...
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रोग-शत्रु नाश ,भय, बाधा, तंत्र से रक्षा अमोघ उपाय

॥ श्री महिषासुरमर्दिनी स्तोत्रम् पुरश्चरण साधना विधि ॥ ("अयि गिरिनन्दिनी नन्दितमेदिनी" – यह स्तोत्र देवी दुर्गा की शक्ति, करुणा और महाविनाशिनी रूप की स्तुति है।) 🔱 1. पुरश्चरण क्यों करें? महिषासुरमर्दिनी स्तोत्रम् – आदिशंकराचार्यकृत यह स्तोत्र केवल स्तवन नहीं, बल्कि देवी की पूर्ण तांत्रिक, आध्यात्मिक, भौतिक और मानसिक शक्ति का संचयन है। पुरश्चरण इसका विस्तारपूर्ण, नियमानुसार साधना रूप है: उद्देश्य फल शक्ति साधना आत्मबल, तेज, आकर्षण रोग-शत्रु नाश भय, बाधा, तंत्र से रक्षा दरिद्रता नाश दैविक कृपा, सौभाग्य मंत्र सिद्धि मन्त्र साधनाओं की पूर्ति भक्ति, वैराग्य, मोक्षमार्ग आत्मिक शांति और...
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तंत्र बाधा, भय, नज़र दोष से रक्षा,वशीकरण, शत्रु नाश,अघोरी प्रबलता

॥ सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम् पुरश्चरण विधि ॥ — यह श्रीचामुण्डायै-काली त्रिपुरभैरवी स्वरूपिणी देवी की अत्यंत गोपनीय, तांत्रिक और शक्तिशाली स्तुति है। यह स्तोत्र स्वयं देवी ने श्रीशिव से कहा है और इसे "सर्वतंत्र-मन्त्रसिद्धि की कुंजी" माना गया है। इसका जप साधक को अदृश्य शक्ति, रक्षा, त्वरित फल, और मन्त्रसिद्धि प्रदान करता है। 🔱 1. सिद्धकुञ्जिका स्तोत्र का परिचय विषय विवरण स्रोत रुद्रयामल तन्त्र / देवीतन्त्र स्वरूप संक्षिप्त — ~20 श्लोक महत्त्व सम्पूर्ण चण्डी/दुर्गा सप्तशती के फल को समाहित करता है देवता चामुण्डा, भैरवी, महामाया विशेषता यह स्तोत्र स्वयं देवी की वाणी मानी...
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भय, रोग, दुर्भाग्य, तंत्र-बाधा, दुर्घटना, दरिद्रता दूर करने वाला अचूक मंत्र साधना

॥ श्रीरामरक्षास्तोत्रम् पुरश्चरण विधि ॥— यह एक अत्यंत शक्तिशाली तंत्रोपनिषद् स्तोत्र है, जिसकी रचना बुद्ध कौशिक ऋषि द्वारा की गई है। श्रीरामरक्षास्तोत्र का पुरश्चरण भय, रोग, दुर्भाग्य, तंत्र-बाधा, दुर्घटना, दरिद्रता तथा समस्त कष्टों से रक्षा करता है, और भक्ति, शक्ति, शांति तथा समृद्धि प्रदान करता है। 🕉️ 1. श्रीरामरक्षास्तोत्र का स्वरूप कुल श्लोक: ~38 (मुख्य स्तोत्र), कुल पंक्तियाँ ~220 देवी/देवता: श्रीरामचन्द्र जी, लक्ष्मण, सीता, हनुमान सहित रचयिता: महर्षि बुद्ध कौशिक स्रोत: श्रीरामरक्षास्तोत्र (तन्त्र उपनिषद् संहिताओं में वर्णित) 🎯 2. पुरश्चरण का उद्देश्य और लाभ उद्देश्य लाभ मानसिक, शारीरिक, आध्यात्मिक रक्षा...
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बुद्धि, सिद्धि, ऋद्धि, शांति, विघ्ननाश, लक्ष्मीप्राप्ति का अचूक उपाय

॥ गणपत्यथर्वशीर्ष पुरश्चरण विधि ॥ — यह अत्यंत पवित्र वैदिक स्तोत्र अथर्ववेद से उद्धृत है, और भगवान गणपति की वैदिक...
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आर्थिक संकटों से मुक्ति दिलाने वाली,चमत्कारी श्री सिद्धि कैसे करें

॥ वैभव प्रदाता श्रीसूक्तम् पुरश्चरण साधना विधि ॥ — यह साधना महालक्ष्मी की स्थायी कृपा, दरिद्रता का नाश, और वैभव-समृद्धि...
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श्री शिवस्तुतिः

  वन्दे देवमुमापतिं सुरगुरुं वन्दे जगत्कारणं (शम्भुमुमापतिं) वन्दे पन्नगभूषणं मृगधरं वन्दे पशूनां पतिम् । वन्दे सूर्यशशाङ्कवह्निनयनं वन्दे मुकुन्दप्रियं वन्दे भक्तजनाश्रयं...
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धन वर्षा करावे यह सिद्धि कनकधारा स्तोत्रम् पर कैसे करें सिद्ध ?

कनकधारा स्तोत्रम् — आदि शंकराचार्य द्वारा रचित यह महालक्ष्मी स्तुति स्तोत्र अत्यंत प्रभावशाली और फलदायी है। यदि विधिपूर्वक इसका पुरश्चरण किया जाए, तो यह दारिद्र्य नाश, वैभव प्राप्ति, ऋद्धि-सिद्धि, और लक्ष्मी कृपा के लिए अचूक माना गया है। 🌟 कनकधारा स्तोत्रम् पुरश्चरण — संपूर्ण साधना विधि 🪔 1. स्तोत्र परिचय: रचना: आदि शंकराचार्य श्लोक संख्या: 21 श्लोक + 1 फलश्रुति स्रोत: महालक्ष्मी की स्तुति हेतु रचित नाम "कनकधारा" का अर्थ: "सोने की धारा" (स्वर्ण वर्षा की कृपा) 🎯 2. पुरश्चरण का उद्देश्य (सिद्धि): उद्देश्य फल दरिद्रता निवारण आर्थिक संकटों का...
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शत्रु, रोग, भय, अकाल मृत्यु और दुर्भाग्य का नाश करने वाला आदित्य हृदय स्तोत्र को कैसे सिद्ध करें

"आदित्यहृदय स्तोत्र" — यह स्वयं श्रीराम को महर्षि अगस्त्य द्वारा दिए गए एक रहस्यमय स्तोत्र का रूप है, जो सूर्य के साक्षात् ब्रह्मरूप का स्तवन है। इसका पुरश्चरण करने से न केवल मानसिक बल, आत्मिक तेज और आयु बढ़ती है, बल्कि शत्रु, रोग, भय, अकाल मृत्यु और दुर्भाग्य का नाश होता है। 🔆 आदित्यहृदय स्तोत्र पुरश्चरण — सम्पूर्ण साधना विधि 🪔 1. मंत्र / स्तोत्र पाठ आदित्यहृदय स्तोत्रम् – कुल श्लोक: 31आरंभ — "ततो युद्धपरिश्रान्तं..."अंत — "जयाय जयभद्राय हर्यश्वाय नमो नमः॥" 👉 यह पूरे रूप में ही एक मंत्रात्मक स्तोत्र...
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श्री शिवाष्टकं

प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं जगन्नाथनाथं सदानंद भाजां | भवद्भव्य भूतेश्वरं भूतनाथं शिवं शंकरं शंभुमीशानमीडे || १ || गळे रुंडमालं तनौ...
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चमत्कारी बटुक भैरव मंत्र को सिद्ध करें

ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय बं ह्रीं ॐ स्वाहा" यह मंत्र भगवान बटुक भैरव का अत्यंत प्रभावशाली आपदुद्धारण (आपत्ति नाशक) मंत्र है। यह मंत्र विशेष रूप से संकट, भय, बाधा, दुष्ट शक्तियों, अकारण मुकदमे, शत्रु बाधा, और भूत-प्रेत दोष से रक्षा हेतु जपा जाता है। 🌒 मंत्र का संक्षिप्त अर्थ: ॐ ह्रीं बं — बीज मंत्र हैं जो चेतना को जाग्रत करते हैं और शक्ति का आह्वान करते हैं। बटुकाय — बाल रूप वाले भैरव को नमन। आपदुद्धारणाय — आपदाओं (संकटों) से उबारने वाले। कुरु कुरु —...
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।।ऋणमोचन मंगल स्तोत्र।।

।।ऋणमोचन मंगल स्तोत्र।। ''मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः। स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः।। लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः। धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः।। अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः। व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः।। एतानि कुजनामनि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्। ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्।। धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्। कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्।। स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः। न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्।। अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल। त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय।। ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः। भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा।। अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः। तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्ख्शणात्।। विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा। तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः।।...
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 श्री शिवाष्टक 

 श्री शिवाष्टक  आदि अनादि अनंत अखंड अभेद अखेद सुबेद बतावैं । अलग अगोचर रूप महेस कौ जोगि-जति-मुनि ध्यान न पावैं...
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भूतनाथ अष्टकम्

  शिव शिव शक्तिनाथं संहारं शं स्वरूपम् नव नव नित्यनृत्यं ताण्डवं तं तन्नादम् घन घन घूर्णिमेघं घंघोरं घंन्निनादम् भज भज...
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लिङ्गाष्टकं स्तोत्र

लिङ्गाष्टकं स्तोत्र: ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् । जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥ 1 ॥ देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् । रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्...
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शिव पञ्चाक्षर स्तोत्रम्

॥ शिव पञ्चाक्षर स्तोत्रम् ॥ नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनायभस्माङ्गरागाय महेश्वराय। नित्याय शुद्धाय दिगम्बरायतस्मै न काराय नमः शिवाय॥1॥ मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चितायनन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय। मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजितायतस्मै म काराय नमः...
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 श्रीशिवरक्षास्तोत्रम्

॥ श्रीशिवरक्षास्तोत्रम् ॥ ॥ विनियोग ॥ श्री गणेशाय नमः॥ अस्य श्रीशिवरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य याज्ञवल्क्य ऋषिः॥ श्री सदाशिवो देवता॥ अनुष्टुप् छन्दः॥ श्रीसदाशिवप्रीत्यर्थं शिवरक्षास्तोत्रजपे...
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शिव ताण्डव स्तोत्रम्

जटा-अटवी-गलत्-जल-प्रवाह-पावित-स्थले गले-अवलम्ब्य लम्बितां भुजंग-तुङ्ग-मालिकाम् डमड्-डमड्-डमड्-डमत्-निनाद-वड्डमर्वयं चकार चण्ड-ताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥1॥ जटा-कटाह-सम्भ्रम-भ्रमत्-निलिम्प-निर्झरी विलोल-वीचि-वल्लरी-विराजमान-मूर्धनि धगत्-धगत्-धगज्ज्वलत्-ललाट-पट्ट-पावके किशोर-चन्द्र-शेखरे रतिः प्रति-क्षणं मम ॥२...
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श्रीअमलेश्वर वीर-स्तवः

   श्रीअमलेश्वर वीर-स्तवः कालातिगं कलुषप्रशमन्यनाथं, निर्मायिकं वपुर्निखिलं स्वदीपम्। अम्लानशुद्धमनसं परमेशमीडे, खारूनतीरनिलयं शरणं प्रपद्ये॥ भीमार्जुनाद्ययुधवीरवरानुकूलं, द्रौपद्यनन्दनसुतार्तिहरं दयालुम्। युद्धेऽपि शान्तिधृतमूर्तिममुं नितान्तं, अमलेश्वरं प्रणामि वीरमुखं पुराणम्॥ मौर्यवंशविभवः क्षत्रराजशेखरः सन्, अशोकनाम जगति शान्तिपथं विधाय। शमशूलहरमार्गमधिगत्य भूयः, अमलेशपूजनरतः बभूव धीमान्॥ विक्रमादित्यसम्राज्यशिरोमणिस्तु, उज्जयिन्यां निवसन् शिवतत्त्वबोधी। स्वप्नसंकेतवशात् खारुने गतः सन्, मौनव्रतेन समुपास्य हरं ददर्श॥ शङ्कराचार्यमहायशसे कदाचित्, दक्षिणदेशविहारवशात् समागात्। खारूतटे स शिवमेकमवेक्ष्य भूयो, "निर्मलशक्तिप्रभवोऽयममल" इत्यवोचत्॥ त्वं कालजेताऽखिलशक्तिसारः, त्वं निर्मलः शिवमहाशिवार्थः। त्वं भक्तवश्यः खलदर्पहन्ता, त्वं खारुनाथोऽमलनाथदेवः॥ मां पाहि नाथ! भवदोषशान्त्यै, ममापदां त्वरितसङ्गहाय। त्वद्भक्तिरस्तु दृढमूलनीता, त्वमेव मे जीवितकारणं च॥ पाण्डवोऽशोकविक्रमशङ्करश्च, ये ये गता हरिपदं समवेक्ष्य भक्त्याः। तेषां वशोऽसि शरणागतवत्सले त्वं,...
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श्रीअमलेश्वर ध्यानगीतम्

यह रहा आपके मूल श्लोक — "कालान्तरातीतममलत्वरूपं, अमलेश्वरं भावये ध्याननिष्ठ।" — के आधार पर रचित एक पूर्ण संस्कृत ध्यान-गीत, जो भगवान श्री महाकाल अमलेश्वर के निर्गुण, निर्मल और कालातीत रूप की स्तुति करता है। 🔱 श्रीअमलेश्वर ध्यानगीतम् कालान्तरातीतममलत्वरूपं, निश्शेषशक्तिं शिवमाद्यमेकम्। निर्मुक्तमायं निरुपाधिदेहं, अमलेश्वरं भावये ध्याननिष्ठ॥ सर्पालिवेषं त्रिनयं विशालं, शान्तप्रभं बिम्बसमानकान्तम्। लिङ्गात्मरूपं दृढमेकभावं, अमलेश्वरं भावये ध्याननिष्ठ॥ नित्यं निराकारमनन्तवृत्तिं, निर्वाणसौख्यं परब्रह्मरूपम्। शिवं सतां हृत्सरसीवसन्तं, अमलेश्वरं भावये ध्याननिष्ठ॥ गङ्गासमानामलधारयुक्तं, भक्तार्चितं भावविनम्रमूर्तिम्। कालान्तकं कालभयं हरन्तं, अमलेश्वरं भावये ध्याननिष्ठ॥ पाण्डवपूज्यं विक्रमार्चनीयं, शङ्करचार्यप्रणिपातयोग्यम्। स्वयम्भुवं नागगणैः सुपूतं, अमलेश्वरं भावये ध्याननिष्ठ॥ न त्वं लयोऽसि न च सृष्टिरूपं, न...
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महाराज विक्रमादित्य और अमलेश्वर की मौन आराधना

🔱 "महाराज विक्रमादित्य और अमलेश्वर की मौन आराधना" (ऐतिहासिक-संकेतों और दंतकथाओं पर आधारित सत्य के निकट कथा) 🕰️ काल-संदर्भ: सम्भवत: 1वीं शताब्दी ईसा पूर्व से 1वीं शताब्दी ईस्वी के मध्य, उज्जयिनी (उज्जैन) के महान सम्राट विक्रमादित्य का शासनकाल। उनके जीवन से जुड़ी कहानियाँ केवल कथाएँ नहीं, बल्कि भारत के अर्ध-ऐतिहासिक स्मृति में जीवित हैं। उनके द्वारा: कालविवेक-संवत् की स्थापना (विक्रम संवत), नव रत्नों की सभा (कालिदास आदि), और शैव भक्ति के प्रति गहन श्रद्धा प्रकट होती है। “विक्रमादित्य की गुप्त साधना अमलेश्वर में” 🔍 शिव-आराधक राजा की खोज: विक्रमादित्य, जिनकी...
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महाकाल अमलेश्वर और पांडवों की वनगमन-कालीन साधना

  🔱 "महाकाल अमलेश्वर और पांडवों की वनगमन-कालीन साधना" (ऐतिहासिक पौराणिकता और स्थल परंपरा आधारित) 🧭 ऐतिहासिक संभावना: भारत के कई क्षेत्रों में ऐसी परंपराएँ हैं जो यह मानती हैं कि वनवास काल में पांडवों ने पूरे भारत की यात्रा की। उदाहरण: नर्मदा किनारे ओंकारेश्वर में अर्जुन की तपस्या, भीमबेटका क्षेत्र में भीम के ठहराव के संकेत, छत्तीसगढ़ में दन्तेवाड़ा, कोरबा, मल्हार आदि में पांडवों से जुड़ी कथाएँ। इसी परंपरा में एक मान्यता पाटन के पास स्थित अमलेश्वर से भी जुड़ी हुई है। 📖 कथा: "भीम और अमलेश्वर में वीर...
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